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आंध्र प्रदेश से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई से अलग हुए सीजेआई

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Published : Aug 17, 2020, 7:25 PM IST

आंध्र प्रदेश की वर्तमान सरकार राज्य की तीन राजधानियां बनाने के अपने फैसले पर अडिग है. राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए जगन मोहन रेड्डी की सरकार सत्ता के विकेंद्रीकरण को जरूरी मान रही है. वहीं सीजेआई की पीठ ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. पढ़ें पूरी खबर....

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नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जो राज्य में सरकार के फैसले को बरकरार रखने के लिए किया गया था.

उन्हें अधिवक्ताओं में से एक ने सूचित किया था कि उनकी बेटी हाईकोर्ट में आंध्र प्रदेश के लिए तीन राजधानियां बनाने संबंधी मामले की सुनवाई में किसी एक पक्ष के साथ है. जिसके बाद सीजेआई ने कहा कि वह खुद को सुनवाई से दूर कर रहे हैं.

इस मामले को 19 अगस्त को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया है. अब एक नई गठित पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी.

आंध्र राज्य ने फैसला किया था कि वह कुरनूल को न्यायिक राजधानी, विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी और अमरावती को विधायी राजधानी के रूप में स्थापित करेगा. इसे हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी जिसने तब निर्णय पर रोक लगा दी थी.

आंध्र प्रदेश की वर्तमान सरकार राज्य की तीन राजधानियां बनाने के अपने फैसले पर अडिग है. राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए जगन मोहन रेड्डी की सरकार सत्ता के विकेंद्रीकरण को जरूरी मान रही है.

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जो राज्य में सरकार के फैसले को बरकरार रखने के लिए किया गया था.

उन्हें अधिवक्ताओं में से एक ने सूचित किया था कि उनकी बेटी हाईकोर्ट में आंध्र प्रदेश के लिए तीन राजधानियां बनाने संबंधी मामले की सुनवाई में किसी एक पक्ष के साथ है. जिसके बाद सीजेआई ने कहा कि वह खुद को सुनवाई से दूर कर रहे हैं.

इस मामले को 19 अगस्त को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया है. अब एक नई गठित पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी.

आंध्र राज्य ने फैसला किया था कि वह कुरनूल को न्यायिक राजधानी, विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी और अमरावती को विधायी राजधानी के रूप में स्थापित करेगा. इसे हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी जिसने तब निर्णय पर रोक लगा दी थी.

आंध्र प्रदेश की वर्तमान सरकार राज्य की तीन राजधानियां बनाने के अपने फैसले पर अडिग है. राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए जगन मोहन रेड्डी की सरकार सत्ता के विकेंद्रीकरण को जरूरी मान रही है.

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