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मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ माकपा आज करेगी प्रदर्शन

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Published : Jun 15, 2020, 7:15 PM IST

Updated : Jun 16, 2020, 6:20 AM IST

कोरोना महामारी के बीच देश के वामपंथी दल आज मोदी सरकार के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन करने जा रहे हैं. वामपंथी दलों ने आरोप लगाया है कि लगातार उनकी मांगों और सुझावों की केंद्र सरकार ने अनदेखी की है.

CPIM Nationwide Protest
सीताराम येचुरी

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच देश के वामपंथी दल जनता की राहत के लिए लगातार अपनी मांग सरकार के सामने रखते रहे हैं. उनका आरोप है कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों और सुझावों को अनदेखा किया है, जिसके कारण देश में आज स्थिति भयावह होती जा रही है. अपनी मांगों के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.

यह देशव्यापी प्रदर्शन माकपा की तीन प्रमुख मांगों के अलावा मोदी सरकार के बड़े स्तर पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निजीकरण और श्रम कानून में राज्यों के द्वारा किए जा रहे बदलावों के विरोध में भी है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने व्यक्तव्य जारी करते हुए कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह महामारी को ध्यान में रखते हुए पूरी सावधानी से दिशानिर्देशों का पालन करते हुए ही विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लें.

लॉकडाउन के शुरुआत से ही माकपा और अन्य वामपंथी दल भी यह मांग करते रहे हैं कि ऐसे मुश्किल समय में लोगों को सरकार निश्चित आर्थिक मदद दे. उनकी मांग के मुताबिक देश के जिन परिवारों की आमदनी टैक्स श्रेणी में नहीं है उन्हें ₹7500 प्रति माह की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा अगले छह महीने तक मिलनी चाहिए.

दूसरी मांग में पार्टी का कहना है कि देश के प्रत्येक नागरिक को 10 किलो अनाज प्रति माह अगले छह महीने तक मिलना चाहिए. तीसरी मांग है रोजगार से संबंधित. माकपा ने सरकार से मांग की थी की मनरेगा के तहत सभी को कम से कम 200 दिनों का रोजगार मिलना सुनिश्चित किया जाए. साथ ही मनरेगा योजना का लाभ शहरों में रहने वाले गरीब लोगों को भी मिलना चाहिए.

लॉकडाउन के कारण करोड़ों लोगों की नौकरियां गई हैं और रोजगार पर असर पड़ा है. उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग भी पार्टी ने उठाई है. अपनी मांगों के साथ माकपा समेत अन्य वामपंथी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक को पत्र लिखा, लेकिन सरकार की तरफ से इन मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

मांगों के अलावा मोदी सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र में बड़े स्तर पर निजीकरण और राज्यों द्वारा श्रम कानून में बदलाव का भी वाम दल विरोध कर रहे हैं. माकपा ने केंद्र को राष्ट्रीय पूंजी की लूट के लिए भी जिम्मेदार ठहराया है.

विपक्षी पार्टियों के लगातार गतिरोध के बावजूद लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने बड़े निर्णय लिए हैं. महामारी के खतरे के बीच विपक्षी पार्टियां अभी तक कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन दर्ज नहीं कर पाई हैं. सोशल मीडिया और वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सरकार की नीतियों की आलोचना लगातार विपक्ष और अन्य संगठनों द्वारा होती रही है.

ऐसे में अनलॉक दो में अब माकपा ने फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए देशव्यापी प्रदर्शन करने का आह्वान किया है. जानकारी यह भी है कि जून और जुलाई में सरकार को और भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते

पढ़ें-दिल्ली में कोरोना संकट : सर्वदलीय बैठक में अमित शाह ने हालात की समीक्षा कीहैं.

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच देश के वामपंथी दल जनता की राहत के लिए लगातार अपनी मांग सरकार के सामने रखते रहे हैं. उनका आरोप है कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों और सुझावों को अनदेखा किया है, जिसके कारण देश में आज स्थिति भयावह होती जा रही है. अपनी मांगों के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.

यह देशव्यापी प्रदर्शन माकपा की तीन प्रमुख मांगों के अलावा मोदी सरकार के बड़े स्तर पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निजीकरण और श्रम कानून में राज्यों के द्वारा किए जा रहे बदलावों के विरोध में भी है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने व्यक्तव्य जारी करते हुए कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह महामारी को ध्यान में रखते हुए पूरी सावधानी से दिशानिर्देशों का पालन करते हुए ही विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लें.

लॉकडाउन के शुरुआत से ही माकपा और अन्य वामपंथी दल भी यह मांग करते रहे हैं कि ऐसे मुश्किल समय में लोगों को सरकार निश्चित आर्थिक मदद दे. उनकी मांग के मुताबिक देश के जिन परिवारों की आमदनी टैक्स श्रेणी में नहीं है उन्हें ₹7500 प्रति माह की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा अगले छह महीने तक मिलनी चाहिए.

दूसरी मांग में पार्टी का कहना है कि देश के प्रत्येक नागरिक को 10 किलो अनाज प्रति माह अगले छह महीने तक मिलना चाहिए. तीसरी मांग है रोजगार से संबंधित. माकपा ने सरकार से मांग की थी की मनरेगा के तहत सभी को कम से कम 200 दिनों का रोजगार मिलना सुनिश्चित किया जाए. साथ ही मनरेगा योजना का लाभ शहरों में रहने वाले गरीब लोगों को भी मिलना चाहिए.

लॉकडाउन के कारण करोड़ों लोगों की नौकरियां गई हैं और रोजगार पर असर पड़ा है. उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग भी पार्टी ने उठाई है. अपनी मांगों के साथ माकपा समेत अन्य वामपंथी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक को पत्र लिखा, लेकिन सरकार की तरफ से इन मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

मांगों के अलावा मोदी सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र में बड़े स्तर पर निजीकरण और राज्यों द्वारा श्रम कानून में बदलाव का भी वाम दल विरोध कर रहे हैं. माकपा ने केंद्र को राष्ट्रीय पूंजी की लूट के लिए भी जिम्मेदार ठहराया है.

विपक्षी पार्टियों के लगातार गतिरोध के बावजूद लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने बड़े निर्णय लिए हैं. महामारी के खतरे के बीच विपक्षी पार्टियां अभी तक कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन दर्ज नहीं कर पाई हैं. सोशल मीडिया और वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सरकार की नीतियों की आलोचना लगातार विपक्ष और अन्य संगठनों द्वारा होती रही है.

ऐसे में अनलॉक दो में अब माकपा ने फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए देशव्यापी प्रदर्शन करने का आह्वान किया है. जानकारी यह भी है कि जून और जुलाई में सरकार को और भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते

पढ़ें-दिल्ली में कोरोना संकट : सर्वदलीय बैठक में अमित शाह ने हालात की समीक्षा कीहैं.

Last Updated : Jun 16, 2020, 6:20 AM IST
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