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कोवैक्सीन की सप्लाई ब्राजील में भी करेगी भारत बायोटेक, हुआ समझौता - प्रिसिसा मेडिकमेंटोस

कोरोना महामारी से बचाव का टीका बना रही कंपनी- भारत बायोटेक ने कहा है कि कंपनी द्वारा विकसित कोवैक्सीन की सप्लाई ब्राजील में भी की जाएगी.

भारत बायोटेक
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Published : Jan 12, 2021, 6:20 PM IST

Updated : Jan 12, 2021, 8:32 PM IST

हैदराबाद : भारत बायोटेक ने घोषणा की है कि उसने ब्राजील को कोवैक्सिन की आपूर्ति के लिए प्रीसिसा मेडिकमेन्टोस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. बता दें कि विगत तीन जनवरी को कोवैक्सीन के आपात प्रयोग को मंजूरी दी गई थी.

कोवैक्सीन के आपात प्रयोग की मंजूरी पर भारत बायोटेक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने एक बयान में कहा था, 'कोवैक्सीन के आपात उपयोग को मंजूरी मिलना भारत में नवोन्मेष तथा नये उत्पादों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग है. यह देश के लिये गर्व का समय है और भारतीय वैज्ञानिक क्षमता का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. यह देश में नवोन्मेष के लिये अनुकूल परिवेश की शुरुआत है.'

उन्होंने कहा कि यह टीका महामारी के इस दौर में एक ऐसी चिकित्सकीय जरूरत को पूरा करता है, जिसका कोई हल नहीं था. कंपनी का लक्ष्य दुनिया भर के उन लोगों को टीका मुहैया कराना है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है.

कोविड-19 के लिए भारत के पहले स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन की संभावित निर्यात संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए पिछले सप्ताह प्रीसिसा मेडिकामेंट्स की एक टीम ने भारत बायोटेक सुविधा का दौरा किया.

टीम ने सात-आठ जनवरी को भारत बायोटेक में डॉ कृष्णा एला से मुलाकात की. चर्चा के दौरान भारत में ब्राजील के राजदूत आन्द्रे अरणा कोरसा डू लागो भी आभासी रूप से शामिल हुए.

उन्होंने कोवैक्सीन की खरीद के लिए ब्राजील सरकार की ओर से अपनी गहरी रुचि व्यक्त की. इस दौरान सहमति बनी कि निजी बाजार में वैक्सीन की आपूर्ति ब्राजील नियामक प्राधिकरण के आधार पर होगी.

भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ कृष्णा एल्ला ने ब्राजील सरकार द्वारा व्यक्त की गई रुचि से प्रसन्न होकर कहा, कोविड-19 महामारी ने मानवता को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है.

वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक कंपनी के रूप में हमारे लिए यह हमेशा महत्वपूर्ण रहा है कि हम टीके विकसित करें. कोवैक्सीन भारत की ओर से एक नवाचार और उत्पाद विकास का एक आदर्श उदाहरण है.

यह भी पढ़ें: दो देसी वैक्सीनों को मिली अनुमति, जाने ये कैसे करेंगी काम !

हमारा लक्ष्य भारत बायोटेक में विकसित सभी टीकों दुनियाभर के जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाना है. हमें यह जानकर खुशी हो रही है कि भारत में बने नए टीके ब्राजील की सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने सक्षम हैं.

हैदराबाद में भारत बायोटेक की जीनोम वैली की यात्रा के बाद प्रिसिसा मेडिकमेंटोस के दवा निदेशक इमानुला मेड्रडेस ने कहा कि हमने अत्यधिक तकनीकी, वैज्ञानिक और स्वच्छता नियंत्रण स्तरों की पहचान की.

नैदानिक परीक्षणों में उत्कृष्ट परिणाम भी मिले, जिन्हें जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा. भारत बायोटेक हमारी अपेक्षाओं को पार कर गया है. कोवैक्सीन एक अत्यधिक शुद्ध और निष्क्रिय सार्स-कोव-2 वैक्सीन है, जो 300 मिलियन से अधिक खुराक के एक उत्कृष्ट सुरक्षा ट्रैक रिकॉर्ड के साथ वेरो सेल निर्माण मंच द्वारा बनाई गई.

कोवैक्सीन के तीसरे चरण का मानव नैदानिक परीक्षण नवंबर के मध्य में शुरू हुआ, जो वर्तमान में पूरे भारत में 26,000 स्वयंसेवकों पर चल रहा है.यह कोविड -19 वैक्सीन के लिए भारत का पहला और एकमात्र तीसरे चरण का अध्ययन है.

यह भी पढ़ें: कोवैक्सीन और कोविशील्ड को आपात इस्तेमाल की मंजूरी, डब्लूएचओ ने की सराहना

इससे पहले तीन जनवरी को ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा विकसित कोरोना टीका - कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन - कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी थी.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि टीकाकरण शुरुआती दौर में हेल्थ वॉरियर्स, बीमार और बुजुर्ग व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी. भारत के इस महत्वपूर्ण कदम पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने देश की सराहना की है.

हैदराबाद : भारत बायोटेक ने घोषणा की है कि उसने ब्राजील को कोवैक्सिन की आपूर्ति के लिए प्रीसिसा मेडिकमेन्टोस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. बता दें कि विगत तीन जनवरी को कोवैक्सीन के आपात प्रयोग को मंजूरी दी गई थी.

कोवैक्सीन के आपात प्रयोग की मंजूरी पर भारत बायोटेक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने एक बयान में कहा था, 'कोवैक्सीन के आपात उपयोग को मंजूरी मिलना भारत में नवोन्मेष तथा नये उत्पादों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग है. यह देश के लिये गर्व का समय है और भारतीय वैज्ञानिक क्षमता का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. यह देश में नवोन्मेष के लिये अनुकूल परिवेश की शुरुआत है.'

उन्होंने कहा कि यह टीका महामारी के इस दौर में एक ऐसी चिकित्सकीय जरूरत को पूरा करता है, जिसका कोई हल नहीं था. कंपनी का लक्ष्य दुनिया भर के उन लोगों को टीका मुहैया कराना है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है.

कोविड-19 के लिए भारत के पहले स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन की संभावित निर्यात संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए पिछले सप्ताह प्रीसिसा मेडिकामेंट्स की एक टीम ने भारत बायोटेक सुविधा का दौरा किया.

टीम ने सात-आठ जनवरी को भारत बायोटेक में डॉ कृष्णा एला से मुलाकात की. चर्चा के दौरान भारत में ब्राजील के राजदूत आन्द्रे अरणा कोरसा डू लागो भी आभासी रूप से शामिल हुए.

उन्होंने कोवैक्सीन की खरीद के लिए ब्राजील सरकार की ओर से अपनी गहरी रुचि व्यक्त की. इस दौरान सहमति बनी कि निजी बाजार में वैक्सीन की आपूर्ति ब्राजील नियामक प्राधिकरण के आधार पर होगी.

भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ कृष्णा एल्ला ने ब्राजील सरकार द्वारा व्यक्त की गई रुचि से प्रसन्न होकर कहा, कोविड-19 महामारी ने मानवता को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है.

वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक कंपनी के रूप में हमारे लिए यह हमेशा महत्वपूर्ण रहा है कि हम टीके विकसित करें. कोवैक्सीन भारत की ओर से एक नवाचार और उत्पाद विकास का एक आदर्श उदाहरण है.

यह भी पढ़ें: दो देसी वैक्सीनों को मिली अनुमति, जाने ये कैसे करेंगी काम !

हमारा लक्ष्य भारत बायोटेक में विकसित सभी टीकों दुनियाभर के जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाना है. हमें यह जानकर खुशी हो रही है कि भारत में बने नए टीके ब्राजील की सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने सक्षम हैं.

हैदराबाद में भारत बायोटेक की जीनोम वैली की यात्रा के बाद प्रिसिसा मेडिकमेंटोस के दवा निदेशक इमानुला मेड्रडेस ने कहा कि हमने अत्यधिक तकनीकी, वैज्ञानिक और स्वच्छता नियंत्रण स्तरों की पहचान की.

नैदानिक परीक्षणों में उत्कृष्ट परिणाम भी मिले, जिन्हें जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा. भारत बायोटेक हमारी अपेक्षाओं को पार कर गया है. कोवैक्सीन एक अत्यधिक शुद्ध और निष्क्रिय सार्स-कोव-2 वैक्सीन है, जो 300 मिलियन से अधिक खुराक के एक उत्कृष्ट सुरक्षा ट्रैक रिकॉर्ड के साथ वेरो सेल निर्माण मंच द्वारा बनाई गई.

कोवैक्सीन के तीसरे चरण का मानव नैदानिक परीक्षण नवंबर के मध्य में शुरू हुआ, जो वर्तमान में पूरे भारत में 26,000 स्वयंसेवकों पर चल रहा है.यह कोविड -19 वैक्सीन के लिए भारत का पहला और एकमात्र तीसरे चरण का अध्ययन है.

यह भी पढ़ें: कोवैक्सीन और कोविशील्ड को आपात इस्तेमाल की मंजूरी, डब्लूएचओ ने की सराहना

इससे पहले तीन जनवरी को ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा विकसित कोरोना टीका - कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन - कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी थी.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि टीकाकरण शुरुआती दौर में हेल्थ वॉरियर्स, बीमार और बुजुर्ग व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी. भारत के इस महत्वपूर्ण कदम पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने देश की सराहना की है.

Last Updated : Jan 12, 2021, 8:32 PM IST
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