बीजिंग : भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद के मद्देनजर चीन एक बार फिर रक्षात्मक मुद्रा में दिख रहा है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है कि दोनों देशों की सेनाएं आपस में संवाद कर रही हैं. उन्होंने कहा कि चीन के सैनिकों ने एलएसी पार नहीं किया है.
एक अन्य सवाल के जवाब में झाओ ने कहा कि चीन राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से करीबी संचार बनाए रखता है. विशिष्ट बैठकों और वार्ताओं के अनुसार चीन की ओर से यथासमय सूचना जारी की जाएगी.
गौरतलब है कि चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त को एक बार फिर से वास्तविक नियंत्रण सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश की. इसको लेकर झड़प होने की भी खबर सामने आई. भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया. सेना ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें माकूल जवाब दिया गया.
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सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों की चाल को नाकाम कर दिया. उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने सैन्य और राजनयिक स्तर पर लिए गए सर्वसम्मति का उल्लंघन किया है. उन्होंने यहां पर स्थिति को बदलने का असफल प्रयास किया.
पैंगोंग इलाके का क्या है विवाद
लद्दाख में 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग त्सो झील हिमालय में करीब 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. इस झील की दूरी का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर चीन के क्षेत्र में आता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा इसी झील के बीच से गुजरती है, लेकिन चीन यह मानता है कि पूरी पैंगोंग त्सो झील चीन के अधिकार क्षेत्र में आती है.
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गलवान संघर्ष
गौरतलब है कि 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत का दावा था कि घटना में चीन के भी काफी सैनिक मारे गए हैं, हालांकि चीन ने मारे गए सैनिकों के बारे में कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की.