ETV Bharat / bharat

जलियांवाला बाग नरसंहार: लंदन में आधिकारिक रूप से माफी मांगने की मांग

ब्रिटिश सरकार से जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए माफी मांगने की मांग की है. इससे पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने इस घटना पर अफसोस जताया था. मे ने इसे ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मनाक धब्बा बताया था.

कॉन्सेप्ट इमेज.
author img

By

Published : Apr 14, 2019, 11:31 PM IST

Updated : Apr 14, 2019, 11:37 PM IST

लंदन: जलियांवाला बाग नरसंहार के शताब्दी वर्ष पर लंदन के 'हाऊस ऑफ लार्ड्स' परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में ब्रिटिश सरकार से इस घटना के लिए आधिकारिक रूप से माफी मांगने की मांग की गई.

गौरतलब है कि यह नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को बैशाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुआ था.

ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिकों ने जनरल डायर की कमान के तहत निहत्थी भीड़ पर गोलियां चलाई थीं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे.

ब्रिटिश संसद के सदस्य एवं भारतीय मूल के लार्ड राज लूंबा और जाने माने अर्थशास्त्री लार्ड मेघनाद देसाई ने जलियांवाला बाग सेनटेनरी कोमेमोरेशन कमेटी (जेबीसीसीसी) के साथ उनके साथी सदस्य ब्रिटेन में आयोजित कई प्रदर्शनियों में शामिल हुए, जिनका आयोजन इस नरसंहार के शताब्दी वर्ष पर किया गया था.

लार्ड देसाई ने कहा, '13 अप्रैल 1919 का जलियांवाला नरसंहार आधुनिक इतिहास में एक बहुत दुखद घटना है. तब से सौ साल में भारत ने लंबा सफर तय किया है और इस तरह हमने कई बार अफसोस जताया जाना सुना है. '

लार्ड लूंबा ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि ब्रिटिश सरकार इस बाबत माफी मांगने के लिए सहमत क्यों नहीं हुई. उन्होंने इस बारे में जांच कराए जाने की मांग की कि क्या डायर ने खुद ही यह कदम उठाया था, या उसे ब्रिटिश शासन के उच्च स्तर से आदेश मिले थे.'

पढ़ें: जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी आज, राहुल ने दी श्रद्धांजलि

कमेटी के संरक्षक प्रमुख मंजीत सिंह जीके ने कहा, 'इसका दर्द पंजाबियों के मन में अब भी समाया हुआ है.' उन्होंने कहा कि इसे लेकर माफी मांगे जाने से मारा गया कोई व्यक्ति तो वापस नहीं आएगा, पर यह इससे मिली पीड़ा को कम जरूर करेगा. उन्होंने कहा, 'हम यह मांग करते हैं कि ब्रिटिश सरकर एक आधिकारिक माफी मांगे.'

गौरतलब है कि इस हफ्ते की शुरूआत में ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने 'हाऊस ऑफ कॉमंस' में एक बयान में इस घटना को लेकर गंभीर अफसोस जताया था. उन्होंने इसे ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर एक शर्मनाक धब्बा बताया था.

बहरहाल, इस सिलसिले में औपचारिक तौर पर माफी नहीं मांगने को लेकर सरकार की आलोचना भी हुई. विपक्षी लेबर पार्टी ने पूर्ण और स्पष्ट माफी मांगने की मांग की. ब्रिटिश भारतीय पत्रकार सतनाम संघीरा ने एक डॉक्यूमेंटरी के जरिए भी इस नरसंहार को लेकर माफी मांगने की मांग की है.

यह मुद्दा हाल के महीनों में ब्रिटिश संसद के एजेंडा में भी प्रमुखता से पाया गया क्योंकि हाऊस ऑफ लार्ड्स और कॉमंस में इस घटना के शताब्दी वर्ष पर चर्चाएं हुई.

लंदन: जलियांवाला बाग नरसंहार के शताब्दी वर्ष पर लंदन के 'हाऊस ऑफ लार्ड्स' परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में ब्रिटिश सरकार से इस घटना के लिए आधिकारिक रूप से माफी मांगने की मांग की गई.

गौरतलब है कि यह नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को बैशाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुआ था.

ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिकों ने जनरल डायर की कमान के तहत निहत्थी भीड़ पर गोलियां चलाई थीं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे.

ब्रिटिश संसद के सदस्य एवं भारतीय मूल के लार्ड राज लूंबा और जाने माने अर्थशास्त्री लार्ड मेघनाद देसाई ने जलियांवाला बाग सेनटेनरी कोमेमोरेशन कमेटी (जेबीसीसीसी) के साथ उनके साथी सदस्य ब्रिटेन में आयोजित कई प्रदर्शनियों में शामिल हुए, जिनका आयोजन इस नरसंहार के शताब्दी वर्ष पर किया गया था.

लार्ड देसाई ने कहा, '13 अप्रैल 1919 का जलियांवाला नरसंहार आधुनिक इतिहास में एक बहुत दुखद घटना है. तब से सौ साल में भारत ने लंबा सफर तय किया है और इस तरह हमने कई बार अफसोस जताया जाना सुना है. '

लार्ड लूंबा ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि ब्रिटिश सरकार इस बाबत माफी मांगने के लिए सहमत क्यों नहीं हुई. उन्होंने इस बारे में जांच कराए जाने की मांग की कि क्या डायर ने खुद ही यह कदम उठाया था, या उसे ब्रिटिश शासन के उच्च स्तर से आदेश मिले थे.'

पढ़ें: जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी आज, राहुल ने दी श्रद्धांजलि

कमेटी के संरक्षक प्रमुख मंजीत सिंह जीके ने कहा, 'इसका दर्द पंजाबियों के मन में अब भी समाया हुआ है.' उन्होंने कहा कि इसे लेकर माफी मांगे जाने से मारा गया कोई व्यक्ति तो वापस नहीं आएगा, पर यह इससे मिली पीड़ा को कम जरूर करेगा. उन्होंने कहा, 'हम यह मांग करते हैं कि ब्रिटिश सरकर एक आधिकारिक माफी मांगे.'

गौरतलब है कि इस हफ्ते की शुरूआत में ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने 'हाऊस ऑफ कॉमंस' में एक बयान में इस घटना को लेकर गंभीर अफसोस जताया था. उन्होंने इसे ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर एक शर्मनाक धब्बा बताया था.

बहरहाल, इस सिलसिले में औपचारिक तौर पर माफी नहीं मांगने को लेकर सरकार की आलोचना भी हुई. विपक्षी लेबर पार्टी ने पूर्ण और स्पष्ट माफी मांगने की मांग की. ब्रिटिश भारतीय पत्रकार सतनाम संघीरा ने एक डॉक्यूमेंटरी के जरिए भी इस नरसंहार को लेकर माफी मांगने की मांग की है.

यह मुद्दा हाल के महीनों में ब्रिटिश संसद के एजेंडा में भी प्रमुखता से पाया गया क्योंकि हाऊस ऑफ लार्ड्स और कॉमंस में इस घटना के शताब्दी वर्ष पर चर्चाएं हुई.

Intro:Body:Conclusion:
Last Updated : Apr 14, 2019, 11:37 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.