नई दिल्ली : रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शुक्रवार को बताया कि 279 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें 20 मई तक चलाई गई हैं. राज्यों द्वारा अनुरोध के बाद इन ट्रेनों को समायोजित किया गया. उन्होंने कहा कि रेलवे द्वारा दैनिक आधार पर लगभग तीन लाख प्रवासियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है.
विनोद कुमार ने सह-रुग्णताओं, गर्भवती महिलाओं, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए रेल से यात्रा बचने के लिए कहा. राज्य सरकारों ने आरंभिक स्टेशनों पर श्रमिकों को भोजन और पानी उपलब्ध कराया. IRCTC और रेलवे डिवीजनों ने ट्रेनों के मार्ग में प्रवासियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की.
यादव ने कहा, 'अब तक कुल 3840 ट्रेनों में से केवल चार ट्रेनों को अपनी मंजिल तक पहुंचने में 72 घंटे से अधिक समय लगा. 90 फीसदी ट्रेनें अपनी औसत गति से अधिक तेजी से चली. हम कोविड19 महामारी के कारण आ रही कठिनाइयों के बावजूद, सभी मुद्दों को हल करने और सभी यात्रियों को भोजन और पानी की आपूर्ति करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.'
विनोद कुमार ने उस मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया, जिसमें कहा गया कि 9 दिनों में एक ट्रेन सूरत से सीवान पहुंची, उन्होंने कहा कि यह फर्जी खबर है. ट्रेन दो दिनों में अपने गंतव्य तक पहुंच गई थी.
उन्होंने कहा कि जब तक प्रवासी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंचते, तब तक 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलती रहेंगी. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए राज्यों की मांग धीरे-धीरे कम हो रही है. 24 मई को राज्यों की आवश्यकता 923 ट्रेनों की थी, कल की आवश्यकता के अनुसार, यह आंकड़ा अब 449 रह गया.
उन्होंने बताया कि जिन मजदूरों को ट्रेन से भेजा गया है, उनमें उत्तर प्रदेश के 42 फीसदी और बिहार के 37 प्रतिशत मजदूर शामिल हैं.