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पी चिदंबरम के ड्रीम प्रॉजेक्ट का उद्घाटन करेंगे शाह

नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड बन कर तैयार है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसका उद्घाटन करेंगे. साइबर एक्सपर्ट्स का इस पर कहना है कि सरकार इसका राजनीतिक इस्तेमाल न करे. तिहाड़ में बंद पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था.

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Published : Sep 14, 2019, 11:43 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 3:46 PM IST

नई दिल्ली: 2008 में मुंबई हमले के बाद गठित नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड बन कर तैयार है. ये तिहाड़ में बंद पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन अब इसका उद्घाटन केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर रहे हैं. ये एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिससे सुरक्षा के क्षेत्र में मदद मिलेगी.

नैटग्रिड डाटा सेंटर से देश की 10 सुरक्षा एजेंसियां एक जगह से ही संदिग्ध या आतंकियों को ट्रेस कर सकेंगी, लेकिन साईबर एक्सपर्ट्स का इसपर कहना है कि सरकार इसका राजनीतिक इस्तेमाल न करे. इससे आम नागरिक की निजता का हनन हो सकता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल ने कहा की सरकार का यह एक अच्छा प्रयास है. इसमें संदिग्धों एवं आतंकियों के अलग-अलग पड़े रिकॉर्ड्स एक जगह सभी सुरक्षा एजेंसियों को मिल सकेंगे लेकिन इसके साथ ही भारत सरकार में इसका राजनीतिक दुरुपयोग ना होने पाए इसका ध्यान राखना होगा.

साइबर एक्सपर्ट्स से ETV भारत की बातचीत.

बता दें की बृहस्पतिवार को 11 साल से अधूरे पड़े नैटग्रिड प्रोजेक्ट को लेकर गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने अमित शाह को एक प्रेजेंटेशन भी दिखाई थी. अनुज अग्रवाल ने कहा की बीते वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय ना होने के कारण कई अपराधी देश से भागने में सफल रहे. वहीं कुछ ऐसे भी अपराधी हैं जो विदेश से आकर भारत में अपराध कर रहें हैं. यदि सरकार यह प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक तैयार कर लेती है तो निश्चय ही सरकार को अपराध और आतंकवाद पर लगाम लगाने में कामयाबी मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना है कि जो आम नागरिक है उनकी निजता का हनन न हो.

पढ़ें: सारदा चिट फंड मामला: कोलकाता के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार ने CBI से एक महीने का समय मांगा

याद दिला दें कि सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय न होने के कारण ही हीरा कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या जैसे लोग सरकार को करोड़ों का चूना लगाकर देश छोड़कर भाग चुके हैं. उन्होंने कहा कि नैटग्रिड से सभी सुरक्षा एजेंसियों को संदिग्धों का ब्यौरा तो मिलेगा, लेकिन ऐसे में यह भी आशंका है की जो आम नागरिक हैं उनके खिलाफ कोई भी सुरक्षा एजेंसी आधी जानकारी और सबूतों के साथ पहुंच सकती है, जो कि उनकी निजता का हनन है. इसलिये सरकार को इस बारे में रणनीति बनाना जरूरी है.

बता दें कि नैटग्रिड का डाटा रिकवरी सेंटर बेंगलुरु में तैयार हो चुका है और दिसंबर तक दिल्ली में इस ऑफिस के पूरे होने की डेडलाइन रखी गयी है.

नई दिल्ली: 2008 में मुंबई हमले के बाद गठित नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड बन कर तैयार है. ये तिहाड़ में बंद पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन अब इसका उद्घाटन केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर रहे हैं. ये एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिससे सुरक्षा के क्षेत्र में मदद मिलेगी.

नैटग्रिड डाटा सेंटर से देश की 10 सुरक्षा एजेंसियां एक जगह से ही संदिग्ध या आतंकियों को ट्रेस कर सकेंगी, लेकिन साईबर एक्सपर्ट्स का इसपर कहना है कि सरकार इसका राजनीतिक इस्तेमाल न करे. इससे आम नागरिक की निजता का हनन हो सकता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल ने कहा की सरकार का यह एक अच्छा प्रयास है. इसमें संदिग्धों एवं आतंकियों के अलग-अलग पड़े रिकॉर्ड्स एक जगह सभी सुरक्षा एजेंसियों को मिल सकेंगे लेकिन इसके साथ ही भारत सरकार में इसका राजनीतिक दुरुपयोग ना होने पाए इसका ध्यान राखना होगा.

साइबर एक्सपर्ट्स से ETV भारत की बातचीत.

बता दें की बृहस्पतिवार को 11 साल से अधूरे पड़े नैटग्रिड प्रोजेक्ट को लेकर गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने अमित शाह को एक प्रेजेंटेशन भी दिखाई थी. अनुज अग्रवाल ने कहा की बीते वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय ना होने के कारण कई अपराधी देश से भागने में सफल रहे. वहीं कुछ ऐसे भी अपराधी हैं जो विदेश से आकर भारत में अपराध कर रहें हैं. यदि सरकार यह प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक तैयार कर लेती है तो निश्चय ही सरकार को अपराध और आतंकवाद पर लगाम लगाने में कामयाबी मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना है कि जो आम नागरिक है उनकी निजता का हनन न हो.

पढ़ें: सारदा चिट फंड मामला: कोलकाता के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार ने CBI से एक महीने का समय मांगा

याद दिला दें कि सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय न होने के कारण ही हीरा कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या जैसे लोग सरकार को करोड़ों का चूना लगाकर देश छोड़कर भाग चुके हैं. उन्होंने कहा कि नैटग्रिड से सभी सुरक्षा एजेंसियों को संदिग्धों का ब्यौरा तो मिलेगा, लेकिन ऐसे में यह भी आशंका है की जो आम नागरिक हैं उनके खिलाफ कोई भी सुरक्षा एजेंसी आधी जानकारी और सबूतों के साथ पहुंच सकती है, जो कि उनकी निजता का हनन है. इसलिये सरकार को इस बारे में रणनीति बनाना जरूरी है.

बता दें कि नैटग्रिड का डाटा रिकवरी सेंटर बेंगलुरु में तैयार हो चुका है और दिसंबर तक दिल्ली में इस ऑफिस के पूरे होने की डेडलाइन रखी गयी है.

Intro:नई दिल्ली। 2008 में मुंबई हमले के बाद गठित नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (NATGRID) तिहाड़ जेल में बंद पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम का ड्रीम प्रोजेक्ट था जिसे अब केंद्रित गृह मंत्री अमित शाह पूरा करने की शुरुआत कर चुके हैं। नैटग्रिड डाटा सेंटर से देश की 10 सुरक्षा एजेंसियां एक जगह से ही संदिग्ध या आतंकियों को ट्रेसी कर सकेंगी। लेकिन साईबर एक्सपर्ट्स का इसपर कहना है कि सरकार इसका राजनीतिक इस्तेमाल न करे और इससे आम नागरिक की निजता का हनन न हो।


ईटीवी भारत से बात करते हुए सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल ने कहा की सरकार का यह एक अच्छा प्रयास है जिसमें संदिग्धों एवं आतंकियों के अलग-अलग पड़े रिकॉर्ड्स एक जगह सभी सुरक्षा एजेंसियों को मिल सकेंगे लेकिन इसके साथ ही भारत सरकार में इसका राजनीतिक दुरुपयोग ना होने पाए इसका ध्यान राखना होगा।

बता दें की बृहस्पतिवार को 11 साल से अधूरे पड़े नैटग्रिड प्रोजेक्ट को लेकर गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने अमित शाह को एक प्रेजेंटेशन भी दिखाई थी।


Body:अनुज अग्रवाल ने कहा की बीते वर्षों सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय ना होने के कारण कई अपराधी देश से भागने में सफल रहे वहीं कुछ ऐसे भी अपराधी हैं जो विदेश से आकर भारत में अपराध कर रहें हैं। यदि सरकार यह प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक तैयार कर लेती है तो निश्चय ही सरकार को अपराध और आतंकवाद पर लगाम लगाने में कामयाबी मिलेगी लेकिन इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना है कि जो आम नागरिक है उनकी निजता का हनन न हो।

ज्ञात हो कि सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय न होने के कारण ही हीरा कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या जैसे लोग सरकार को करोड़ों का चूना लगाकर देश छोड़कर भाग चुके हैं।


Conclusion:उन्होंने कहा कि नैटग्रिड से सभी सुरक्षा एजेंसियों को संदिग्धों का ब्यौरा तो मिलेगा लेकिन ऐसे में यह भी आशंका है की जो आम नागरिक हैं उनके खिलाफ कोई भी सुरक्षा एजेंसी आधी जानकारी और सबूतों के साथ पहुंच सकती है जो कि उनकी निजता का हनन है। इसलिये सरकार को इस बारे में रणनीति बनाना जरूरी है।

बता दें कि नैटग्रिड का डाटा रिकवरी सेंटर बेंगलुरु में तैयार हो चुका है और दिसंबर तक दिल्ली में इस ऑफिस के पूरे होने की डेडलाइन रखी गयी है।
Last Updated : Sep 30, 2019, 3:46 PM IST
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