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राम मंदिर ट्रस्ट में ब्राह्मणों को लेकर आपस में भिड़े कांग्रेस नेता

राम मंदिर के निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट में सदस्यों को शामिल किए जाने को लेकर विवाद थम नहीं रहा है. कांग्रेस के नेता ट्रस्ट में सदस्यों के प्रारूप को लेकर सोशल मीडिया पर आपस में भिड़ गए. कांग्रेसी नेताओं ने दलित और ब्राह्मणों को शामिल किए जाने को लेकर एक दूसरे को जवाब दिए.

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Published : Feb 7, 2020, 7:22 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 1:26 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद और उदित राज राम मंदिर ट्रस्ट में सदस्यों के प्रारूप को लेकर सोशल मीडिया पर आपस में भिड़ गए. पार्टी के एससी/एसटी नेता उदित राज ने ट्रस्ट में सिर्फ एक दलित व्यक्ति को स्थान दिए जाने पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा, 'पिछली जनगणना के अनुसार दलितों की आबादी ब्राह्मणों से तीन गुना अधिक है. फिर सरकार ने राम मंदिर को ब्राह्मणों पर ही क्यों छोड़ दिया है?'

पूर्व लोक सेवक उदित राज पिछले साल आम चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. कांग्रेस में शामिल होने से पहले, वह उत्तर-पश्चिम दिल्ली से भाजपा के सांसद थे.

सोशल मीडिया पर उनका विरोध करते हुए कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य जितिन प्रसाद ने उन्हें याद दिलाने की कोशिश की, 'विषय जो भी हो, कांग्रेस की परंपरा किसी भी जाति या समुदाय पर हमला करने की नहीं है.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने ट्वीट किया, 'मेरा मानना है कि कांग्रेस की नीति अनुसूचित जाति के लिए सकारात्मक प्रावधान और सभी के लिए समान अवसर की है.'

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जितिन प्रसाद का ट्वीट

उनके अलावा कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी को भी उदित राज की बात नागवरा गुजरी और उन्होंने जवाब देते हुए लिखा कि ब्राह्मण होना कोई पाप नहीं है. उन्होंने आगे लिखा कि मेरी चुनौती है कि कोई भी व्यक्ति इस विषय पर बहस कर ले.

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राजीव त्यागी का ट्वीट

दिवंगत कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक प्रमुख ब्राह्मण परिवार से आते हैं. सरकार ने बुधवार को एक 15 सदस्यीय मंदिर ट्रस्ट की घोषणा की, जिसमें हमेशा एक व्यक्ति दलित समुदाय से होगा. सरकार की ओर से कामेश्वर चौपाल को पहला दलित सदस्य नियुक्त किया गया है.

राम मंदिर ट्रस्ट में आबादी के अुनपात में लोगों को मिले जगह : उदित राज

दलितों और अन्य लोगों के मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं कल्याण सिंह और उमा भारती ने भी उठाया है.

नई दिल्ली : कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद और उदित राज राम मंदिर ट्रस्ट में सदस्यों के प्रारूप को लेकर सोशल मीडिया पर आपस में भिड़ गए. पार्टी के एससी/एसटी नेता उदित राज ने ट्रस्ट में सिर्फ एक दलित व्यक्ति को स्थान दिए जाने पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा, 'पिछली जनगणना के अनुसार दलितों की आबादी ब्राह्मणों से तीन गुना अधिक है. फिर सरकार ने राम मंदिर को ब्राह्मणों पर ही क्यों छोड़ दिया है?'

पूर्व लोक सेवक उदित राज पिछले साल आम चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. कांग्रेस में शामिल होने से पहले, वह उत्तर-पश्चिम दिल्ली से भाजपा के सांसद थे.

सोशल मीडिया पर उनका विरोध करते हुए कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य जितिन प्रसाद ने उन्हें याद दिलाने की कोशिश की, 'विषय जो भी हो, कांग्रेस की परंपरा किसी भी जाति या समुदाय पर हमला करने की नहीं है.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने ट्वीट किया, 'मेरा मानना है कि कांग्रेस की नीति अनुसूचित जाति के लिए सकारात्मक प्रावधान और सभी के लिए समान अवसर की है.'

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जितिन प्रसाद का ट्वीट

उनके अलावा कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी को भी उदित राज की बात नागवरा गुजरी और उन्होंने जवाब देते हुए लिखा कि ब्राह्मण होना कोई पाप नहीं है. उन्होंने आगे लिखा कि मेरी चुनौती है कि कोई भी व्यक्ति इस विषय पर बहस कर ले.

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राजीव त्यागी का ट्वीट

दिवंगत कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक प्रमुख ब्राह्मण परिवार से आते हैं. सरकार ने बुधवार को एक 15 सदस्यीय मंदिर ट्रस्ट की घोषणा की, जिसमें हमेशा एक व्यक्ति दलित समुदाय से होगा. सरकार की ओर से कामेश्वर चौपाल को पहला दलित सदस्य नियुक्त किया गया है.

राम मंदिर ट्रस्ट में आबादी के अुनपात में लोगों को मिले जगह : उदित राज

दलितों और अन्य लोगों के मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं कल्याण सिंह और उमा भारती ने भी उठाया है.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 14:41 HRS IST




             
  • संविधान में लिखी बातें समझने की कोशिश करें प्रधानमंत्री: राहत इंदौरी



इंदौर (मध्यप्रदेश), सात फरवरी (भाषा) मशहूर शायर राहत इंदौरी ने तंज कसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि उन्हें किसी शिक्षित व्यक्ति से देश का संविधान पढ़वाकर समझने की कोशिश करनी चाहिये कि इसमें क्या लिखा है और क्या नहीं।



इंदौरी ने यह बात संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के खिलाफ पिछले कई दिनों से शहर के बड़वाली चौकी इलाके में जारी विरोध प्रदर्शन के मंच से बृहस्पतिवार रात कही। इस मंच से 70 वर्षीय शायर के संबोधन के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।



इंदौरी ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दरख्वास्त करना चाहूंगा कि अगर वह संविधान पढ़ नहीं पाये हैं, तो किसी पढ़े-लिखे आदमी को बुला लें और उससे संविधान पढ़वाकर समझने की कोशिश करें कि इसमें क्या लिखा है और क्या नहीं।"



उन्होंने सीएए, एनपीआर और एनआरसी के मुद्दों पर दिल्ली के शाहीन बाग और इंदौर के अलग-अलग इलाकों में जारी विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, "यह लड़ाई भारत के हर हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की लड़ाई है। हम सबको मिलकर यह लड़ाई लड़नी है।"



फैज अहमद फैज की नज्म "हम देखेंगे, लाजिम है कि हम भी देखेंगे" को एक धर्मविशेष के खिलाफ बताये जाने के विवाद की ओर सीधा इशारा करते हुए इंदौरी ने कहा कि कुछ लोगों ने फैज की इस रचना का मतलब ही बदल दिया।



उन्होंने कहा, "मुझे फैज की नज्म का मतलब बदले जाने पर अचंभा नहीं हुआ, क्योंकि ऐसा करने वाले लोग कम पढ़े-लिखे हैं। वे न तो हिन्दी जानते हैं, न ही उर्दू।"



इंदौरी ने सीएए विरोधी मंच से अपनी अलग-अलग रचनाओं समेत यह मशहूर शेर भी सुनाया, "सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।"



उन्होंने कहा कि यह बात अफसोसनाक है कि उनके इस शेर को मीडिया और कुछ लोगों ने केवल मुसलमानों से जोड़ दिया है, जबकि इस शेर का ताल्लुक हर उस भारतीय नागरिक से है जो अपनी मातृभूमि के लिये जान तक कुर्बान करने का जज्बा रखता है।


Conclusion:
Last Updated : Feb 29, 2020, 1:26 PM IST
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