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सिर्फ कुछ घंटे, और चंद्रयान-2 करेगा चंद्रमा पर लैंड

कुछ ही घंटों का इंतेजार अब रह गया है. इसके बाद इसरो का चंद्रयान-2 चंद्रमा पर पहुंच जाएगा और इसी के साथ भारत इतिहास के पन्नों में ये क्षण दर्ज करेगा. देश-विदेश की नजर इस पल पर टिकी हुई हैं.

चंद्रयान-2 का ग्राफिकल विवरण.
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Published : Sep 6, 2019, 1:38 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 3:35 PM IST

बेंगलुरु: ऐतिहासिक सफलता हासिल करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कुछ ही कदम दूर है. कुछ ही घंटों में चंद्रयान-दो चंद्रमा तक पहुंचेगा. भारत के साथ-साथ पूरे विश्व की नजर इस क्षण पर टिकी हुई है. शुक्रवार रात एक बजे के बाद चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरेगा. इस कामयाबी को हासिल करने के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

जाने बीते दिनों चंद्रयान-2 की गतिविधियां क्या रहीं ?

04 सितंबर 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के दूसरे डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन के 04 सितंबर 2019 को सफलतापूर्वक होते ही भारत का पहला मून लैंडर विक्रम सात सितंबर को चांद पर उतरने के लिए तैयार हो गया. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अनुसार, विक्रम का दूसरा डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन तड़के 3.42 बजे ऑनबोर्ड संचालन तंत्र का उपयोग करते हुए शुरू हुआ और नौ सेकेंड में पूरा हो गया. विक्रम लैंडर की कक्षा 35 किलोमीटर गुणा 101 किलोमीटर की है. इसरो ने कहा कि इस ऑपरेशन के साथ ही विक्रम के चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए आवश्यक कक्षा प्राप्त कर ली गई है.

chandrayaan2 etv bharat
चांद के करीब पहुंचा चंद्रयान-2.

3 सितम्बर 2019
भारत का पहला मून लैंडर विक्रम 3 सितम्बर 2019 को चांद के और करीब पहुंच गया था. इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने दो डी-ऑर्बिटल ऑपरेशंस में से पहला पूरा कर लिया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन योजना के तहत सुबह 8.50 बजे शुरू हो गया था. इसके बाद चार सेकेंड तक ऑनबोर्ड संचालन तंत्र शुरू करने के बाद ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया. विक्रम लैंडर की कक्षा 104 गुणा 128 किलोमीटर की है.

2 सितम्बर 2019
भारत का पहला मून लैंडर विक्रम अपने मातृ अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 से 2 सितम्बर 2019 को अपराह्न 1.15 बजे सफलतापूर्वक अलग हो गया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी साझा की. इसरो के अनुसार, विक्रम लैंडर उस समय 119 किलोमीटर गुणा 127 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित हुआ था. इसके बाद चंद्रयान-2 ऑर्बिटर में अपनी मौजूदा कक्षा में चांद के चक्कर लगाने लगा था. चंद्रयान-2 में तीन सेगमेंट -द ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड्स), द लैंडर विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड्स) और रोवर प्रज्ञान (27 किलोग्राम दो पेलोड्स) हैं.

पढ़ें: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान-2, पीएम रहेंगे मौजूद

1 सितम्बर 2019
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 1 सितम्बर 2019 की शाम चंद्रयान-2 के पांचवें और अंतिम कक्षा परिवर्तन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, अंतरिक्ष यान का कक्षा परिवर्तन शाम 6.21 बजे शुरू हुआ था. इसके लिए ऑनबोर्ड प्रोपल्सन प्रणाली का इस्तेमाल 52 सेकेंड के लिए किया गया. यह 119 किमी गुणा 127 किमी की कक्षा में पहुंच था.

पढ़ें: ISRO ने बताया किस तरह होगी चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग

30 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 30 अगस्त 2019 की शाम को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को चांद के और करीब ले जाने के लिए चौथी बार कक्षा में सफलतापूर्वक परिवर्तन किया था भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) ने कहा कि अंतरिक्ष यान के स्थान में बदलाव का कार्य शाम 6.18 बजे शुरू हुआ, जिसके लिए ऑनबोर्ड प्रोपल्शन प्रणाली का 1,155 सेकेंड के लिए उपयोग किया गया था. इस तरह यह 124 किमी गुणा 164 किलोमीटर की अगली कक्षा में पहुंच गया.

28 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) ने चंद्रमा की कक्षा के लिए अंतरिक्ष यान, चंद्रयान-2 की तीसरी गतिविधि पूरी कर दी थी. एजेंसी ने 28 अगस्त 2019 को यह जानकारी दी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक बयान में कहा, 'यह गतिविधि अंतर्राष्ट्रीय मानक समय के अनुसार बुधवार सुबह 9.04 बजे सफलतापूर्वक पूरी हुई. इस गतिविधि की अवधि 1,190 सेकेंड (19.84 मिनट) रहा.'

26 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 26 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान के टेरेन मैपिंग कैमरा-2 द्वारा चंद्रमा की सतह और उसके क्रेटर्स (गड्ढों) की तस्वीरों का एक नया सेट जारी किया था. इसरो के अनुसार, इन तस्वीरों को 23 अगस्त को करीब 4,375 किलोमीटर की ऊंचाई से लिया गया, जिसमें जैक्सन, मित्रा, माच व कोरोलेव जैसे क्रेटर्स दिखाई दे रहे हैं.

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चंद्रयान-2 द्वारा भेजी गईं चंद्रमा के क्रेटर्स की तस्वीर.

इसरो ने कहा कि चंद्रमा से दूर उत्तरी गोलार्ध में स्थित जैक्सन एक प्रभावी क्रेटर है. क्रेटर का व्यास 71 किमी का है. माच क्रेटर के पश्चिमी बाहरी किनारे पर एक रोचक फीचर है, जिसका नाम मित्रा है. मित्रा का व्यास 92 किमी है. इसरो ने कहा, 'इसका नाम प्रोफेसर शिशिर कुमार मित्रा के नाम पर रखा गया है, जो भारतीय भौतिक शास्त्री थे और पद्म भूषण से सम्मानित थे. वह अपने आयनोस्फीयर व रेडियोफिजिक्स के कार्यो के लिए जाने जाते हैं.'

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चंद्रयान-2 द्वारा भेजी गई चांद की पहली तस्वीर.

22 अगस्त 2019
भारतीय स्पेस एजेंसी ने 22 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 स्पेसक्राफ्ट द्वारा चांद की खींची गई पहली तस्वीर जारी की थी. इस तस्वीर को चांद से 2,650 किलोमीटर की ऊंचाई पर 21 अगस्त को लिया गया था. इसरो ने बताया कि इस तस्वीर में मेयर ओरिएंटल बेसिन और अपोलो क्रेटर की पहचान की जा सकती है.

21 अगस्त 2019
इंडिया स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान -2 ने चांद की दूसरी कक्षा में 21 अगस्त 2019 को सफलतापूर्वक प्रवेश किया था. इसरो के अनुसार, कक्षा में स्पेसक्राफ्ट का प्रवेश 12.50 बजे शुरू हुआ, जिसे पूरा करने में उसे 1,228 सेकेंड लगे. चांद की कक्षा का आकार 118 किलोमीटर गुणा 4,412 किलोमीटर है, जिससे होकर स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरेगा.

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चंद्रयान-2 के चांद्रमा की कक्षा में स्थापित होने के बाद मीडिया को जानकारी देते इसरो चीफ के सिवन

20 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-2 20 अगस्त 2019 की सुबह चांद की कक्षा में स्थापित हो गया था अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, योजना के अनुरूप मंगलवार सुबह 9.02 बजे लूनर ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) सफलतापूर्व सम्पन्न हो गया था. चंद्रयान-2 के सभी सिस्टम बिल्कुल सही तरीके से काम कर रहे थे. इसरो ने बताया कि इस विशेष कार्यक्रम का काल 1,738 सेकेंड का था, जिसमें चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया था. कक्षा 114 किलोमीटर गुणा 18,072 किलोमीटर की है थी.

14 अगस्त 2019
चांद पर भेजे गए भारतीय स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-2 ने 14 अगस्त 2019 को सफलतापूर्वक लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी (एलटीटी) में प्रवेश कर लिया था. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के अनुसार, चंद्रयान की ऑर्बिट को बढ़ाने को लेकर तड़के 2.21 बजे स्पेसक्राफ्ट के मोटरों को 1,203 सेकेंड्स के लिए फायर किया गया था.

6 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 6 अगस्त 2019 को दोपहर 3.04 बजे चंद्रयान-2 की परिक्रमा-पथ (ऑर्बिट) को पांचवीं बार सफलतापूर्वक बढ़ाया था. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चंद्रयान-2 की ऑर्बिट को 276 गुना142, 975 किलोमिटर बढ़ाया गया, इसके लिए स्पेसक्राफ्ट के ऑनबोर्ड मोर्ट्स को 1,041 सेकेंड के लिए चालू किया गया था.

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चंद्रयान-2 से भेजी गई पृथ्वी की तस्वीर.

3 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 में लगे एलआई4 कैमरे से ली गईं धरती की तस्वीरें 3 अगस्त 2019 को ट्विटर पर साझा कीं गई थी. अंतरिक्ष से ली गईं धरती की तस्वीरों के साथ कई ट्वीट्स करते हुए इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 विक्रमलैंडर द्वारा ली गईं धरती की तस्वीरों का पहला सेट. चंद्रयान-2 एलआई4 कैमरे ने 17.37 यूटी पर तीन अगस्त, 2019 को धरती को देखा.

इसरो ने 17.29, 17.32, 17.34 और 17.37 यूटी पर ली गईं पृथ्वी की और तस्वीरें लगातार पोस्ट कीं. इसरो ने कहा कि शुक्रवार को अपराह्न 3.27 बजे चंद्रयान-2 को चौथी कक्षा में पहुंचाने की गतिविधि सफलतापूर्वक संपन्न हो गई.

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चंद्रयान-2 जब पृथ्वी से हुआ लॉन्च.

2 अगस्त 2019
भारत के मून स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-2 की ऑर्बिट चौथी बार सफलतापूर्वक बढ़ाई गई है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार दोपहर 3.27 बजे चंद्रयान की ऑर्बिट को चौथी बार बढ़ाया है. भारतीय स्पेस एजेंसी ने कहा कि चंद्रयान-2 की कक्षा को 646 सेकेंड के लिए ऑनबोर्ड मोटरों को चालू कर के 277 गुणा 89,472 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया था.

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पृथ्वी से लॉन्च होने के बाद की तस्वीर.

22 जुलाई 2019
इसरो के हैवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी एम-3) ने चंद्रमा के लिए उड़ान भरी थी. यह रॉकेट अपने साथ 3,850 किलोग्राम के चंद्रयान-2 को लेकर 22 जुलाई 2019 की दोपहर श्रीहरिकोटा अंतरिक्षयान से प्रक्षेपित हुआ.

दोपहर ठीक 2:43 बजे, 375 करोड़ रुपये के जीएसएलवी एम-3 रॉकेट ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में दूसरे लांच पैड से अंतरिक्ष के लिए चढ़ाई शुरू की. कुल 43.4 मीटर लंबे और 640 टन वजनी जीएसएलवी एम-3 का उपनाम 'बाहुबली' एक कामयाब रही फिल्म के सुपर हीरो किरदार के नाम पर रखा गया है. यह रॉकेट भारत के दूसरे मिशन को अंजाम देने के लिए 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 को अपने साथ लेकर गया.

बेंगलुरु: ऐतिहासिक सफलता हासिल करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कुछ ही कदम दूर है. कुछ ही घंटों में चंद्रयान-दो चंद्रमा तक पहुंचेगा. भारत के साथ-साथ पूरे विश्व की नजर इस क्षण पर टिकी हुई है. शुक्रवार रात एक बजे के बाद चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरेगा. इस कामयाबी को हासिल करने के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

जाने बीते दिनों चंद्रयान-2 की गतिविधियां क्या रहीं ?

04 सितंबर 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के दूसरे डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन के 04 सितंबर 2019 को सफलतापूर्वक होते ही भारत का पहला मून लैंडर विक्रम सात सितंबर को चांद पर उतरने के लिए तैयार हो गया. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अनुसार, विक्रम का दूसरा डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन तड़के 3.42 बजे ऑनबोर्ड संचालन तंत्र का उपयोग करते हुए शुरू हुआ और नौ सेकेंड में पूरा हो गया. विक्रम लैंडर की कक्षा 35 किलोमीटर गुणा 101 किलोमीटर की है. इसरो ने कहा कि इस ऑपरेशन के साथ ही विक्रम के चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए आवश्यक कक्षा प्राप्त कर ली गई है.

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चांद के करीब पहुंचा चंद्रयान-2.

3 सितम्बर 2019
भारत का पहला मून लैंडर विक्रम 3 सितम्बर 2019 को चांद के और करीब पहुंच गया था. इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने दो डी-ऑर्बिटल ऑपरेशंस में से पहला पूरा कर लिया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन योजना के तहत सुबह 8.50 बजे शुरू हो गया था. इसके बाद चार सेकेंड तक ऑनबोर्ड संचालन तंत्र शुरू करने के बाद ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया. विक्रम लैंडर की कक्षा 104 गुणा 128 किलोमीटर की है.

2 सितम्बर 2019
भारत का पहला मून लैंडर विक्रम अपने मातृ अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 से 2 सितम्बर 2019 को अपराह्न 1.15 बजे सफलतापूर्वक अलग हो गया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी साझा की. इसरो के अनुसार, विक्रम लैंडर उस समय 119 किलोमीटर गुणा 127 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित हुआ था. इसके बाद चंद्रयान-2 ऑर्बिटर में अपनी मौजूदा कक्षा में चांद के चक्कर लगाने लगा था. चंद्रयान-2 में तीन सेगमेंट -द ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड्स), द लैंडर विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड्स) और रोवर प्रज्ञान (27 किलोग्राम दो पेलोड्स) हैं.

पढ़ें: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान-2, पीएम रहेंगे मौजूद

1 सितम्बर 2019
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 1 सितम्बर 2019 की शाम चंद्रयान-2 के पांचवें और अंतिम कक्षा परिवर्तन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, अंतरिक्ष यान का कक्षा परिवर्तन शाम 6.21 बजे शुरू हुआ था. इसके लिए ऑनबोर्ड प्रोपल्सन प्रणाली का इस्तेमाल 52 सेकेंड के लिए किया गया. यह 119 किमी गुणा 127 किमी की कक्षा में पहुंच था.

पढ़ें: ISRO ने बताया किस तरह होगी चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग

30 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 30 अगस्त 2019 की शाम को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को चांद के और करीब ले जाने के लिए चौथी बार कक्षा में सफलतापूर्वक परिवर्तन किया था भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) ने कहा कि अंतरिक्ष यान के स्थान में बदलाव का कार्य शाम 6.18 बजे शुरू हुआ, जिसके लिए ऑनबोर्ड प्रोपल्शन प्रणाली का 1,155 सेकेंड के लिए उपयोग किया गया था. इस तरह यह 124 किमी गुणा 164 किलोमीटर की अगली कक्षा में पहुंच गया.

28 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) ने चंद्रमा की कक्षा के लिए अंतरिक्ष यान, चंद्रयान-2 की तीसरी गतिविधि पूरी कर दी थी. एजेंसी ने 28 अगस्त 2019 को यह जानकारी दी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक बयान में कहा, 'यह गतिविधि अंतर्राष्ट्रीय मानक समय के अनुसार बुधवार सुबह 9.04 बजे सफलतापूर्वक पूरी हुई. इस गतिविधि की अवधि 1,190 सेकेंड (19.84 मिनट) रहा.'

26 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 26 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान के टेरेन मैपिंग कैमरा-2 द्वारा चंद्रमा की सतह और उसके क्रेटर्स (गड्ढों) की तस्वीरों का एक नया सेट जारी किया था. इसरो के अनुसार, इन तस्वीरों को 23 अगस्त को करीब 4,375 किलोमीटर की ऊंचाई से लिया गया, जिसमें जैक्सन, मित्रा, माच व कोरोलेव जैसे क्रेटर्स दिखाई दे रहे हैं.

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चंद्रयान-2 द्वारा भेजी गईं चंद्रमा के क्रेटर्स की तस्वीर.

इसरो ने कहा कि चंद्रमा से दूर उत्तरी गोलार्ध में स्थित जैक्सन एक प्रभावी क्रेटर है. क्रेटर का व्यास 71 किमी का है. माच क्रेटर के पश्चिमी बाहरी किनारे पर एक रोचक फीचर है, जिसका नाम मित्रा है. मित्रा का व्यास 92 किमी है. इसरो ने कहा, 'इसका नाम प्रोफेसर शिशिर कुमार मित्रा के नाम पर रखा गया है, जो भारतीय भौतिक शास्त्री थे और पद्म भूषण से सम्मानित थे. वह अपने आयनोस्फीयर व रेडियोफिजिक्स के कार्यो के लिए जाने जाते हैं.'

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चंद्रयान-2 द्वारा भेजी गई चांद की पहली तस्वीर.

22 अगस्त 2019
भारतीय स्पेस एजेंसी ने 22 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 स्पेसक्राफ्ट द्वारा चांद की खींची गई पहली तस्वीर जारी की थी. इस तस्वीर को चांद से 2,650 किलोमीटर की ऊंचाई पर 21 अगस्त को लिया गया था. इसरो ने बताया कि इस तस्वीर में मेयर ओरिएंटल बेसिन और अपोलो क्रेटर की पहचान की जा सकती है.

21 अगस्त 2019
इंडिया स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान -2 ने चांद की दूसरी कक्षा में 21 अगस्त 2019 को सफलतापूर्वक प्रवेश किया था. इसरो के अनुसार, कक्षा में स्पेसक्राफ्ट का प्रवेश 12.50 बजे शुरू हुआ, जिसे पूरा करने में उसे 1,228 सेकेंड लगे. चांद की कक्षा का आकार 118 किलोमीटर गुणा 4,412 किलोमीटर है, जिससे होकर स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरेगा.

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चंद्रयान-2 के चांद्रमा की कक्षा में स्थापित होने के बाद मीडिया को जानकारी देते इसरो चीफ के सिवन

20 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-2 20 अगस्त 2019 की सुबह चांद की कक्षा में स्थापित हो गया था अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, योजना के अनुरूप मंगलवार सुबह 9.02 बजे लूनर ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) सफलतापूर्व सम्पन्न हो गया था. चंद्रयान-2 के सभी सिस्टम बिल्कुल सही तरीके से काम कर रहे थे. इसरो ने बताया कि इस विशेष कार्यक्रम का काल 1,738 सेकेंड का था, जिसमें चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया था. कक्षा 114 किलोमीटर गुणा 18,072 किलोमीटर की है थी.

14 अगस्त 2019
चांद पर भेजे गए भारतीय स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-2 ने 14 अगस्त 2019 को सफलतापूर्वक लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी (एलटीटी) में प्रवेश कर लिया था. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के अनुसार, चंद्रयान की ऑर्बिट को बढ़ाने को लेकर तड़के 2.21 बजे स्पेसक्राफ्ट के मोटरों को 1,203 सेकेंड्स के लिए फायर किया गया था.

6 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 6 अगस्त 2019 को दोपहर 3.04 बजे चंद्रयान-2 की परिक्रमा-पथ (ऑर्बिट) को पांचवीं बार सफलतापूर्वक बढ़ाया था. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चंद्रयान-2 की ऑर्बिट को 276 गुना142, 975 किलोमिटर बढ़ाया गया, इसके लिए स्पेसक्राफ्ट के ऑनबोर्ड मोर्ट्स को 1,041 सेकेंड के लिए चालू किया गया था.

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चंद्रयान-2 से भेजी गई पृथ्वी की तस्वीर.

3 अगस्त 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 में लगे एलआई4 कैमरे से ली गईं धरती की तस्वीरें 3 अगस्त 2019 को ट्विटर पर साझा कीं गई थी. अंतरिक्ष से ली गईं धरती की तस्वीरों के साथ कई ट्वीट्स करते हुए इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 विक्रमलैंडर द्वारा ली गईं धरती की तस्वीरों का पहला सेट. चंद्रयान-2 एलआई4 कैमरे ने 17.37 यूटी पर तीन अगस्त, 2019 को धरती को देखा.

इसरो ने 17.29, 17.32, 17.34 और 17.37 यूटी पर ली गईं पृथ्वी की और तस्वीरें लगातार पोस्ट कीं. इसरो ने कहा कि शुक्रवार को अपराह्न 3.27 बजे चंद्रयान-2 को चौथी कक्षा में पहुंचाने की गतिविधि सफलतापूर्वक संपन्न हो गई.

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चंद्रयान-2 जब पृथ्वी से हुआ लॉन्च.

2 अगस्त 2019
भारत के मून स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-2 की ऑर्बिट चौथी बार सफलतापूर्वक बढ़ाई गई है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार दोपहर 3.27 बजे चंद्रयान की ऑर्बिट को चौथी बार बढ़ाया है. भारतीय स्पेस एजेंसी ने कहा कि चंद्रयान-2 की कक्षा को 646 सेकेंड के लिए ऑनबोर्ड मोटरों को चालू कर के 277 गुणा 89,472 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया था.

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पृथ्वी से लॉन्च होने के बाद की तस्वीर.

22 जुलाई 2019
इसरो के हैवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी एम-3) ने चंद्रमा के लिए उड़ान भरी थी. यह रॉकेट अपने साथ 3,850 किलोग्राम के चंद्रयान-2 को लेकर 22 जुलाई 2019 की दोपहर श्रीहरिकोटा अंतरिक्षयान से प्रक्षेपित हुआ.

दोपहर ठीक 2:43 बजे, 375 करोड़ रुपये के जीएसएलवी एम-3 रॉकेट ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में दूसरे लांच पैड से अंतरिक्ष के लिए चढ़ाई शुरू की. कुल 43.4 मीटर लंबे और 640 टन वजनी जीएसएलवी एम-3 का उपनाम 'बाहुबली' एक कामयाब रही फिल्म के सुपर हीरो किरदार के नाम पर रखा गया है. यह रॉकेट भारत के दूसरे मिशन को अंजाम देने के लिए 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 को अपने साथ लेकर गया.

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Last Updated : Sep 29, 2019, 3:35 PM IST
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