नई दिल्ली: 2008 में मुंबई हमले के बाद गठित नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड बन कर तैयार है. ये तिहाड़ में बंद पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन अब इसका उद्घाटन केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर रहे हैं. ये एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिससे सुरक्षा के क्षेत्र में मदद मिलेगी.
नैटग्रिड डाटा सेंटर से देश की 10 सुरक्षा एजेंसियां एक जगह से ही संदिग्ध या आतंकियों को ट्रेस कर सकेंगी, लेकिन साईबर एक्सपर्ट्स का इसपर कहना है कि सरकार इसका राजनीतिक इस्तेमाल न करे. इससे आम नागरिक की निजता का हनन हो सकता है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल ने कहा की सरकार का यह एक अच्छा प्रयास है. इसमें संदिग्धों एवं आतंकियों के अलग-अलग पड़े रिकॉर्ड्स एक जगह सभी सुरक्षा एजेंसियों को मिल सकेंगे लेकिन इसके साथ ही भारत सरकार में इसका राजनीतिक दुरुपयोग ना होने पाए इसका ध्यान राखना होगा.
बता दें की बृहस्पतिवार को 11 साल से अधूरे पड़े नैटग्रिड प्रोजेक्ट को लेकर गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने अमित शाह को एक प्रेजेंटेशन भी दिखाई थी. अनुज अग्रवाल ने कहा की बीते वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय ना होने के कारण कई अपराधी देश से भागने में सफल रहे. वहीं कुछ ऐसे भी अपराधी हैं जो विदेश से आकर भारत में अपराध कर रहें हैं. यदि सरकार यह प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक तैयार कर लेती है तो निश्चय ही सरकार को अपराध और आतंकवाद पर लगाम लगाने में कामयाबी मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना है कि जो आम नागरिक है उनकी निजता का हनन न हो.
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याद दिला दें कि सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय न होने के कारण ही हीरा कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या जैसे लोग सरकार को करोड़ों का चूना लगाकर देश छोड़कर भाग चुके हैं. उन्होंने कहा कि नैटग्रिड से सभी सुरक्षा एजेंसियों को संदिग्धों का ब्यौरा तो मिलेगा, लेकिन ऐसे में यह भी आशंका है की जो आम नागरिक हैं उनके खिलाफ कोई भी सुरक्षा एजेंसी आधी जानकारी और सबूतों के साथ पहुंच सकती है, जो कि उनकी निजता का हनन है. इसलिये सरकार को इस बारे में रणनीति बनाना जरूरी है.
बता दें कि नैटग्रिड का डाटा रिकवरी सेंटर बेंगलुरु में तैयार हो चुका है और दिसंबर तक दिल्ली में इस ऑफिस के पूरे होने की डेडलाइन रखी गयी है.