नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में देश के सभी राज्यों की राजधानियों में 28 दिसंबर को अपने स्थापना दिवस पर 'संविधान बचाओ- भारत बचाओ' मार्च का आयोजन करेगी.
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने अपने बयान में कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में इस दिन पार्टी का ध्वज फहरायेंगी. '
उन्होंने बताया कि इसके अलावा सभी राज्यों के पार्टी अध्यक्ष और विभिन्न मोर्चो के प्रमुख देश के विभिन्न राज्यों की राजधानियों में आयोजित मार्च में हिस्सा लेंगे.
बयान में कहा गया है कि इस आशय का निर्णय 16 दिसंबर को कांग्रेस महासचिवों एवं प्रभारियों की बैठक में लिया गया था .
वेणुगोपाल ने सूचित किया कि नई दिल्ली में भारत बचाओ रैली की सफलता के बाद विभिन्न राज्यों में ऐसे मार्च का आयोजन किया जा रहा है. इसका मकसद नरेंद्र मोदी नीत भाजपा सरकार की जन विरोध नीतियों के खिलाफ मजबूत विरोध दर्ज कराना है .
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ी है, आर्थिक मंदी आई है तथा महंगाई एवं महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं .
वेणुगोपाल ने कहा कि इस मार्च के दौरान कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून और छात्रों पर बर्बर पुलिस कार्रवाई सहित आम लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दे उठायेगी .
वहीं, सीएए को लेकर सरकार से सवाल करते हुए आज कांग्रेस ने पुछा कि उन्होंने सिर्फ तीन देशों के अल्पसंख्यक को कोई इस कानून के दायरे में लाने का निर्णय किस आधार पर लिया है.
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस कानून का देश भर में विरोध हो रहा है और कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुई हैं. सरकार सिर्फ तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए इस गैर संवैधानिक कानून को लाने का आधार नहीं बता रही है. इसलिए लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं.
सीएए पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को 60 याचिका पर सुनवाई हुई, जिसके लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है. हालांकि इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी.
सिंघवी ने बताया कि सीएए के खिलाफ कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने भी याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने सिर्फ कारण बताओ नोटिस की बात कही है, लेकिन इसको कार्यान्वित करने के लिए नियम कायदे अभी तक नहीं बने हैं इसके लिए हमने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है.
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सिंघवी ने कहा कि यह विधेयक संविधान में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन करता हैं. इसमें प्रताड़ना को मालूम करने का कोई प्रावधान नहीं है और यह सिलेक्टिव है. विचित्र बात यह है कि प्रताड़ना शब्द एक्ट में है ही नहीं. यह सिर्फ बयानों तक सीमित है.
सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से दाखिल याचिका में तीन अनुरोध किए गए हैं, जिसमें इस एक्ट को असंवैधानिक, अंतरराष्ट्रीय कर्तव्यों के खिलाफ और पिछली सरकारों की प्रादेशिक करारनामों का उल्लंघन बताया है, जिसमें असम समझौता भी शामिल है. यह भारत की मूल भावना को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए हम अंत तक खड़े रहेंगे और लड़ेंगे.