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हिंदी विवाद: शाह के स्पष्टीकरण के बाद DMK ने किया जीत का दावा, कांग्रेस बोली- डर गई सरकार

हिंदी पर अपने बयान से उठे विवाद को शांत करने का प्रयास करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने रांची में एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने देश में कहीं भी हिंदी थोपने की बात कभी नहीं की बल्कि दूसरी भाषा के तौर पर इसके इस्तेमाल की वकालत की है. इस पर द्रमुक ने जीत का दावा करते हुए 20 सितंबर को विरोध नहीं करने का फैसला किया है. पढ़ें विस्तार से...

द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन (फाइल फोटो)
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Published : Sep 19, 2019, 10:15 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 4:15 AM IST

चेन्नई: हिंदी पर अमित शाह के स्पष्टीकरण के बाद द्रमुक ने प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया है. इस पर द्रमुक ने जीत का दावा करते हुए 20 सितंबर को विरोध नहीं करने का फैसला किया है.

दरअसल, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने देश में कहीं भी हिंदी थोपने की बात कभी नहीं की है.

उनके इस बयान का हवाला देते हुए द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि 20 सितंबर को प्रस्तावित प्रदर्शन अस्थाई रूप से स्थगित कर दिए गए हैं.

द्रमुक अध्यक्ष ने यहां संवाददाताओं से कहा कि शाह ने यह भी कहा है कि उनके विचारों को 'गलत तरीके से समझा गया.'

स्टालिन ने पार्टी द्वारा आंदोलन की घोषणा करने के दो दिनों बाद पत्रकारों से कहा, 'हम पार्टी के प्रदर्शन की घोषणा के बाद उनके (शाह) स्पष्टीकरण को द्रमुक के लिए बड़ी जीत मानते हैं.'

हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हिंदी थोपी जाती है तो द्रमुक हर समय इसका विरोध करेगी.

शाह ने दी थी सफाई
हिंदी पर अपने बयान से उठे विवाद को शांत करने का प्रयास करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने बुधवार को रांची में एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने देश में कहीं भी हिंदी थोपने की बात कभी नहीं की, बल्कि दूसरी भाषा के तौर पर इसके इस्तेमाल की वकालत की.

शाह ने कहा कि वह लगातार क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं.

पढ़ें: हिंदी भाषा लागू करने के फैसले के खिलाफ 20 सितंबर विरोध प्रदर्शन करेगी डीएमके

अन्नाद्रमुक ने बोला- हमने गलत नहीं समझा
इस बीच सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने कहा कि उसने शाह के बयान को कभी गलत नहीं समझा और उसने द्रमुक पर इसकी गलत व्याख्या करने और राजनीतिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

अन्नाद्रमुक के प्रवक्ता आर एम बाबू मुरुगावेल ने कहा, 'भाषा एक नस्ल, संस्कृति और परंपरा की पहचान है. हम हिंदी थोपना या किसी भी भाषा को थोपना कभी स्वीकार नहीं करेंगे. हमने कभी गृह मंत्री शाह के विचारों को गलत नहीं समझा.'

द्रमुक द्वारा प्रदर्शन स्थगित करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने, 'अपना मुंह काला करा लिया है.'

कांग्रेस का दावा- डर गए शाह
वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रमुख केएस अलागिरी ने दावा किया कि केंद्र तमिलनाडु में पार्टियों के प्रदर्शन के आह्वान से डर गई और इसलिए उसने राज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल कर कहा कि हिंदी नहीं थोपी जाएगी.

उन्होंने कहा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि यह हमारे गठबंधन की जीत है.'

स्टालिन ने की थी राज्यपाल से मुलाकात
इससे पहले स्टालिन ने राजभवन में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात की.

स्टालिन ने कहा कि पुरोहित ने उनसे कहा कि हिंदी थोपी नहीं जाएगी.

द्रमुक अध्यक्ष ने बताया कि जब उन्होंने पुरोहित से पूछा कि क्या केंद्र सरकार इस बारे में कुछ कहेगी, इस पर पुरोहित ने कहा कि वह केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं.

चेन्नई: हिंदी पर अमित शाह के स्पष्टीकरण के बाद द्रमुक ने प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया है. इस पर द्रमुक ने जीत का दावा करते हुए 20 सितंबर को विरोध नहीं करने का फैसला किया है.

दरअसल, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने देश में कहीं भी हिंदी थोपने की बात कभी नहीं की है.

उनके इस बयान का हवाला देते हुए द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि 20 सितंबर को प्रस्तावित प्रदर्शन अस्थाई रूप से स्थगित कर दिए गए हैं.

द्रमुक अध्यक्ष ने यहां संवाददाताओं से कहा कि शाह ने यह भी कहा है कि उनके विचारों को 'गलत तरीके से समझा गया.'

स्टालिन ने पार्टी द्वारा आंदोलन की घोषणा करने के दो दिनों बाद पत्रकारों से कहा, 'हम पार्टी के प्रदर्शन की घोषणा के बाद उनके (शाह) स्पष्टीकरण को द्रमुक के लिए बड़ी जीत मानते हैं.'

हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हिंदी थोपी जाती है तो द्रमुक हर समय इसका विरोध करेगी.

शाह ने दी थी सफाई
हिंदी पर अपने बयान से उठे विवाद को शांत करने का प्रयास करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने बुधवार को रांची में एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने देश में कहीं भी हिंदी थोपने की बात कभी नहीं की, बल्कि दूसरी भाषा के तौर पर इसके इस्तेमाल की वकालत की.

शाह ने कहा कि वह लगातार क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं.

पढ़ें: हिंदी भाषा लागू करने के फैसले के खिलाफ 20 सितंबर विरोध प्रदर्शन करेगी डीएमके

अन्नाद्रमुक ने बोला- हमने गलत नहीं समझा
इस बीच सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने कहा कि उसने शाह के बयान को कभी गलत नहीं समझा और उसने द्रमुक पर इसकी गलत व्याख्या करने और राजनीतिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

अन्नाद्रमुक के प्रवक्ता आर एम बाबू मुरुगावेल ने कहा, 'भाषा एक नस्ल, संस्कृति और परंपरा की पहचान है. हम हिंदी थोपना या किसी भी भाषा को थोपना कभी स्वीकार नहीं करेंगे. हमने कभी गृह मंत्री शाह के विचारों को गलत नहीं समझा.'

द्रमुक द्वारा प्रदर्शन स्थगित करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने, 'अपना मुंह काला करा लिया है.'

कांग्रेस का दावा- डर गए शाह
वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रमुख केएस अलागिरी ने दावा किया कि केंद्र तमिलनाडु में पार्टियों के प्रदर्शन के आह्वान से डर गई और इसलिए उसने राज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल कर कहा कि हिंदी नहीं थोपी जाएगी.

उन्होंने कहा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि यह हमारे गठबंधन की जीत है.'

स्टालिन ने की थी राज्यपाल से मुलाकात
इससे पहले स्टालिन ने राजभवन में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात की.

स्टालिन ने कहा कि पुरोहित ने उनसे कहा कि हिंदी थोपी नहीं जाएगी.

द्रमुक अध्यक्ष ने बताया कि जब उन्होंने पुरोहित से पूछा कि क्या केंद्र सरकार इस बारे में कुछ कहेगी, इस पर पुरोहित ने कहा कि वह केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं.

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SHAH-2NDLDALL HINDI
Never asked for imposing Hindi over native languages, says Shah; Stalin postpones protest
(Eds: Adding quotes)
          Ranchi/Chennai, Sep 18 (PTI) Amid a heated debate over his remark that Hindi should be a common language, Union Home Minister Amit Shah on Wednesday said he has never asked for imposition of Hindi over native languages in the country but advocated its use as the second language, following which DMK announced postponement of its September 20 protest.
         Referring to his speech on the occasion of Hindi Divas on Saturday where he made a pitch for a common language for India, the home minister said to end the confusion, people should listen to his speech carefully but "if someone wants to do politics, it is their choice."
         Clarifying his comments, he said, "A child can perform, a child's proper mental growth is possible only when the child studies in mother tongue. Mother tongue does not mean Hindi. It is the language of a particular state, like Gujarati in my state. But there should be one language in the country, if someone wants to learn another language, it should be Hindi."
         "I have just made the request. I have failed to understand what is wrong in that," he said at an event organised by Hindi daily 'Hindustan' in Ranchi.
         "I too come from a non-Hindi speaking state. I come from Gujarat where Gujarati is the language, not Hindi. One has to listen to my speech carefully...," Shah said.
         Following Shah's assertion, DMK president M K Stalin said the party's proposed protest on September 20 on the issue has been postponed.
Talking to reporters in Chennai, the DMK chief said Shah has also opined that his view had been "wrongly understood".
          "We consider his (Shah's) clarification as a big victory for the DMK," he said.
          However, the leader from the south said if Hindi was imposed, the DMK will oppose it at all times.
         Referring to his meeting with Tamil Nadu Governor Banwarilal Purohit at Raj Bhavan, Stalin said Purohit told him that Hindi will not be imposed.
          State Congress chief K S Alagiri claimed the Centre was "rattled" by the protest call by parties in Tamil Nadu and hence utilised the office of Governor to convey that Hindi
will not be imposed.
          "This is no doubt a victory for our alliance," he added.
          Ahead of Shah's clarification, veteran actor Rajinikanth said the concept of a common langauge in India was "unfortunately" not possible and asserted any attempts of Hindi "imposition" would be not only resisted by southern states, but even many in the north.
          The BJP's ally AIADMK, which governs Tamil Nadu, said it never misunderstood Shah's remarks and accused the DMK of wrongly interpreting it and using it for political mileage.
          "A language is the identity of a race, culture and tradition. We will hence, never accept Hindi imposition or for that matter thrusting of any other language. We never misunderstood Home Minister Shah's views," AIADMK spokesperson R M Babu Murugavel told PTI.
          During the Wednesday event, Shah, also the BJP chief, said someday there has to be a movement in the country for strengthening local languages "or else India would be like New Zealand and Australia".
         "I often ask people coming from New Zealand and Australia -- what is your language. They could not meet my eye. There should not be a day when we lose our own languages. Local languages should be strengthened and along with that people should also learn Hindi," he said.
         On Saturday, Shah pitched for a common language for the country and said as Hindi is spoken the most, it can unite the whole country.
         "India has many languages and every language has its importance. But it is absolutely necessary that the entire country should have one language that becomes India's identity globally," he had said.
         "I want to appeal to people to promote their native languages but also use Hindi to make the dream of Bapu (Mahatma Gandhi) and Sardar (Vallabhbhai) Patel of one language come true," he said.
         The Congress, DMK, JD-S, Left and BJP ally AIADMK had criticised Shah's remarks.
         While the DMK had announced protests, actor and Makkal Needhi Maiam chief Kamal Haasan warned of a bigger stir in the state than the pro-Jallikattu agitation in 2017 against any attempts of Hindi "imposition".
         "The unity in diversity is a promise that we made when we made India into a Republic. Now, no Shah, Sultan or Samrat must renege on that promise. We respect all languages, but our mother language will always be Tamil," Haasan said in a video.
         Tamil Nadu was witness to the anti-Hindi agitation taken forward by the DMK in the 1960s against the alleged imposition of the language. PTI ACB VGN RT PYK
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Last Updated : Oct 1, 2019, 4:15 AM IST
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