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कृषि विधेयकों के जरिए सरकार ने नई जमींदारी प्रथा का उद्घाटन किया - अभिषेक मनु सिंघवी

कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया है कि राज्य सभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी, जिस कारण मतदान नहीं कराया गया. मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी.

Abhishek Manu Singhvi
अभिषेक मनु सिंघवी
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Published : Sep 24, 2020, 8:25 PM IST

Updated : Sep 24, 2020, 11:00 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े विधेयकों के माध्यम से देश में नई जमींदारी प्रथा का उद्घाटन किया है. इस कदम से मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा.

कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया कि राज्य सभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी, जिस कारण मतदान नहीं कराया गया. मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी.

कांग्रेस ने कृषि संबंधी विधेयकों को 'संघीय ढांचे के खिलाफ और असंवैधानिक' करार देते हुए गुरुवार को कहा कि इन ‘काले कानूनों’ को न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिंघवी ने कहा सरकार बार-बार कहती है कि वह किसानों के हित में विधेयक लाई है, अगर इनके जैसे किसानों के मित्र हों तो किसी शत्रु की जरूरत नहीं है. कांग्रेस नेता ने कहा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का उल्लेख विधेयक में नहीं है. एमएसपी के वजूद को खत्म कर दिया गया. यानी उपज की कीमत निर्धारण करने का जो आधार था, वो चला गया. हमारा सवाल है कि अगर कुछ निर्धारित नहीं है तो फिर कीमत कौन तय करेगा?

सिंघवी के अनुसार, कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने कहा था कि इन विधेयकों को प्रवर समिति के पास भेजा जाए, लेकिन इस सरकार ने जिद की राजनीति और अहंकार की राजनीति की. उसने यह विधेयक प्रवर समिति के पास नहीं भेजे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने शांता कुमार समिति की सिफारिशों को लागू करने का प्रयास किया है.

सिंघवी ने सवाल किया अनुबंध के आधार पर खेती के बारे में 75 साल तक किसी सरकार और प्रधानमंत्री ने फैसला क्यों नहीं किया? क्या इस सरकार ने ठेके की खेती के नाम पर नई जमींदारी प्रथा शुरू नहीं की है? उन्होंने आरोप लगाया कि यह 2020 की जमींदारी प्रथा है, जिसका उद्घाटन इस सरकार ने किया है. सिंघवी ने कहा अनाज के भंडारण की सीमा हटा दी गई है. क्या कोई भी कारोबारी जमाखोरी नहीं करेगा? यह मुनाफाखोरी को बढ़ाने की कोशिश है.

उन्होंने कहा यह लोग (भाजपा) कहते हैं कि कांग्रेस के घोषणापत्र में इसी तरह के कदम का वादा किया गया था, लेकिन इनको हमारे घोषणापत्र को पढ़ना चाहिए. हमने कई सुरक्षा चक्र की बात की थी. हमने जिन बातों का उल्लेख किया था वो बातें इन विधेयक में शामिल नहीं की गईं. कांग्रेस प्रवक्ता ने यह दावा भी किया कि अगर यह कानून बन गया तो यह संघीय ढांचे के विरूद्ध होगा. उन्होंने कहा कि सरकार को मालूम था कि उनके पास राज्य सभा में संख्या नहीं है इसलिए मतदान नहीं कराया गया.

पढ़ें : कृषि विधेयकों का विरोध, विपक्षी नेताओं ने की राष्ट्रपति से मुलाकात

दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली के करीब 200 गांव हैं. इन विधेयकों को लेकर दिल्ली के किसानों का विरोध भी है. इन विधेयकों से खेती और मंडी में काम करने वाला मजदूर भी प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस कमेटी इन विधेयकों को लेकर किसान सम्मेलन करेगी और इस मुद्दे को घर-घर तक लेकर जाएगी.

नई दिल्ली : कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े विधेयकों के माध्यम से देश में नई जमींदारी प्रथा का उद्घाटन किया है. इस कदम से मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा.

कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया कि राज्य सभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी, जिस कारण मतदान नहीं कराया गया. मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी.

कांग्रेस ने कृषि संबंधी विधेयकों को 'संघीय ढांचे के खिलाफ और असंवैधानिक' करार देते हुए गुरुवार को कहा कि इन ‘काले कानूनों’ को न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिंघवी ने कहा सरकार बार-बार कहती है कि वह किसानों के हित में विधेयक लाई है, अगर इनके जैसे किसानों के मित्र हों तो किसी शत्रु की जरूरत नहीं है. कांग्रेस नेता ने कहा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का उल्लेख विधेयक में नहीं है. एमएसपी के वजूद को खत्म कर दिया गया. यानी उपज की कीमत निर्धारण करने का जो आधार था, वो चला गया. हमारा सवाल है कि अगर कुछ निर्धारित नहीं है तो फिर कीमत कौन तय करेगा?

सिंघवी के अनुसार, कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने कहा था कि इन विधेयकों को प्रवर समिति के पास भेजा जाए, लेकिन इस सरकार ने जिद की राजनीति और अहंकार की राजनीति की. उसने यह विधेयक प्रवर समिति के पास नहीं भेजे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने शांता कुमार समिति की सिफारिशों को लागू करने का प्रयास किया है.

सिंघवी ने सवाल किया अनुबंध के आधार पर खेती के बारे में 75 साल तक किसी सरकार और प्रधानमंत्री ने फैसला क्यों नहीं किया? क्या इस सरकार ने ठेके की खेती के नाम पर नई जमींदारी प्रथा शुरू नहीं की है? उन्होंने आरोप लगाया कि यह 2020 की जमींदारी प्रथा है, जिसका उद्घाटन इस सरकार ने किया है. सिंघवी ने कहा अनाज के भंडारण की सीमा हटा दी गई है. क्या कोई भी कारोबारी जमाखोरी नहीं करेगा? यह मुनाफाखोरी को बढ़ाने की कोशिश है.

उन्होंने कहा यह लोग (भाजपा) कहते हैं कि कांग्रेस के घोषणापत्र में इसी तरह के कदम का वादा किया गया था, लेकिन इनको हमारे घोषणापत्र को पढ़ना चाहिए. हमने कई सुरक्षा चक्र की बात की थी. हमने जिन बातों का उल्लेख किया था वो बातें इन विधेयक में शामिल नहीं की गईं. कांग्रेस प्रवक्ता ने यह दावा भी किया कि अगर यह कानून बन गया तो यह संघीय ढांचे के विरूद्ध होगा. उन्होंने कहा कि सरकार को मालूम था कि उनके पास राज्य सभा में संख्या नहीं है इसलिए मतदान नहीं कराया गया.

पढ़ें : कृषि विधेयकों का विरोध, विपक्षी नेताओं ने की राष्ट्रपति से मुलाकात

दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली के करीब 200 गांव हैं. इन विधेयकों को लेकर दिल्ली के किसानों का विरोध भी है. इन विधेयकों से खेती और मंडी में काम करने वाला मजदूर भी प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस कमेटी इन विधेयकों को लेकर किसान सम्मेलन करेगी और इस मुद्दे को घर-घर तक लेकर जाएगी.

Last Updated : Sep 24, 2020, 11:00 PM IST
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