नई दिल्ली : कृषि कानूनों को लेकर चल रही बातचीत पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से निराशा जताए गई. इसके बाद सोमवार को कांग्रेस ने कहा कि तीनों कानूनों को रद्द करने की जरूरत है.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि उच्चतम न्यायालय राजनीतिक मुद्दों का निर्णय करता है, राजनीतिक बेईमानी से खेती को पूंजीपतियों के दरवाजे पर बेचने की साजिश का नहीं. उन्होंने कहा कि सवाल 3 कृषि विरोधी कानूनों में एमएसपी व अनाजमंडियों को खत्म करने का है, किसान को अपने ही खेत में गुलाम बनाने का है इसलिए कानून रद्द करने होंगे.
सुरजेवाला ने आगे कहा कि दिल्ली आ रहे लाखों किसानों को खट्टर सरकार और योगी सरकार ने दिल्ली के बॉर्डर पर रोक रखा है. 46 दिन के अंदर 65 किसानों की मौत हुई. कड़ाके की ठंड के बीच भूखे-प्यासे किसान न्याय की गुहार लगाते हुए बॉर्डर पर बैठे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले को लेकर सरकार के एप्रोच पर गहरी नाराजगी जताई है, साथ ही वार्ता की विफलता पर निराशा जताई है. बतौर सुरजेवाला, कोर्ट ने कहा कि यदि केंद्र इस कानून पर रोक नहीं लगाता तो, हम कार्रवाई करेंगे.न्यायालय ने कहा कि इस विवाद का समाधान खोजने के लिये वह अब एक समिति गठित करेगा.
सुरजेवाला ने कहा कि देश के 73 वर्षों के इतिहास में कभी भी किसी सरकार ने 62 करोड़ किसानों के प्रति अपनी असंवेदनशीलता का ऐसा उदाहरण पेश नहीं किया होगा.
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उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केन्द्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह बेहद निराश है. प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं. हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं.
पीठ ने कहा कि हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन, हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं. पीठ में न्यायमूर्ति एस. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमणियन भी शामिल थे.