नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक लिमिटेड की ओर से विकसित की जा रही 'कोवैक्सीन' के फरवरी 2021 के अंत तक आम जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होने की संभावना है.
एम्स में इसके क्लीनिकल ट्रायल के प्रमुख जांचकर्ता डॉ. संजय रॉय ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर सकते हैं कि फरवरी तक सामान्य लोगों को वैक्सीन की खुराक मिलने लगेगी.
रॉय ने यह भी कहा कि दो स्वदेशी वैक्सीन उम्मीदवार, जो कि इसे विकसित करने में आगे है, उनकी वैक्सीन 2021 की पहली तिमाही के अंत से पहले बाजार में पहुंचने की उम्मीद है.
भारत बायोटेक के अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से विकसित की जा रही कोविशिल्ड भी सबसे आगे चल रही कंपनियों में से है और नैदानिक परीक्षण के तीसरे चरण में है. रॉय ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह वैक्सीन भी कोवैक्सीन के समय के आसपास ही सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध हो जाएगी.
कोवैक्सीन ने यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नैदानिक परीक्षणों के तीसरे चरण में प्रवेश किया है. रॉय ने कहा कि 100 से अधिक स्वयंसेवक वैक्सीन उम्मीदवार की पहली खुराक प्राप्त कर चुके हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण के लिए 26,000 स्वयंसेवकों का लक्ष्य निर्धारित है.
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स्वयंसेवकों को 28 दिनों की अवधि में दो इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन दिए जाएंगे. इस दौरान स्वयंसेवकों को कोवैक्सीन या प्लेसीबो या रेंडमली तौर पर दिया जाएगा. जांचकर्ताओं, प्रतिभागियों और कंपनी तक को यह जानकारी नहीं होगी कि कौन सी डोज किस समूह को दी गई है.
परीक्षण में नामांकन पात्रता के लिए सबसे कम आयु 18 वर्ष रखी गई है. जो स्वयंसेवक इस परीक्षण में भाग लेना चाहते हैं, उनकी आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए.
बता दें कि भारत बायोटेक ने आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के सामने आवेदन किया है. इससे पहले एसआईआई ने रविवार आपातकालीन उपयोग की मंजूरी लेने के लिए आवेदन किया था. इन दोनों के अलावा अमेरिका स्थित फार्मा दिग्गज फाइजर इंक ने उसके द्वारा विकसित कोविड-19 टीके के आपातकालीन इस्तेमाल की औपचारिक मंजूरी के लिए चार दिसंबर को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के समक्ष आवेदन किया है.