नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मॉस्को में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक तकनीक संपर्क इकाई स्थापित करने को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इसके माध्यम से इसरो आपस में तालमेल करने एवं रूस और पड़ोसी देशों में अंतरिक्ष एजेंसियों एवं उद्योगों के साथ सहयोग में सक्षम हो जाएगा.
इसरो के गगनयान कार्यक्रम को कुछ प्रमुख तकनीकों के विकास और विशेष सुविधाओं की स्थापना की जरूरत है, जो अंतरिक्ष में जीवन को सहारा देने के लिए आवश्यक हैं.
गगनयान मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए 15 अगस्त, 2022 की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ तकनीकी भागीदारी कायम करना अहम है. इस दिशा में रूस के साथ भागीदारी की योजना है, जो कई क्षेत्रों के लिहाज से अहम रहेगी.
इसके वित्तीय दायित्व के संदर्भ में कहा गया है कि रूस के मॉस्को स्थित इसरो तकनीक संपर्क इकाई :आईटीएलयू: पर वेतन, कार्यालय खर्च, किराये, कर आदि के मद में औसतन लगभग 1.50 करोड़ रुपये सालाना का व्यय होगा.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन :इसरो: और बोलिविया अंतरिक्ष एजेंसी (एबीए) के बीच शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष में खोज और उपयोग में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन को बुधवार को भी मंजूरी प्रदान कर दी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दोनों देशों के बीच हुए एमओयू को कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की गई.
इस समझौता ज्ञापन पर 29 मार्च, 2019 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और बोलिविया अंतरिक्ष एजेंसी ने भारत के राष्ट्रपति की बोलिविया यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए.
यह समझौता ज्ञापन, पृथ्वी की रिमोर्ट सेंसिंग, उपग्रह संचार, उपग्रह आधारित नौवहन, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रह-संबंधी अन्वेषण, अंतरिक्षयान, अंतरिक्ष प्रणालियों और भूतल प्रणाली के उपयोग तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग सहित अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा उपयोग जैसे सहयोग के संभावित हित क्षेत्रों को समर्थ बनाएगा.
यह समझौता ज्ञापन इसरो और बोलिविया अंतरिक्ष एजेंसी के सदस्यों को शामिल करके एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने में मदद करेगा .
इसके अलावा भारत और बहरीन के बीच शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष में खोज और उपयोग में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन को बुधवार को भी मंजूरी दी गई .
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बारे में अवगत कराया गया.
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इस समझौता ज्ञापन पर भारत द्वारा 11 मार्च 2019 को बेंगलुरु में और 28 मार्च 2019 को बहरीन द्वारा मनामा में हस्ताक्षर किए गए.
यह समझौता ज्ञापन, पृथ्वी की रिमोर्ट सेंसिंग, उपग्रह संचार, उपग्रह आधारित नौवहन, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रह-संबंधी अन्वेषण, अंतरिक्षयान, अंतरिक्ष प्रणालियों और भूतल प्रणाली के उपयोग तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग सहित अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा उपयोगों सहित सहयोग के संभावित हित क्षेत्रों को समर्थ बनाएगा.
यह समझौता ज्ञापन डीओएस एवं इसरो और बहरीन सरकार की बहरीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान एजेंसी (एनएसएसए) से सदस्यों को शामिल करके एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने में मदद करेगा . यह समय-सीमा और समझौता ज्ञापन कार्यान्वयन के तरीकों सहित कार्य-योजना भी तैयार करेगा.