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झारखंड : डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बीएसएफ जवान की मौत

झारखंड के बोकारो जनरल अस्पताल में इलाज के अभाव के कारण बीएसएफ जवान उदय शंकर शर्मा की मौत हो गई. बीएसएफ जवान 8वीं बटालियन में पश्चिम बंगाल में सीटी (जीडी) के पोस्ट पर तैनात थे.

BSF jawan dead in bokaro
बीएसएफ जवान की मौत
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Published : Jul 26, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 12:06 AM IST

रांची : झारखंड के बोकारो में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां पर डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की अनदेखी और सुस्त रवैये की वजह से बीएसएफ के एक जवान की मौत हो गई. बोकारो के सेक्टर नौ का रहने वाला बीएसएफ जवान 8वीं बटालियन में पश्चिम बंगाल में सीटी (जीडी) के पोस्ट पर तैनात थे. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें 22 जुलाई को झारखंड बोकारो में भर्ती कराया गया था.

अस्पताल में डॉक्टरों ने नहीं किया इलाज

भर्ती के 24 घंटे बाद कोरोना का सैंपल लिया गया. जब तक किसी भी तरह की जांच से डॉक्टर ने मना कर दिया. परिजनों ने बाहर से खरीदकर शुगर और बीपी किट से उदय शंकर का शुगर और बीपी जांच की गई. जांच में पता चला कि वो हाई बीपी और हाई शुगर से जूझ रहे है. इलाज के लिए परिजनों ने मेडिकल स्टाफ से काफी मिन्नतें कीं. लेकिन कोरोना का हवाला देकर उदय शंकर को दवा और इलाज के महरूम रखा गया और उदय शंकर ने तड़प-तड़पकर अपनी पत्नी और बच्ची के सामने दम तोड़ दिया. पत्नी और पुत्री का सीधा आरोप अस्पताल के डॉक्टर और नर्स पर है कि, उनकी अनदेखी से उदय शंकर की मौत हो गई. जबकि डॉक्टर ने बार-बार कोरोना की रिपोर्ट आने का हवाला दिया गया.

पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है. सेना के जवान के साथ बोकारो के बड़े अस्पताल में ऐसा बर्ताव सवाल उठाने के लिए लाजिमी है कि कोरोना के बहाने आम लोगों का और आम बीमारी से जूझ रहे लोगों का क्या होगा. बीएसएफ जवान उदय शंकर शर्मा की मौत का जिम्मेदार कौन है. किसकी अनदेखी है या फिर सिस्टम की जद में आकर उदय की मौत हो गई. सवाल अब भी वहीं है कि इन सवालों का जवाब कौन देगा.

पढ़े : मध्य प्रदेश : बैतूल के जज और उनके बेटे की फूड पॉइजनिंग से मौत

रांची : झारखंड के बोकारो में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां पर डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की अनदेखी और सुस्त रवैये की वजह से बीएसएफ के एक जवान की मौत हो गई. बोकारो के सेक्टर नौ का रहने वाला बीएसएफ जवान 8वीं बटालियन में पश्चिम बंगाल में सीटी (जीडी) के पोस्ट पर तैनात थे. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें 22 जुलाई को झारखंड बोकारो में भर्ती कराया गया था.

अस्पताल में डॉक्टरों ने नहीं किया इलाज

भर्ती के 24 घंटे बाद कोरोना का सैंपल लिया गया. जब तक किसी भी तरह की जांच से डॉक्टर ने मना कर दिया. परिजनों ने बाहर से खरीदकर शुगर और बीपी किट से उदय शंकर का शुगर और बीपी जांच की गई. जांच में पता चला कि वो हाई बीपी और हाई शुगर से जूझ रहे है. इलाज के लिए परिजनों ने मेडिकल स्टाफ से काफी मिन्नतें कीं. लेकिन कोरोना का हवाला देकर उदय शंकर को दवा और इलाज के महरूम रखा गया और उदय शंकर ने तड़प-तड़पकर अपनी पत्नी और बच्ची के सामने दम तोड़ दिया. पत्नी और पुत्री का सीधा आरोप अस्पताल के डॉक्टर और नर्स पर है कि, उनकी अनदेखी से उदय शंकर की मौत हो गई. जबकि डॉक्टर ने बार-बार कोरोना की रिपोर्ट आने का हवाला दिया गया.

पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है. सेना के जवान के साथ बोकारो के बड़े अस्पताल में ऐसा बर्ताव सवाल उठाने के लिए लाजिमी है कि कोरोना के बहाने आम लोगों का और आम बीमारी से जूझ रहे लोगों का क्या होगा. बीएसएफ जवान उदय शंकर शर्मा की मौत का जिम्मेदार कौन है. किसकी अनदेखी है या फिर सिस्टम की जद में आकर उदय की मौत हो गई. सवाल अब भी वहीं है कि इन सवालों का जवाब कौन देगा.

पढ़े : मध्य प्रदेश : बैतूल के जज और उनके बेटे की फूड पॉइजनिंग से मौत

Last Updated : Jul 27, 2020, 12:06 AM IST
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