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कोरोना संकट : लॉकडाउन से मंदी के कारण बढ़ सकती है मानव तस्करी

संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) कार्यालय का कहना है कि कोरोना महामारी ने आर्थिक मंदी को जन्म दिया है, जो संभावित रूप से सबसे प्रभावित देशों से प्रवासियों के स्थानों पर प्रवासियों की तस्करी को बढ़ा सकता है.

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Published : May 17, 2020, 6:49 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी अब एक वैश्विक संकट में विकसित हो चुकी है. प्रवासी श्रमिकों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता रहेगा. हालांकि यात्रा पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, लेकिन संघर्ष, हिंसा, मानव अधिकारों के हनन और भागने वाले लोगों की आवाजाही रुक नहीं रही है.

ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) के संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय का कहना है कि महामारी से आर्थिक मंदी आ गई है, जिससे प्रभावित देशों से धनी देशों में मानव तस्करी बढ़ सकती है.

यह महामारी संभावित रूप से प्रवासियों और शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती है.

प्रवासी मजदूर भूमध्य सागर, अफ्रीकी, मध्य पूर्वी और उत्तरी अफ्रीकी और एशियाई क्षेत्र में भागते हुए पकड़े जा रहे हैं. वहीं समुद्र में खोज और बचाव अभियान में कमी आई है, जिससे COVID-19 के प्रसारण का जोखिम बढ़ जाएगा.

लॉकडाउन के कारण पश्चिमी और मध्य भूमध्यसागरीय तस्करी मार्गों के साथ प्रवासियों की तस्करी में सख्त प्रतिबंध लग गया है.

लॉकडाउन के कारण सख्त प्रतिबंध के बीच पश्चिमी और मध्य भूमध्यसागरीय तस्करी मार्गों से प्रवासियों की तस्करी संभव है. हालांकि कंटेन्मेंट उपायों की वजह से प्रवासी पूर्वी भूमध्यसागरीय मार्ग से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.

इस बीच, प्रतिबंधों और लॉकडाउन से तस्करी में रोक लग गई है, जिसकी वजह से तस्करी की कीमतें बढ़ गईं हैं. इस कारण मजदूरों को जोखिम भरे रास्तों और स्थितियों में ले जाने का खतरा बढ़ गया है.

वैश्विक आर्थिक संकट के कारण बेरोजगारी दर में वृद्धि होने वाली है, जो आगे चलकर नौकरी संकट का सामना करने वाले देशों में सीमा पार से तस्करी का कारण बनेगी.

घातक कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के परिणाम स्वरूप कई देशों में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ जाएगी. इससे तस्करों द्वारा लोगों को निशाना बनाए जाने की संभावना बढ़ जाएगी.

पढ़ें-आर्थिक पैकेज : यहां जानिए 20 लाख करोड़ रुपये का पूरा लेखा-जोखा

यूएनओडीसी के शोध में कहा गया है कि अगले वैश्विक आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप उन लोगों का शोषण होगा, जो विदेशों में बेहतर जीवन की तलाश कर रहे हैं.

हालांकि, यदि विकसित और विकासशील दोनों देश अर्थव्यवस्था को पुनर्प्राप्त करने के लिए निवेश करते हैं, तो प्रवासियों की तस्करी से बचा जा सकता है.

देश शरणार्थियों और प्रवासियों को सुरक्षित यात्रा प्रदान करके प्रवासी मजदूरों को तस्करी से बचा सकते हैं.

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी अब एक वैश्विक संकट में विकसित हो चुकी है. प्रवासी श्रमिकों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता रहेगा. हालांकि यात्रा पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, लेकिन संघर्ष, हिंसा, मानव अधिकारों के हनन और भागने वाले लोगों की आवाजाही रुक नहीं रही है.

ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) के संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय का कहना है कि महामारी से आर्थिक मंदी आ गई है, जिससे प्रभावित देशों से धनी देशों में मानव तस्करी बढ़ सकती है.

यह महामारी संभावित रूप से प्रवासियों और शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती है.

प्रवासी मजदूर भूमध्य सागर, अफ्रीकी, मध्य पूर्वी और उत्तरी अफ्रीकी और एशियाई क्षेत्र में भागते हुए पकड़े जा रहे हैं. वहीं समुद्र में खोज और बचाव अभियान में कमी आई है, जिससे COVID-19 के प्रसारण का जोखिम बढ़ जाएगा.

लॉकडाउन के कारण पश्चिमी और मध्य भूमध्यसागरीय तस्करी मार्गों के साथ प्रवासियों की तस्करी में सख्त प्रतिबंध लग गया है.

लॉकडाउन के कारण सख्त प्रतिबंध के बीच पश्चिमी और मध्य भूमध्यसागरीय तस्करी मार्गों से प्रवासियों की तस्करी संभव है. हालांकि कंटेन्मेंट उपायों की वजह से प्रवासी पूर्वी भूमध्यसागरीय मार्ग से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.

इस बीच, प्रतिबंधों और लॉकडाउन से तस्करी में रोक लग गई है, जिसकी वजह से तस्करी की कीमतें बढ़ गईं हैं. इस कारण मजदूरों को जोखिम भरे रास्तों और स्थितियों में ले जाने का खतरा बढ़ गया है.

वैश्विक आर्थिक संकट के कारण बेरोजगारी दर में वृद्धि होने वाली है, जो आगे चलकर नौकरी संकट का सामना करने वाले देशों में सीमा पार से तस्करी का कारण बनेगी.

घातक कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के परिणाम स्वरूप कई देशों में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ जाएगी. इससे तस्करों द्वारा लोगों को निशाना बनाए जाने की संभावना बढ़ जाएगी.

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यूएनओडीसी के शोध में कहा गया है कि अगले वैश्विक आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप उन लोगों का शोषण होगा, जो विदेशों में बेहतर जीवन की तलाश कर रहे हैं.

हालांकि, यदि विकसित और विकासशील दोनों देश अर्थव्यवस्था को पुनर्प्राप्त करने के लिए निवेश करते हैं, तो प्रवासियों की तस्करी से बचा जा सकता है.

देश शरणार्थियों और प्रवासियों को सुरक्षित यात्रा प्रदान करके प्रवासी मजदूरों को तस्करी से बचा सकते हैं.

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