नई दिल्ली: सरकार ने प्याज की कीमतों में उछाल के बीच हर किस्म के प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ायी जा सके. इसके साथ साथ इसकी जमाखोरी रोकने के लिए प्याज के खुदरा और थोक व्यापारियों के लिए भंडारण या स्टॉक की सीमा घोषित कर दी है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने रविवार को जारी बयान में कहा कि खुदरा व्यापारियों के लिए प्याज भंडारण की सीमा 100 क्विंटल तक तय की गई है.
वहीं थोक व्यापारी 500 क्विंटल तक प्याज का स्टॉक रख सकेंगे. साथ ही राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे प्याज जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें.
बयान में कहा गया है कि बांग्लादेश और श्रीलंका को न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) से कम पर निर्यात को तत्काल रोका जाएगा और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
अगस्त से प्याज की कीमतों में उछाल आया है. दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्याज का खुदरा दाम 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है.
महाराष्ट्र जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में बाढ़ की वजह से इसकी आपूर्ति प्रभावित हुई है.
बयान में कहा गया है कि बाजार में प्याज की ऊंची कीमतों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं.
निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है, व्यापारियों के लिए प्याज के स्टॉक की सीमा लागू की गई है और राज्य सरकारों से जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है.
वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा 'सभी किस्म के प्याज पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. डीजीएफटी आयात और निर्यात से संबंधित मुद्दों को देखता है.'
इससे पहले 13 सितंबर को डीजीएफटी ने प्याज के निर्यात पर अंकुश के लिए 850 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय किया था.
इस कदम का उद्देश्य घरेलू बाजार में प्याज कीमतों पर अंकुश लगाना था.कोई भी निर्यातक एमईपी से नीचे के भाव पर निर्यात नहीं कर सकता है.
राज्य सरकारों के पास स्टॉक की सीमा तय करने का अधिकार होता है. लेकिन इस बार केंद्र ने सीधे राज्यों पर स्टॉक की सीमा लागू की है.
केंद्र ने राज्यों को प्याज भंडारण की सीमा को कड़ाई से लागू करने और जमाखोरों के खिलाफ अभियान चलाने को कहा है.
इस बीच, उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र सरकार अपने बफर स्टॉक से 50,000 टन प्याज निकाल रही है.
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दिल्ली में मदर डेयरी और सहकारी कंपनियों नाफेड और एनसीसीएफ द्वारा 23.90 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी वाली दर से प्याज की बिक्री की जा रही है. अन्य राज्यों से भी कहा गया है कि वे केंद्र के बफर स्टॉक का इस्तेमाल आपूर्ति बढ़ाएं.
महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्यों में बाढ़ की वजह से प्याज की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
इससे पहले 13 सितंबर को डीजीएफटी ने प्याज के निर्यात पर अंकुश के लिए 850 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय किया था. इस कदम का उद्देश्य घरेलू बाजार में प्याज कीमतों पर अंकुश लगाना था.
दिल्ली और देश के कुछ अन्य हिस्सों में प्याज का खुदरा दाम 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है. महाराष्ट्र जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में बाढ़ की वजह से इसकी आपूर्ति प्रभावित हुई है.
इस बीच, उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र सरकार अपने बफर स्टॉक से 50,000 टन प्याज निकाल रही है. सरकार ने पिछले महीने चेताया था कि प्याज की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
(पीटीआई इनपुट)