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उत्तराखंड : भारत बिछा रहा चीन बॉर्डर तक सड़कों का जाल - road cutting work in uttrakhand

चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत ने भी बॉर्डर इलाकों में तेजी से सड़कों का जाल बिछाने का काम शुरू कर दिया है. पिथौरागढ़ की व्यास घाटी में लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद अब चीन से लगी दारमा घाटी में दुग्तु गांव तक सड़क कटिंग का काम भी पूरा हो गया है.

road cutting
सड़कों का जाल
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Published : Jun 25, 2020, 4:33 PM IST

देहरादून : चीन सीमा से सटी दारमा घाटी भी जल्द ही सड़क से जुड़ जाएगी. दारमा घाटी में केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने सड़क कटिंग का काम पूरा कर लिया है. इसके साथ ही यहां 7 में से 6 पुलों को भी तैयार कर लिया गया है. बरसात के बाद हॉटमिक्सिंग का काम भी शुरू कर दिया जाएगा. सड़क के तैयार हो जाने से दारमा घाटी के 14 गांवों की राह तो आसान होगी ही, साथ ही सुरक्षा बलों को भी बॉर्डर तक पहुंचने में आसानी होगी.

चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत ने भी बॉर्डर के इलाकों में तेजी से सड़कों का जाल बिछाने का काम शुरू कर दिया है. व्यास घाटी में लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद अब चीन से लगी दारमा घाटी में दुग्तु गांव तक सड़क कटिंग का काम भी पूरा हो गया है. दुग्तु गांव चीन की ज्ञानिमा मंडी के करीब है. दुग्तु गांव तक पहुंचने के लिए न्यू सोबला-दारमा मार्ग को बनाने में भारतीय इंजीनियरों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

पढ़ें :- भारत-चीन सीमा पर सड़क निर्माण में तेजी, हेलीकॉप्टरों से पहुंचाई गईं भारी मशीनें

सामरिक नजरिये से महत्वूर्ण मानी जाने वाली ये सड़क इसलिए भी अहम है क्योंकि तिब्बती मंडी ताकलाकोट के बाद चीन ने ज्ञानिमा मंडी के पास भी अपना ठिकाना बनाया है. दारमा घाटी में चीन सीमा के करीब एक गांव बिदांग है, लेकिन फिलहाल ये गांव पूरी तरह से खाली है. बिदांग से पहले दांतू, तिदांग, मार्चा और सीपू में कुछ आबादी निवास करती है. दुग्तु गांव तक जिन कठिन हालातों में सड़क बनाई गई है, वो भारतीय इंजीनियरिंग का कमाल है.

देहरादून : चीन सीमा से सटी दारमा घाटी भी जल्द ही सड़क से जुड़ जाएगी. दारमा घाटी में केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने सड़क कटिंग का काम पूरा कर लिया है. इसके साथ ही यहां 7 में से 6 पुलों को भी तैयार कर लिया गया है. बरसात के बाद हॉटमिक्सिंग का काम भी शुरू कर दिया जाएगा. सड़क के तैयार हो जाने से दारमा घाटी के 14 गांवों की राह तो आसान होगी ही, साथ ही सुरक्षा बलों को भी बॉर्डर तक पहुंचने में आसानी होगी.

चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत ने भी बॉर्डर के इलाकों में तेजी से सड़कों का जाल बिछाने का काम शुरू कर दिया है. व्यास घाटी में लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद अब चीन से लगी दारमा घाटी में दुग्तु गांव तक सड़क कटिंग का काम भी पूरा हो गया है. दुग्तु गांव चीन की ज्ञानिमा मंडी के करीब है. दुग्तु गांव तक पहुंचने के लिए न्यू सोबला-दारमा मार्ग को बनाने में भारतीय इंजीनियरों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

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सामरिक नजरिये से महत्वूर्ण मानी जाने वाली ये सड़क इसलिए भी अहम है क्योंकि तिब्बती मंडी ताकलाकोट के बाद चीन ने ज्ञानिमा मंडी के पास भी अपना ठिकाना बनाया है. दारमा घाटी में चीन सीमा के करीब एक गांव बिदांग है, लेकिन फिलहाल ये गांव पूरी तरह से खाली है. बिदांग से पहले दांतू, तिदांग, मार्चा और सीपू में कुछ आबादी निवास करती है. दुग्तु गांव तक जिन कठिन हालातों में सड़क बनाई गई है, वो भारतीय इंजीनियरिंग का कमाल है.

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