ग्वालियर : मध्यप्रदेश में शराब को लेकर सियासत बढ़ती ही जा रही है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा शराब की दुकानें बढ़ाने पर अडिग हैं, जबकि सीएम शिवराज इस मामले में फिलहाल कोई फैसला नहीं होने की बात कह रहे हैं.
इस बीच पूर्व सीएम उमा भारती प्रदेश में शराब बंदी की अलख जगाने लगीं तो इन सबके उलट बिना पीये ही बीजेपी के नेताजी बहक गए और शराब पर जब बोलना शुरू किया तो उन्हें कुछ होश ही नहीं रहा कि वो बोल क्या रहे हैं और इसका असर क्या होने वाला है.
प्रदेश उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार ग्वालियर पहुंचे मुकेश चौधरी ने कहा कि 'अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे, मैंने खुद मृत्युंजय में पढ़ा है. उसमे लिखा है कि जब महाभारत के युद्ध की घोषणा हुई तब राजाओं ने घोषणा की थी कि आयुध और शराब निर्माता अपना उत्पादन बढ़ाएं. ये तो पुरातन काल से चला आ रहा है. साथ ही मुकेश चौधरी ने ये भी कहा कि 'शराब शुद्ध और सीमा में पियें, ये आत्म अनुशासन तो व्यक्ति को खुद को बनाना पड़ेगा.'
बता दें पिछले दिनों मुरैना में जहरीली शराब से 25 से ज्यादा लोगों की हो गई थी. जिसके बाद नरोत्तम मिश्रा ने लोगों की मौत की वजह शराब दुकानों का कम होना माना. लिहाजा गृह मंत्री ने नई शराब दुकानें खोलने की बात कही. वहीं शिवराज सिंह ने कहा कि सरकार शराब को कतई बढ़ावा नहीं देना चाहती. राज्य में शराब की नई दुकानें खोलने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
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वहीं, उमा भारती ने कहा कि शराब बुराइयों की जड़ है. मध्यप्रदेश जैसे सौम्य राज्य में मदिरापान की कोई जगह नहीं है. इसलिए गुजरात की तर्ज पर मध्य प्रदेश में शराबबंदी हो जाए .