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संकट गुजर गया : दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के गढ़ में से एक अमेरिका चिंतामुक्त हुआ

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Published : Dec 19, 2020, 10:47 AM IST

Updated : Dec 19, 2020, 12:15 PM IST

दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के गढ़ में से एक अमेरिकी लोकतंत्र को इस बार सबसे ज्यादा उथल-पुथल का सामना करना पड़ा. जो बाइडेन 8 करोड़ वोटों के अंतर से विजयी रहे. वहीं ट्रंप हार स्वीकार नहीं कर पाए.

अमेरिका चिंतामुक्त हुआ
अमेरिका चिंतामुक्त हुआ

हैदराबाद: स्वतंत्रता, समानता और स्व-शासन के मुख्य सिद्धांतों पर निर्मित दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के गढ़ में से एक अमेरिकी लोकतंत्र को इस बार सबसे ज्यादा उथल-पुथल का सामना करना पड़ा. नवंबर में हुए देश के 46 वें राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन 8 करोड़ वोटों के अंतर से विजयी रहे. अनिश्चितता जारी रही क्योंकि व्हाइट हाउस में बैठे निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार स्वीकार करने से इनकार कर दिया. ट्रंप की विचित्रता हार गई थी क्योंकि जो बाइडेन ने इलेक्टोरल कॉलेज से भी 306 वोट हासिल किए.

जीत को अभिव्यक्त करने वाले अपने ट्वीट में बाइडेन ने कहा, अमेरिका में राजनेता सत्ता नहीं लेते, लोग उन्हें यह अनुदान देते हैं. इस राष्ट्र में लोकतंत्र की लौ बहुत समय पहले जलाई गई थी और हम जानते हैं कि एक महामारी या सत्ता का दुरुपयोग कुछ भी नहीं है जो उस लौ को बुझा सकती है.

उन्होंने अमेरिकावासियों से ‘विभाजनकारी वाद-विवाद’ के पन्ने को पलटने की अपील की और राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया. बाइडेन ने अपनी प्राथमिकता कोविड महामारी से लड़ने के लिए व्यापक टीकाकरण, गरीबों को आर्थिक सहायता और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के रूप में स्पष्ट की. चुनाव के दौरान ट्रम्प ने अमेरिकी समाज को त्वचा के रंग के आधार पर विभाजित करने के लिए कड़ी मेहनत की. यह उन मतों की रिकॉर्ड संख्या से स्पष्ट है जो वह हारने के बावजूद हासिल करने में कामयाब रहे. ट्रंप ने यह कहते हुए अनुचित आक्रोश व्यक्त किया कि बाइडेन ने जीत चुरा ली. यह बयान वाशिंगटन में सड़कों पर संघर्ष का कारण बना था.

खतरनाक था ट्रंप का रवैया

ट्रंप ने जिस तरह से व्यवहार किया वह अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए अभूतपूर्व था. उन्होंने उन अधिकारियों को गाली दी जिन्होंने कहा कि चुनाव में कोई अनियमितता नहीं हुई. उन्होंने न सिर्फ न्यायपालिका की आलोचना की बल्कि उन लोगों को प्रमुख पदों से भी हटा दिया, जिन्होंने उनका हुकुम बजाने से इनकार कर दिया. उनका रवैया कोविड महामारी से ज्यादा खतरनाक था.

ट्रंप के अमले ने मिशिगन में निर्वाचक मंडल के 16 वोटों को बदलने का प्रयास करके चुनाव को पलटने की कोशिश की. ट्रंप के लिए परिणामों को पलटने से इनकार करते हुए मिशिगन में सदन के अध्यक्ष रिपब्लिकन ली चैटफ़ील्ड ने कहा, मैं ट्रंप के लिए निर्वाचकों को बदलने के लिए पूर्व व्यापी प्रभाव से प्रस्ताव पारित करके अपने मानदंडों, परंपराओं और संस्थाओं को खतरे में नहीं डाल सकता.

अध्यक्ष ने अनियमितता की अनुमति देने पर देश को हमेशा के लिए खो देने का भय जताया. उनके शब्द ट्रंप कितने नीचे गिर सकते हैं उन गहराइयों को उजागर करते हैं. ‘इकोनॉमिस्ट’ की ओर से चार साल पहले किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया था कि ट्रंप का फिर से चुनाव दुनिया के सामने सबसे गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.

पढ़ें- लोकतंत्र कायम रहा, सच की जीत हुई: जो बाइडेन

ट्रंप ने पिछले चार वर्षों के दौरान उन्हें गलत साबित करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी. राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपने पहले भाषण में ट्रंप ने कहा था,’ इस दिन से एक नई दृष्टि का शासन होगा. यह केवल ‘अमेरिका फर्स्ट’ होने जा रहा है’. लेकिन उन्होंने सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को हंसी में उड़ा दिया और एक अभूतपूर्व अहंकार में डूबे रहे. अपने अस्थिर विचारों वाले फैसलों से उन्होंने अमेरिका को अलग-थलग कर दिया.

ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस समझौते और ईरान के साथ परमाणु संधि से एकतरफा तौर पर अलग कर लिया. उन्होंने ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन और विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी छोड़ दिया. उन्होंने चीन के साथ वाणिज्यिक संघर्ष का आह्वान किया जिससे राष्ट्र मंडल के बीच बहुत अधिक घबराहट थी.

पढ़ें- अमेरिका चुनाव : हार के बाद ट्रंप का पहला बड़ा कदम, रक्षा सचिव एस्पर बर्खास्त

चुनाव के बाद सत्ता के हस्तांतरण में ट्रंप ने हर कदम पर बाधा पैदा करने की कोशिश की. ट्रंप अब कह रहे हैं कि वह 2024 का राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे. बाइडेन ने दक्षिण भारतीय जड़ों वाली कमला हैरिस को चुनकर विजयी कदम बनाया. बाइडेन को उस गढ़ की मरम्मत करनी है और उसे पुनर्स्थापित करनी है जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका की राजव्यवस्था कहा जाता है और जो डोनाल्ड ट्रंप के प्रहारों से शिथिल हो गया है. बाइडेन-हैरिस की टीम के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को एकजुट करना पहली चुनौती है.

हैदराबाद: स्वतंत्रता, समानता और स्व-शासन के मुख्य सिद्धांतों पर निर्मित दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के गढ़ में से एक अमेरिकी लोकतंत्र को इस बार सबसे ज्यादा उथल-पुथल का सामना करना पड़ा. नवंबर में हुए देश के 46 वें राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन 8 करोड़ वोटों के अंतर से विजयी रहे. अनिश्चितता जारी रही क्योंकि व्हाइट हाउस में बैठे निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार स्वीकार करने से इनकार कर दिया. ट्रंप की विचित्रता हार गई थी क्योंकि जो बाइडेन ने इलेक्टोरल कॉलेज से भी 306 वोट हासिल किए.

जीत को अभिव्यक्त करने वाले अपने ट्वीट में बाइडेन ने कहा, अमेरिका में राजनेता सत्ता नहीं लेते, लोग उन्हें यह अनुदान देते हैं. इस राष्ट्र में लोकतंत्र की लौ बहुत समय पहले जलाई गई थी और हम जानते हैं कि एक महामारी या सत्ता का दुरुपयोग कुछ भी नहीं है जो उस लौ को बुझा सकती है.

उन्होंने अमेरिकावासियों से ‘विभाजनकारी वाद-विवाद’ के पन्ने को पलटने की अपील की और राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया. बाइडेन ने अपनी प्राथमिकता कोविड महामारी से लड़ने के लिए व्यापक टीकाकरण, गरीबों को आर्थिक सहायता और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के रूप में स्पष्ट की. चुनाव के दौरान ट्रम्प ने अमेरिकी समाज को त्वचा के रंग के आधार पर विभाजित करने के लिए कड़ी मेहनत की. यह उन मतों की रिकॉर्ड संख्या से स्पष्ट है जो वह हारने के बावजूद हासिल करने में कामयाब रहे. ट्रंप ने यह कहते हुए अनुचित आक्रोश व्यक्त किया कि बाइडेन ने जीत चुरा ली. यह बयान वाशिंगटन में सड़कों पर संघर्ष का कारण बना था.

खतरनाक था ट्रंप का रवैया

ट्रंप ने जिस तरह से व्यवहार किया वह अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए अभूतपूर्व था. उन्होंने उन अधिकारियों को गाली दी जिन्होंने कहा कि चुनाव में कोई अनियमितता नहीं हुई. उन्होंने न सिर्फ न्यायपालिका की आलोचना की बल्कि उन लोगों को प्रमुख पदों से भी हटा दिया, जिन्होंने उनका हुकुम बजाने से इनकार कर दिया. उनका रवैया कोविड महामारी से ज्यादा खतरनाक था.

ट्रंप के अमले ने मिशिगन में निर्वाचक मंडल के 16 वोटों को बदलने का प्रयास करके चुनाव को पलटने की कोशिश की. ट्रंप के लिए परिणामों को पलटने से इनकार करते हुए मिशिगन में सदन के अध्यक्ष रिपब्लिकन ली चैटफ़ील्ड ने कहा, मैं ट्रंप के लिए निर्वाचकों को बदलने के लिए पूर्व व्यापी प्रभाव से प्रस्ताव पारित करके अपने मानदंडों, परंपराओं और संस्थाओं को खतरे में नहीं डाल सकता.

अध्यक्ष ने अनियमितता की अनुमति देने पर देश को हमेशा के लिए खो देने का भय जताया. उनके शब्द ट्रंप कितने नीचे गिर सकते हैं उन गहराइयों को उजागर करते हैं. ‘इकोनॉमिस्ट’ की ओर से चार साल पहले किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया था कि ट्रंप का फिर से चुनाव दुनिया के सामने सबसे गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.

पढ़ें- लोकतंत्र कायम रहा, सच की जीत हुई: जो बाइडेन

ट्रंप ने पिछले चार वर्षों के दौरान उन्हें गलत साबित करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी. राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपने पहले भाषण में ट्रंप ने कहा था,’ इस दिन से एक नई दृष्टि का शासन होगा. यह केवल ‘अमेरिका फर्स्ट’ होने जा रहा है’. लेकिन उन्होंने सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को हंसी में उड़ा दिया और एक अभूतपूर्व अहंकार में डूबे रहे. अपने अस्थिर विचारों वाले फैसलों से उन्होंने अमेरिका को अलग-थलग कर दिया.

ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस समझौते और ईरान के साथ परमाणु संधि से एकतरफा तौर पर अलग कर लिया. उन्होंने ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन और विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी छोड़ दिया. उन्होंने चीन के साथ वाणिज्यिक संघर्ष का आह्वान किया जिससे राष्ट्र मंडल के बीच बहुत अधिक घबराहट थी.

पढ़ें- अमेरिका चुनाव : हार के बाद ट्रंप का पहला बड़ा कदम, रक्षा सचिव एस्पर बर्खास्त

चुनाव के बाद सत्ता के हस्तांतरण में ट्रंप ने हर कदम पर बाधा पैदा करने की कोशिश की. ट्रंप अब कह रहे हैं कि वह 2024 का राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे. बाइडेन ने दक्षिण भारतीय जड़ों वाली कमला हैरिस को चुनकर विजयी कदम बनाया. बाइडेन को उस गढ़ की मरम्मत करनी है और उसे पुनर्स्थापित करनी है जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका की राजव्यवस्था कहा जाता है और जो डोनाल्ड ट्रंप के प्रहारों से शिथिल हो गया है. बाइडेन-हैरिस की टीम के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को एकजुट करना पहली चुनौती है.

Last Updated : Dec 19, 2020, 12:15 PM IST
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