बूंदी : ईरान की ओर से भारत से चावल का आयात नहीं करने के कारण भारत का चावल उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है. इसका असर बूंदी के चावल उद्योग सहित धान उत्पादक किसानों पर भी पड़ रहा है. किसानों को कृषि उपज मंडियों में धान का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
ईरान हल साल भारत का 10 लाख टन चावल उच्च गुणवत्ता की खरीदता था. लेकिन अमेरिका के दबाव के कारण भारत ने ईरान से क्रूड ऑयल की खरीद बंद कर दी है. भारत अपनी कुल आवश्यकता का 25 प्रतिशत क्रूड ऑयल ईरान से खरीदा था, लेकिन 10 साल पहले भारत ने यह खरीद 10 प्रतिशत तक सीमित कर दी थी और 3 सितंबर 2019 को क्रूड ऑयल की खरीद ईरान से पूरी तरह बंद कर दी थी.
ईरान ने बंंद किया भारत से चावल का आयात...
बता दें कि भारत अब क्रूड ऑयल सऊदी अरब से खरीद रहा है, जिससे भारत के कोई व्यापारिक रिश्ते नहीं हैं. ईरान से भारत के पुराने व्यापारिक रिश्ते के कारण भारत को विदेशी मुद्रा भी मिल रही थी और भारत से चावल के अलावा अन्य चीजें भी ईरान को निर्यात हो रही थी, जो अब बंद है. ईरान के व्यापारिक रिश्ते बिगड़ने के कारण ईरान ने भारत से चावल का आयात करना बंद कर दिया है, जिससे भारत के चावल निर्यातकों का पैसा भी अटका हुआ है. इससे पूरे देश के चावल उद्योग पर संकट आ गया है.
भारत पर अमेरिका के दबाव के कारण भारत-ईरान के व्यापारिक रिश्ते बिगड़ने के कारण भारत में चावल का बाजार 30 प्रतिशत नीचे चला गया है. जिससे किसानों को मंडी में धान का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. वहीं, पिछले साल बूंदी मंडी में धान का मूल्य 3200 प्रति क्विंटल था, जो वर्तमान में 2200 प्रति क्विंटल रह गया है.
बूंदी मंडी में धान बेचने आए किसानों ने बताया कि अपनी उपज का पूरा मूल्य नहीं मिल रहा है. नतीजन किसान परेशान हैं. इस साल जब बूंदी मंडी में धान की आवक शुरू हुई थी तब मंडी में धान 2600 रुपए प्रति क्विंटल था, लेकिन अब यह घटकर 2200 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है. जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब सब कुछ ठीक था. लेकिन अब स्थिति बदलने के कारण भारत ईरान के रिश्तो में खटास आ गई है. जिससे भारत का चावल उद्योग प्रभावित हो रहा है.
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इस साल 48 हजार हेक्टेयर चावल की पैदावार...
जिले में 48 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इस वर्ष धान की फसल हुई है. धान उत्पादक किसान ने बड़े जतन से धान की पैदावार की, लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण आज धान उत्पादक किसान मायूस हैं. बूंदी जिले में ही 22 चावल फैक्ट्रियां हैं, जो वर्तमान गतिरोध के कारण संकट के दौर से गुजर रही है. यहां पर चावल उद्योग संघ ने भी पिछले अक्टूबर माह में कोटा-बूंदी सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को ज्ञापन दिया था और इस समस्या से अवगत करवाया था. लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है.
इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पिछले दिनों बूंदी दौरे पर थे. यहां पर चावल आयात के मुद्दे पर ईरान सरकार से बात करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि ईरान के स्पीकर से उनकी बात हुई है और पूरा मामला विदेश मंत्रालय से जुड़ा हुआ है. जल्द इस मामले में हल निकाला जाएगा और किसानों को राहत प्रदान की जाएगी.
उधर, चावल उद्योग संघ के अध्यक्ष राजेश तापड़िया का कहना है कि चावल उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है. ईरान में भारतीय चावल निर्यातकों का पैसा अटका हुआ है, जिससे चावल निर्यातकों आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. भारत के ईरान से काफी अच्छे व्यापारिक संबंध रहे हैं. लेकिन अमेरिका की वजह से ईरान ने व्यापारिक संबंधों से अपने हाथ वापस लेने के बाद कई व्यवसायियों को चूना लग रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा घाटा चावल उद्योग को लगा है.
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मंगलवार को विभिन्न धान की किस्मों के भाव कुछ इस प्रकार रहे...
यह केंद्र सरकार का विषय है, सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इस मामले में विचार कर किसानों को राहत दिलाई जाए. बूंदी कृषि मंडी की बात की जाए तो बूंदी कृषि मंडी में मंगलवार को विभिन्न धान की किस्मों के भाव इस प्रकार रहे...
- किस्म 1121-2 हजार 681 प्रति क्विंटल
- किस्म 1509, 2 हजार 261 रुपये प्रति क्विंटल
- पूसा के 2 हजार 191 रुपये प्रति क्विंटल
- सुगंधा 2 हजार 335 रुपये प्रति क्विंटल
अब इस साल 48 हजार हेक्टेयर में चावल की फसल की बुवाई हुई थी और लगभग सब जगह पर चावल की फसलों को किसान खेतों से उपज कर चुके हैं. मंडी में विभिन्न प्रकार की चावल की किस्मों को लेकर पहुंच रहे हैं.
बूंदी में हर साल लाखों की तादाद में मंडी में चावल की बोरियां आती हैं, लेकिन चावल उद्योग संकट में है तो बूंदी का चावल का स्वाद अब फीका पड़ता हुआ नजर आ रहा है. उद्योग से जुड़े लोगों की मानें तो अगर ऐसा ही चलता रहा तो भोजन की थाली से चावल जल्द ही गायब भी हो जाएगा.