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कोरोना के डर से कर्नाटक सरकार ने कैदियों को पैरोल देने का तैयार किया मसौदा

कर्नाटक सरकार ने कोर्ट को बताया कि चेक बाउंस और अन्य मामलों में दोषी कुछ अपराधी बिना जुर्माना दिए जेलों में रहते हैं. सरकार ऐसे कैदियों की सुरक्षा के मद्देनजर जेलों में बंद लोगों को पैरोल देने के लिए नियमों में संशोधन किया जा रहा है.

कर्नाटक हाईकोर्ट
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Published : Jul 14, 2020, 5:45 AM IST

बेंगलुरु : कोरोना वायरस के जेलों में फैलने के बाद अब कुछ कैदियों को घर भेजने की कवायद की जा रही है. इस सिलसिले में कर्नाटक सरकार ने पैरोल नियमों में संशोधन करने के लिए एक मसौदा तैयार किया है.

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि चेक बाउंस और अन्य मामलों में दोषी कुछ अपराधी बिना जुर्माना दिए जेलों में रहते हैं. सरकार ऐसे कैदियों की सुरक्षा के मद्देनजर जेलों में बंद लोगों को पैरोल देने के लिए नियमों में संशोधन किया जा रहा है.

बता दें कि सोमवार को एस ओका की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कई लोगों द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई की, जिसमें सैयद शाहताज और एम मारुमती शामिल हैं, जो अदालत में जुर्माना अदा किए बिना जेल में रह रहे हैं.

सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कर्नाटक संक्रामक रोगों (कोविड -19) के तहत पैरोल नियमों में संशोधन किए गए हैं.

8 जुलाई को जारी एक मसौदा ई-गजट के अनुसार, जेल अधिकारियों को कैदियों को पैरोल देने के लिए 15 दिन की समय सीमा दी गई है.

पढ़ें - कोरोना महामारी से निबटने में डिजिटल इंडिया की भूमिका अहम

कोरोना महामारी के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण स्तर पर एक अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है, जिसमें सात साल से कम की सजा पाने वाले कैदियों को अस्थायी पैरोल देने और उन मामलों में अंतरिम जमानत देने का प्रावधान है, जिनमें अधिकतम सात साल की सजा होती है.

समिति द्वारा अनुशंसित अंतरिम जमानत और अस्थायी पैरोल पहले ही कई लोगों को दी जा चुकी है.

बेंगलुरु : कोरोना वायरस के जेलों में फैलने के बाद अब कुछ कैदियों को घर भेजने की कवायद की जा रही है. इस सिलसिले में कर्नाटक सरकार ने पैरोल नियमों में संशोधन करने के लिए एक मसौदा तैयार किया है.

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि चेक बाउंस और अन्य मामलों में दोषी कुछ अपराधी बिना जुर्माना दिए जेलों में रहते हैं. सरकार ऐसे कैदियों की सुरक्षा के मद्देनजर जेलों में बंद लोगों को पैरोल देने के लिए नियमों में संशोधन किया जा रहा है.

बता दें कि सोमवार को एस ओका की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कई लोगों द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई की, जिसमें सैयद शाहताज और एम मारुमती शामिल हैं, जो अदालत में जुर्माना अदा किए बिना जेल में रह रहे हैं.

सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कर्नाटक संक्रामक रोगों (कोविड -19) के तहत पैरोल नियमों में संशोधन किए गए हैं.

8 जुलाई को जारी एक मसौदा ई-गजट के अनुसार, जेल अधिकारियों को कैदियों को पैरोल देने के लिए 15 दिन की समय सीमा दी गई है.

पढ़ें - कोरोना महामारी से निबटने में डिजिटल इंडिया की भूमिका अहम

कोरोना महामारी के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण स्तर पर एक अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है, जिसमें सात साल से कम की सजा पाने वाले कैदियों को अस्थायी पैरोल देने और उन मामलों में अंतरिम जमानत देने का प्रावधान है, जिनमें अधिकतम सात साल की सजा होती है.

समिति द्वारा अनुशंसित अंतरिम जमानत और अस्थायी पैरोल पहले ही कई लोगों को दी जा चुकी है.

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