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राज्यपाल धनखड़ को हटाने की मांग बेतूकी : संवैधानिक विशेषज्ञ

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल धनखड़ को हटाने के लिए टीएमसी सांसदों द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र को संवैधानिक विशेषज्ञों ने बेतूका करार दिया है.

संवैधानिक विशेषज्ञ
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Published : Dec 30, 2020, 10:41 PM IST

कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए टीएमसी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया था. इस फैसले को संवैधानिक विशेषज्ञों ने बेतूका करार दिया है.

पार्टी ने राज्यपाल पर राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ लगातार टिप्पणी करके संवैधानिक मर्यादाओं को भंग करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही कहा है कि वह जनता के बीच एक चुनी हुई सरकार के प्रति अविश्वास की भावना पैदा कर रहे हैं.

संवैधानिक विशेषज्ञ अमल मुखोपाध्याय ने कहा कि राज्यपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति के पास जाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 156 खंड 1 के तहत कोई प्रावधान नहीं है. तृणमूल कांग्रेस संविधान की गलत व्याख्या कर रही है. अनुच्छेद जो राज्यपाल के कार्यकाल से संबंधित है, खंड 1 स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्यपाल राष्ट्रपति के अनुमती से पद धारण करेगा और अचानक उस पद को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है.

तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की एक टीम ने राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने अपने क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है.

तृणमूल राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि हमने देखा है कि पिछले साल जुलाई में अपने पद संभालने के दिन से वह लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार के कामकाज पर ट्वीट्स कर नियमित रूप से टिप्पणियां दे रहे हैं. मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नौकरशाह, कैबिनेट मंत्री और यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष भी राज्यपाल द्वारा चुने जा रहे हैं. हमें लगता है कि ये संवैधानिक अधिकारों के घोर उल्लंघन है.

पढ़ें- बंगाल : टीएमसी की राज्यपाल धनखड़ को तत्काल हटाने की मांग

एक अन्य संवैधानिक विशेषज्ञ उदयन बंदोपाध्याय ने भी रॉय द्वारा कही गई बातों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी, लेकिन राज्यपाल ने पश्चिम बंगाल में अपने कार्यालय का संचालन करने के तरीके के बारे में भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य नहीं कर रहे हैं और यादृच्छिक टिप्पणियां कर रहे हैं, जो कि राज्यपाल की भूमिका के अनुरूप नहीं है.

राष्ट्रपति को दिए गए पत्र पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पांच तृणमूल कांग्रेस सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं.

विपक्षी भाजपा ने भी राज्यपाल को उनके पद से हटाने के लिए तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष के कदम को बेतूका बताया है और कहा है कि राज्यपाल अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहे हैं और सही समय पर सही सवाल उठा रहे हैं.

कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए टीएमसी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया था. इस फैसले को संवैधानिक विशेषज्ञों ने बेतूका करार दिया है.

पार्टी ने राज्यपाल पर राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ लगातार टिप्पणी करके संवैधानिक मर्यादाओं को भंग करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही कहा है कि वह जनता के बीच एक चुनी हुई सरकार के प्रति अविश्वास की भावना पैदा कर रहे हैं.

संवैधानिक विशेषज्ञ अमल मुखोपाध्याय ने कहा कि राज्यपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति के पास जाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 156 खंड 1 के तहत कोई प्रावधान नहीं है. तृणमूल कांग्रेस संविधान की गलत व्याख्या कर रही है. अनुच्छेद जो राज्यपाल के कार्यकाल से संबंधित है, खंड 1 स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्यपाल राष्ट्रपति के अनुमती से पद धारण करेगा और अचानक उस पद को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है.

तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की एक टीम ने राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने अपने क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है.

तृणमूल राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि हमने देखा है कि पिछले साल जुलाई में अपने पद संभालने के दिन से वह लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार के कामकाज पर ट्वीट्स कर नियमित रूप से टिप्पणियां दे रहे हैं. मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नौकरशाह, कैबिनेट मंत्री और यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष भी राज्यपाल द्वारा चुने जा रहे हैं. हमें लगता है कि ये संवैधानिक अधिकारों के घोर उल्लंघन है.

पढ़ें- बंगाल : टीएमसी की राज्यपाल धनखड़ को तत्काल हटाने की मांग

एक अन्य संवैधानिक विशेषज्ञ उदयन बंदोपाध्याय ने भी रॉय द्वारा कही गई बातों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी, लेकिन राज्यपाल ने पश्चिम बंगाल में अपने कार्यालय का संचालन करने के तरीके के बारे में भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य नहीं कर रहे हैं और यादृच्छिक टिप्पणियां कर रहे हैं, जो कि राज्यपाल की भूमिका के अनुरूप नहीं है.

राष्ट्रपति को दिए गए पत्र पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पांच तृणमूल कांग्रेस सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं.

विपक्षी भाजपा ने भी राज्यपाल को उनके पद से हटाने के लिए तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष के कदम को बेतूका बताया है और कहा है कि राज्यपाल अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहे हैं और सही समय पर सही सवाल उठा रहे हैं.

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