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भारत-चीन सीमा विवाद पर कांग्रेस ने किया मोदी सरकार से सवाल

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Published : Jun 1, 2020, 8:53 PM IST

कांग्रेस ने भारत-चीन विवाद को चिंताजनक करार देते हुए कहा कि समाचार पत्रों में भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ की सुर्खियां बनी हुई है. मोदी सरकार चीन को इस बात का जवाब को क्यों नहीं दे रही है? कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'विशेषज्ञों और सेना के जानकारों की मानें तो गलवान घाटी में चीन की घुसपैठ से 'डर्बुक-श्योक-डीबीओ रोड' को खतरा उत्पन्न हो जाएगा.'

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला

नई दिल्ली : भारत-चीन सीमा पर गतिरोध जारी है. कांग्रेस ने इसे चिंताजनक करार देते हुए कहा कि सीमा पर पहले की स्थिति बहाल करने और देश की सुरक्षा एवं अखंडता की रक्षा के लिए नागरिकों और राजनीतिक दलों को विश्वास में लेना चाहिए. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को लद्दाख के कुछ इलाकों में चीन के सैनिकों की कथित घुसपैठ से जुड़ी खबरों का हवाला देते हुए सवाल किया कि इस मामले पर मोदी सरकार मौन क्यों बैठी है?

उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, 'भारत की सुरक्षा व क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता, लेकिन भारत-चीन सीमा पर स्थिति को लेकर जो खबरें आ रही हैं वह चिंताजनक हैं.'

सुरजेवाला ने कहा, 'चीनी सेना द्वारा लद्दाख और सिक्किम में तीन स्थानों पर भारतीय सीमा में घुसपैठ समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी हुई है. कथित तौर पर यह घुसपैठ लद्दाख में गलवान नदी घाटी और पैंगोंग झील के इलाके में हुई है. खबरों के मुताबिक चीनी सेना के हजारों सैनिकों ने गलवान घाटी और पैंगोंग झील इलाके (लद्दाख) में घुसपैठ कर हमारी 'भूभागीय अखंडता' पर अतिक्रमण का दुस्साहस किया है.'

उनके मुताबिक सुरक्षा विशेषज्ञों और सेना के जानकारों की मानें तो गलवान घाटी में चीन की घुसपैठ से 'डर्बुक-श्योक-डीबीओ रोड' को खतरा उत्पन्न हो जाएगा, जो उत्तर के इलाके में तथा काराकोरम दर्रा के नजदीक भारतीय सेना को रसद व सभी प्रकार के सैन्य साजो सामान पहुंचाने के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है.

उन्होंने सवाल किया, 'क्या चीनी सेनाओं ने लद्दाख में 'गलवान नदी घाटी' और 'पैंगोंग त्सो लेक' के हमारे इलाकों पर कब्जा कर लिया है? क्या उन्होंने चीन द्वारा स्वीकारित 'सीमा रेखा' को लांघकर गलवान नदी घाटी में सैकड़ों टेंट, कंक्रीट के ढांचे व एलएसी के पार कई किलोमीटर सड़क बना ली है व इसी प्रकार से 'पैंगोंग त्सो लेक' के उत्तरी तट पर भी क्या सड़क निर्माण किया है?'

पढ़ें : चीन ने बदले तेवर, बोला-सीमा पर स्थिति स्थिर व नियंत्रण योग्य

सुरजेवाला ने यह भी पूछा, 'क्या यह सही है पैंगोंग त्सो लेक के पास 'फिंगर हाईट्स' फिलहाल चीनी सेना के कब्जे में है? क्या गलवान घाटी में चीनी घुसपैठ से 'डरबुक-श्योक-डीबीओ' रोड़ पर संचालन को खतरा उत्पन्न हो जाएगा, जो उत्तर के इलाके में तथा काराकोरम दर्रा के नजदीक भारतीय सेना को रसद व सभी प्रकार के सैन्य साजो सामान पहुंचाने के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है?'

उन्होंने सरकार से प्रश्न किया, 'राष्ट्रीय सुरक्षा व भूभागीय अखंडता की इन महत्वपूर्ण चुनौतियों से पार पाने के लिए मोदी सरकार ने क्या रणनीतिक तैयारियां की हैं और क्या कारगर कदम उठाए हैं? मोदी सरकार ने एलएसी के हालात पर देश व देश लोगों के साथ हालात का विवरण साझा क्यों नहीं किया?’’ कांग्रेस नेता ने आग्रह किया, 'यद्यपि मोदी सरकार ने इस संकट को कूटनीतिक तौर पर सुलझाने के बारे में बयान दिया है, लेकिन उसे भारत की भूभागीय अखंडता की रक्षा करने तथा भारत-चीन सीमा पर पूर्व की स्थिति बहाल करने बारे देश के नागरिकों एवं सभी राजनैतिक दलों को विश्वास में लेना चाहिए.'

नई दिल्ली : भारत-चीन सीमा पर गतिरोध जारी है. कांग्रेस ने इसे चिंताजनक करार देते हुए कहा कि सीमा पर पहले की स्थिति बहाल करने और देश की सुरक्षा एवं अखंडता की रक्षा के लिए नागरिकों और राजनीतिक दलों को विश्वास में लेना चाहिए. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को लद्दाख के कुछ इलाकों में चीन के सैनिकों की कथित घुसपैठ से जुड़ी खबरों का हवाला देते हुए सवाल किया कि इस मामले पर मोदी सरकार मौन क्यों बैठी है?

उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, 'भारत की सुरक्षा व क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता, लेकिन भारत-चीन सीमा पर स्थिति को लेकर जो खबरें आ रही हैं वह चिंताजनक हैं.'

सुरजेवाला ने कहा, 'चीनी सेना द्वारा लद्दाख और सिक्किम में तीन स्थानों पर भारतीय सीमा में घुसपैठ समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी हुई है. कथित तौर पर यह घुसपैठ लद्दाख में गलवान नदी घाटी और पैंगोंग झील के इलाके में हुई है. खबरों के मुताबिक चीनी सेना के हजारों सैनिकों ने गलवान घाटी और पैंगोंग झील इलाके (लद्दाख) में घुसपैठ कर हमारी 'भूभागीय अखंडता' पर अतिक्रमण का दुस्साहस किया है.'

उनके मुताबिक सुरक्षा विशेषज्ञों और सेना के जानकारों की मानें तो गलवान घाटी में चीन की घुसपैठ से 'डर्बुक-श्योक-डीबीओ रोड' को खतरा उत्पन्न हो जाएगा, जो उत्तर के इलाके में तथा काराकोरम दर्रा के नजदीक भारतीय सेना को रसद व सभी प्रकार के सैन्य साजो सामान पहुंचाने के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है.

उन्होंने सवाल किया, 'क्या चीनी सेनाओं ने लद्दाख में 'गलवान नदी घाटी' और 'पैंगोंग त्सो लेक' के हमारे इलाकों पर कब्जा कर लिया है? क्या उन्होंने चीन द्वारा स्वीकारित 'सीमा रेखा' को लांघकर गलवान नदी घाटी में सैकड़ों टेंट, कंक्रीट के ढांचे व एलएसी के पार कई किलोमीटर सड़क बना ली है व इसी प्रकार से 'पैंगोंग त्सो लेक' के उत्तरी तट पर भी क्या सड़क निर्माण किया है?'

पढ़ें : चीन ने बदले तेवर, बोला-सीमा पर स्थिति स्थिर व नियंत्रण योग्य

सुरजेवाला ने यह भी पूछा, 'क्या यह सही है पैंगोंग त्सो लेक के पास 'फिंगर हाईट्स' फिलहाल चीनी सेना के कब्जे में है? क्या गलवान घाटी में चीनी घुसपैठ से 'डरबुक-श्योक-डीबीओ' रोड़ पर संचालन को खतरा उत्पन्न हो जाएगा, जो उत्तर के इलाके में तथा काराकोरम दर्रा के नजदीक भारतीय सेना को रसद व सभी प्रकार के सैन्य साजो सामान पहुंचाने के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है?'

उन्होंने सरकार से प्रश्न किया, 'राष्ट्रीय सुरक्षा व भूभागीय अखंडता की इन महत्वपूर्ण चुनौतियों से पार पाने के लिए मोदी सरकार ने क्या रणनीतिक तैयारियां की हैं और क्या कारगर कदम उठाए हैं? मोदी सरकार ने एलएसी के हालात पर देश व देश लोगों के साथ हालात का विवरण साझा क्यों नहीं किया?’’ कांग्रेस नेता ने आग्रह किया, 'यद्यपि मोदी सरकार ने इस संकट को कूटनीतिक तौर पर सुलझाने के बारे में बयान दिया है, लेकिन उसे भारत की भूभागीय अखंडता की रक्षा करने तथा भारत-चीन सीमा पर पूर्व की स्थिति बहाल करने बारे देश के नागरिकों एवं सभी राजनैतिक दलों को विश्वास में लेना चाहिए.'

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