नई दिल्ली : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( सीपीआई- मार्कसिस्ट) ने जामिया में हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. पार्टी ने साथ ही यह भी कहा कि वर्तमान सरकार में संविधान की मूल संरचना खतरे में है.
पश्चिम बंगाल से लोकसभा सांसद व सीपीएम के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह ने मंगलवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि मौजूदा सरकार के दौर में भारतीय संविधान का मूल सिद्धांत खतरे में है. नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर आक्रमण है.
मोल्लाह ने कहा कि यह कानून एक वर्ग विशेष को टारगेट कर रहा है. भले ही सरकार कुछ भी कहे, ये लोग अपने एजेंडे को पूरा कर रहे हैं. ये पहले सीएए लेकर आए, अब वे अपने अगले लक्ष्य यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की तरफ बढ़ेंगे और फिर नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजन (एनआरसी ) लाएंगे. यही वजह है कि भारत के एक बड़े हिस्से में इस कानून के खिलाफ विरोध चल रहा है.
सीपीएम नेता ने यह भी दावा किया कि मौजूदा बीजेपी सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का एजेंडा लागू कर रही है. उन्होंने कहा कि भारत के नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 14,15, 21 और 25 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों को खतरा है.
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लोकसभा सांसद मोल्लाह ने कहा कि मानव संसाधन और विकास मंत्रालय को जामिया हिंसा और बर्बरता की जांच बैठाने की पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पुलिस ने लाइब्रेरी के अंदर घुसकर सामानों को तहस नहस कर दिया. उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर कुलपति की अनुमति के बिना पुलिस अंदर कैसे जा सकती है.
वरिष्ठ सीपीएम नेता ने हिंसा की पूरी घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा, 'हम लोग हिंसा की न्यायिक जांच की मांग करते हैं. इस हिंसा में बहुत सारे छाात्र मारे जा सकते थे. हमारा मानना है कि पुलिस के अंदर भी कुछ एजेंट हैं, जो हिंसा भड़काने की कोशिश करते हैं.
गौरतलब है कि प्रतिष्ठित जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में गत रविवार को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे. हिंसा में कई गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया था.