लखनऊ : मेडिकल कॉलेज घोटाले की जांच को लेकर आज केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) द्वारा लखनऊ के कई ठिकानों पर छापेमारी की गई है. इस मामले दो जजों सहित कई बड़े लोगों के नाम शामिल हैं.
इस छापेमारी के दौरान लखनऊ बेंच के वर्तमान जज और एक पूर्व जज के यहां भी दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं. मेडिकल कॉलेज घोटाले की जांच को लेकर आज सीबीआई द्वारा लखनऊ में बड़ी छापेमारी की गई.
बताया जा रहा है कि मौजूदा जज और एक पूर्व जज समेत कई लोगों के आवास पर छापेमारी हुई है और दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं. इन ठिकानों पर सीबीआई ने सुरक्षा व्यवस्था के भी पुख्ता इंतजाम किए हैं. किसी को अंदर या बाहर आने जाने नहीं दिया जा रहा है.
अब देखने वाली बात यह है कि घंटों चली सीबीआई की छापेमारी के दौरान घोटाले से जुड़े हुए कौन से दस्तावेज बरामद होते हैं.
उत्तर प्रदेश की इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी मौजूदा जज के यहां किसी भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआई छापा पड़ा है.
मौजूदा जज जस्टिस एसएन शुक्ला और पूर्व जज जस्टिस आयुषी के आवास पर सीबीआई द्वारा छापेमारी में महत्वपूर्ण दस्तावेज और घोटाले से संबंधित जानकारी हाथ लगने की बात कही जा रही है.
जानें क्या है घोटाला
सीबीआई सूत्रों के अनुसार राजधानी लखनऊ के कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को लेकर घोटाला हुआ.
गौरतलब है कि यह मेडिकल कॉलेज समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता डीपी यादव और पलाश यादव का है, जोकी समाजवादी पार्टी के सरकार में मंत्री रहे दुर्गा प्रसाद यादव के भाई बीपी यादव हैं.
साल 2017 में तमाम अनियमितताओं के चलते और शिक्षा गुणवत्ता पूरी न कर पाने के कारण मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मेडिकल कॉलेज में नए प्रवेश पर रोक लगा दी थी.
नए प्रवेश पर रोक लगाने के खिलाफ मेडिकल कॉलेज द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी.
मामले पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की बेंच ने मेडिकल कॉलेजों को राहत देने से इंकार कर दिया था.
इसी दौरान प्रसाद एजूकेशन ट्रस्ट की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक दूसरी याचिका दायर की गई.इस याचिका पर जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने सुनवाई कर रही थी.
इस मामले पर जस्टिस शुक्ला की बेंच ने सुनवाई के बाद बाद प्रसाद मेडिकल कॉलेज को नए प्रवेश लेने की अनुमति दे दी .
इस दौरान जब सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज में नए प्रवेश पर रोक लगाई थी और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में कॉलेज को राहत दे दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के बीच टकराव की को लेकर भी कई सवाल खड़े हुए थे.
जस्टिस शुक्ला के इस फैसले से को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था.
गौरतलब है कि जस्टिस शुक्ला द्वारा फैसला सुनाने से 2 दिन पहले सीबीआई की टीमों ने लखनऊ और अन्य कई स्थानों पर छापेमारी की थी.
सीबीआई ने आई एम कुद्दूसी समेत प्रसाद मेडिकल एजुकेशन ट्रस्ट के मालिक बीपी यादव, पलाश यादव ,विश्वनाथ अग्रवाल , भावना पांडे और मेरठ के मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक सुधीर गिरि समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था.