नई दिल्ली : कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए मंत्रियों और सांसदों के वेतन में कटौती के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को राज्य सभा में कहा कि मोदी सरकार ने बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन लागू किया था.
कांग्रेस सांसद राजीव सातव ने कहा कि उनकी पार्टी मंत्रियों और सांसदों के वेतन में कटौती के प्रस्ताव का समर्थन करती है, लेकिन सरकार को विकास कार्य के लिए महत्वपूर्ण सांसद निधि 'एमपीलैड' को बंद नहीं करना चाहिए. साथ ही उन्होंने मांग की कि सरकार को पीएम केयर्स फंड का हिसाब लोगों को देना चाहिए.
'बिना विचार विमर्श लॉकडाउन लागू'
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने पूर्व में बिना किसी तैयारी के नोटबंदी और जीएसटी लागू किया था और अब इस बार उसने बिना किसी उचित विचार-विमर्श और तैयारी के लॉकडाउन लागू कर दिया.
'रोजगार के मौके खत्म'
सातव ने कहा कि सरकार ने कहा था कि 21 दिनों में कोरोना वायरस पर काबू पा लिया जाएगा, लेकिन बीमारी तो दूर हुई नहीं, पर रोजगार के मौके जरूर समाप्त हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस शुरुआती दौर में सरकार को कोरोना वायरस से मुकाबले की ओर ध्यान देना चाहिए था, उस समय वह मध्य प्रदेश में सरकार गिरा रही थी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगवानी में लगी थी.
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'परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च'
सातव ने नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा के निर्माण के समय को लेकर भी सवाल उठाया और कहा कि वर्तमान में इस परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय संसद भवन सिर्फ 100 साल पुराना है जबकि यूरोप के कई देशों की संसद की इमारतें काफी पुरानी हैं और वहां अब भी संसद की कार्यवाही होती है.
'यह समय कोराना से लड़ने का है'
उन्होंने आगे कहा कि यह समय कोराना से लड़ने का है और उस पर ही ध्यान दिया जाना चाहिए. सातव मंत्रियों के वेतन और भत्तों से संबंधित (संशोधन) विधेयक 2020 और संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन (संशोधन) विधेयक 2020 पर सदन में एक साथ हुई चर्चा में भाग ले रहे थे.