भोपाल : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने, ऐसा हर कोई चाहता है. लेकिन यदि पीएम नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को मंदिर का शिलान्यास करते हैं तो रामानंदी संप्रदाय के सभी शंकराचार्यों और स्वामी रामनरेशाचार्य जी को समारोह में आमंत्रित किया जाना चाहिए.
दिग्विजय ने कहा कि रामानंदी संप्रदाय के सभी शंकराचार्यों और स्वामी रामनरेशाचार्य जी को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का सदस्य भी बनाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'न्यास में शंकराचार्यों को जगह नहीं दी, इसके बजाय वीएचपी और भाजपा नेताओं को इसका सदस्य बनाया गया है. इसे राजनीतिक तरीके से डील किया जा रहा है. हमें इस पर आपत्ति है. हम इसका विरोध करेंगे.'
बता दें कि गत शनिवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का सदस्यों ने प्रधानमंत्री मोदी को मंदिर भूमि पूजन के लिए दो तारीखें भेजी थीं. इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने पांच अगस्त को भूमि पूजन के लिए कहा है. इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे.
मंदिर भूमि पूजन में प्रधानमंत्री मोदी के शामिल होने की खबर के बाद से इस पर राजनीति शुरू हो गई है.
इस क्रम में रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि केंद्र सरकार को लॉकडाउन से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित भूमि पूजन को लेकर सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा था, 'कुछ लोगों को लगता है कि राम मंदिर बनाने से कोरोना खत्म होगा.' उन्होंने कहा कि इस समय कोरोना को खत्म करने के लिए काम होना चाहिए.
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इसके बाद मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने पवार के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि पवार 'राम द्रोही' हैं. उनका यह बयान पीएम मोदी के विपरीत नहीं बल्कि भगवान राम के विपरीत है.