इस्लामाबादः पाकिस्तान में बाल विवाह रोकने के लिए संसद में एक विधेयक पारित किया गया है. इसमें लड़की की युवावस्था की उम्र 18 साल तय की गई है. इसका मकसद बाल विवाह रोकना है.
पाक की संसद में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सांसद शेरी रहमान ने बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 1929 पेश किया. इसका मकसद देश में बाल विवाह प्रथा को रोकने में मदद हासिल करना है.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, विपक्ष के सांसदों ने इस विधेयक को इस्लाम के खिलाफ करार दिया और संसद में इसका विरोध भी किया. हालांकि, विपक्ष के जबरदस्त विरोध के बीच इस विधेयक को सोमवार को पारित कर दिया गया.
सांसद गफूर हैदरी ने निकाह की उम्र तय करने को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि निकाह की उम्र तय करना शरिया के खिलाफ है. विधेयक को आगे की चर्चा के लिए इस्लामिक विचारधारा परिषद (आईआईसी) को भेजा जा सकता है.
धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल कादरी ने कहा कि इसी प्रकार का एक विधेयक 2010 में आईआईसी को भेजा गया था. परिषद ने इसे यह कहकर लौटा दिया था कि फौकाह के मुताबिक नहीं है. युवावस्था की उम्र समयानुसार बदलती है और इसे तय नहीं किया जा सकता है.
संसद के पूर्व अध्यक्ष रजा रब्बानी ने इसका समर्थन किया और यह कहा कि विधेयक इससे पहले आईआईसी को भेजा गया था जहां यह कईं सालों तक लंबित रहा.
उन्होंने कहा कि सिंध विधानसभा ने पहले ही विधेयक पारित कर दिया था जिसे अब तक किसी भी मंच पर किसी तरह की चुनौती या विरोध नहीं मिला.
उन्होंने आगे कहा कि अन्य इस्लामी देशों में भी लड़कियों की यौवन की उम्र भी 18 साल है.
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बिल के प्रस्तावक सीनेटर रहमान ने बिल पर वोटिंग के लिए सीनेट अध्यक्ष से आग्रह करते हुए कहा कि वोट की उम्र, पहचान पत्र की उम्र 18 थी, तो इसलिए युवावस्था की उम्र इसके अनुसार ही निर्धारित नहीं की जा सकती है.
युवावस्था के लिए 18 साल की उम्र घोषित करने वाले अन्य मुस्लिम देशों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, अल्जीरिया में युवावस्था की उम्र 19 थी, जबकि बांग्लादेश, मिस्र, तुर्की, मोरक्को, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यहां तक कि सऊदी अरब ने भी युवावस्था के लिए 18 साल तय किए थे.
सीनेटर ने कहा, "हम पश्चिमी मूल्यों को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं, हम एक निर्दोष की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि कम उम्र में शादी होने से हर 20 मिनट में एक पाकिस्तानी महिला की मौत हो जाती है." लेकिन दुर्भाग्यवश पाकिस्तान में 18 साल से कम आयु में 21 प्रतिशत शादियां हुईं.
संसदीय मामलों के मंत्री अली मुहम्मद खान ने कहा कि हालांकि विधेयक का इरादा नेक है, लेकिन कईं मुद्दे ऐसे हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि देश इस्लाम के नाम पर ही अस्तित्व में आया.
विधेयक पर बहस के बाद सीनेट अध्यक्ष ने मतदान की मांग की, और पांच मतों के विरोध के साथ विधेयक पारित किया.
(पीटीआई इनपुट)