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उत्तर प्रदेश : गोकुल में कान्हा ने गोपियों संग यूं खेली छड़ी मार होली - Murlidhar Ghat

बरसाना, नंदगांव, मथुरा और वृंदावन के बाद ब्रज की अलौकिक होली का उल्लास गोकुल की कुंज गलियों तक पहुंच गया है. शनिवार को कान्हा के स्वरूप ने गोपियों के साथ होली खेली. इसके लिए गोकुल को भव्य रूप से सजाया गया .

छड़ी मार होली
छड़ी मार होली
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Published : Mar 7, 2020, 7:34 PM IST

मथुरा : भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल में शनिवार को छड़ी मार होली बड़े ही धूमधाम के साथ खेली गई. इस दौरान कस्बे में ठाकुर जी को विराजमान करके डोला निकाला गया और मुरलीधर घाट पर गोपिकाओं के साथ कृष्ण भगवान रूपी बालक ने छड़ी मार होली खेली. वहीं दूरदराज से आए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने होली का अद्भुत आनंद लिया और मुरली घाट पर रंग-गुलाल छड़ी मार होली का नजारा देखा.

कृष्ण भगवान की क्रीड़ा स्थली गोकुल में शनिवार को छड़ी मार होली खेलने के लिए गोपिकाएं कस्बे के मुरली घाट पहुंचीं और सोलह सिंगार करके कृष्ण रूपी बालक के साथ छड़ी मार होली बड़ी धूमधाम के साथ खेली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

पौराणिक मान्यता है कि कृष्ण भगवान जब गोकुल पहुंचे थे, तो बाल अवस्था में गोपियों के साथ छड़ी मार होली खेली थी. गोकुलवासियों ने सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया.

इसे भी पढ़ें: लट्ठमार होली पर कलाकारों ने जमकर बिखेरे रंग

गोकुलवासियों ने कहा कि छड़ी मार होली खेलने के लिए वे कई दिन पहले से तैयारी करते हैं और गोकुल में मुरलीधर घाट पर छड़ी मार होली खेली जाती है.

मथुरा : भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल में शनिवार को छड़ी मार होली बड़े ही धूमधाम के साथ खेली गई. इस दौरान कस्बे में ठाकुर जी को विराजमान करके डोला निकाला गया और मुरलीधर घाट पर गोपिकाओं के साथ कृष्ण भगवान रूपी बालक ने छड़ी मार होली खेली. वहीं दूरदराज से आए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने होली का अद्भुत आनंद लिया और मुरली घाट पर रंग-गुलाल छड़ी मार होली का नजारा देखा.

कृष्ण भगवान की क्रीड़ा स्थली गोकुल में शनिवार को छड़ी मार होली खेलने के लिए गोपिकाएं कस्बे के मुरली घाट पहुंचीं और सोलह सिंगार करके कृष्ण रूपी बालक के साथ छड़ी मार होली बड़ी धूमधाम के साथ खेली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

पौराणिक मान्यता है कि कृष्ण भगवान जब गोकुल पहुंचे थे, तो बाल अवस्था में गोपियों के साथ छड़ी मार होली खेली थी. गोकुलवासियों ने सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया.

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गोकुलवासियों ने कहा कि छड़ी मार होली खेलने के लिए वे कई दिन पहले से तैयारी करते हैं और गोकुल में मुरलीधर घाट पर छड़ी मार होली खेली जाती है.

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