नई दिल्ली/बीजिंग: पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित करने पर फैसला होना है. इस प्रस्ताव से पहले चीन ने संकेत दिए हैं कि वह इस कदम का विरोध कर सकता है. चीन 2009 के बाद से तीन बार अड़ंगा डाल चुका है.
इस मामले पर चीन ने कहा कि इस मुद्दे के लिए ऐसा समाधान चाहिए जो सभी पक्षों के अनुकूल हो. बता दें, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा वैश्विक आतंकवादी के तौर पर चिह्नित किए जाने के प्रस्ताव पर 24 घंटे से भी कम समय में फैसला आएगा.
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने मसूद को आतंकी घोषित करने का विरोध किया है, इससे पहले भी 2017 में चीन ने ऐसा ही किया था और कहा था कि मसूद बीमार है और आतंकी गतिविधियों में संलिप्त नहीं है. हालांकि, इस बार चीन ने मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के विरोध में नई चाल चली है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने जैश सरगना के खिलाफ सबूतों की मांग की है.
अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन एवं अमेरिका की ओर से 27 फरवरी को रखा गया था.
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा लाए गए आपत्ति उठाने के लिए 10 कार्यदिवस का समय था. यह अवधि बुधवार दोपहर (न्यूयार्क के समयानुसार) तीन बजे (भारतीय समयानुसार साढ़े 12 बजे रात बृहस्पतिवार) खत्म हो रही है.
बता दें, 14 फरवरी को पुलवामा में हुए फिदायीन हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली है. इस हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया, 'मैं यह दोहराता हूं कि चीन जिम्मेदाराना रवैया अपनाना जारी रखेगा और यूएनएससी1267 समिति के विचार-विमर्श में हिस्सा लेगा.'
दरअसल, चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखनेवाला सदस्य है और सबकी निगाहें चीन पर हैं जो पूर्व में अजहर को संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों में अड़ंगा डाल चुका है. चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि समाधान सभी को स्वीकार्य होना चाहिए.