नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चाहते थे कि इसकी जिम्मेदारी पार्टी के नता लें. इसी पहल को शुरू करते हुए उन्होंने खुद पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनीं सोनिया गांधी के पद संभालने के बाद पार्टी ने ये साफ कर दिया कि कांग्रेस अब 'एक व्यक्ति, एक पद' के फार्मूले पर काम करेगी.
पार्टी की इसी नीति को आगे बढ़ाते हुए बीते रोज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपना नाम इस कड़ी में जोड़ लिया है. इस संबंध में बघेल ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ दिया है और अब वह राज्य के सिर्फ मुख्यमंत्री हैं.
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अब मोहन मार्कन को सौंपी दी गई है.
वहीं सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष का पदभार संभालते हुए ये तो साफ कर दिया कि पार्टी अब 'एक व्यक्ति, एक पद' के फार्मूले पर काम करेगी लेकिन देखा जाए तो खुद सोनिया अंतरिम अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता के रूप में भी पार्टी की कमान संभाल रही हैं.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद इस मद्दे ने काफी जोर पकड़ा कि पार्टी में कई लोगों के पास दो-दो पद हैं लेकिन फिर भी उन्होंने पार्टी को मजबूत करने में अपनी पूरी ऊर्जा नहीं लगाई. शायद काम का ज्यादा दबाव होना इसकी एक वजह हो सकती है.
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आईये आपको बताते हैं कि कांग्रेस में किन-किन नेताओं के पास एक से ज्यादा पद हैं...
गुलाम नबी आजाद: इस फेहरिस्त में सबसे पहले नाम कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का आता है. आजाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और हरियाणा के प्रभारी भी हैं.
सचिन पायलट: राजस्थान के उपमुख्यमंत्री होने के साथ-साथ पायलट प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
नाना पटोले: कांग्रेस में किसान मजदूर के चेयरमैन और महाराष्ट्र में कैंपेन कमेटी के भी अध्यक्ष हैं.
नितिन राऊत: कांग्रेस में अनुसूचित जाति सेल के साथ पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं.
उमंग सिंगार: कैबिनेट मंत्री होने के साथ-साथ मध्यप्रदेश सरकार में कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सचिव की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
कमलनाथ: कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ राज्य में पार्टी अध्यक्ष पद पर भी काबिज हैं. इसके अलावा सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ के ऊपर झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले चुनावों को लेकर संगठन को मजबूत बनाने की भी बड़ी जिम्मेदारी है.