नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने नेहरू स्मारक पुस्तकालय एवं संग्रहालय सोसाइटी का पुनर्गठन करते हुए उसके सदस्यों को हटा दिया है. इन सदस्यों में कांग्रेस के बड़े नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम नरेश और डॉ. कर्ण सिंह शामिल हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने इस मामले में ईटीवी भारत से खास बातचीत की और अपनी नाराजगी जाहिर की.
कर्ण सिंह ने कहा कि जो लोग बोलते वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम लेने में कठिनाई महसूस करते हैं, उन्हें अब सम्मान मिल रहा है. डॉ. सिंह का इशारा सोसाइटी के कुछ नये सदस्यों की ओर था.
उन्होंने कहा, 'वे (केंद्र सरकार) पूरी तरह से समाज के पुनर्गठन के हकदार हैं, लेकिन वे हम सभी को हटाने के लिए आगे आए. हम सभी कई दशकों से इसमें शामिल हैं. साथ ही जवाहरलाल नेहरू के प्रशंसक भी हैं. यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है.'
सिंह ने कहा कि यह बहुत अजीब है. मैं उस संग्रहालय के संस्थापक सदस्यों में से एक था. हमने इस संस्था की अवधारणा को सेट किया. हम इसमें शुरू से ही थे. मैं इसमें 40-45 साल से शामिल हूं. अगर उन्हें मेरे अनुभव की कोई जरूरत नहीं तो यह उनका निर्णय है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समिति के अध्यक्ष होंगे और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपाध्यक्ष होंगे. समिति के सदस्यों में गृह मंत्री अमित शाह, प्रमुख पत्रकार रजत शर्मा और गीतकार प्रसून जोशी भी शामिल हैं.
कर्ण सिंह ने कहा, 'इन नियुक्तियों का महत्व समझा जा सकता है क्योंकि सरकार संग्रहालय के एक बड़े सुधार की योजना बना रही है. पं जवाहरलाल नेहरू की विरासत को कभी मिटाया नहीं जा सकता, लेकिन कोशिशें कुछ यही बयां कर रही हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.'
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इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भाजपा सरकार देश के इतिहास और विरासत को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.
खबरें यह भी आ रही हैं कि केंद्र इस म्यूजियम में आमूलचूल बदलाव कर इसे सिर्फ पहले पीएम के बजाय देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित करने की योजना बना रहा है.
इन चर्चाओं के बीच डॉ कर्ण सिंह ने कहा, 'हमने अन्य प्रधानमंत्रियों के लिए नये संग्रहालयों के निर्माण के केंद्र के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन हमें इस संस्था पर नारागजी नहीं दिखानी चाहिए.'