नई दिल्ली: डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए सरकार जल्द ही सख्त कानून बना सकती है. इसके लिए एक अंतर मंत्रालयी समिति ने एक सुझाव दिया है और अगर समिति द्वारा सुझाया गया कानून लागू होता है तो डॉक्टरों पर हमला करने वाले लोगों को गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट के साथ 7 साल की कैद हो सकती है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ आरवी असोकन ने कहा, 'हमने मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है और स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दिया है. इसका प्रभाव 22 मौजूदा कानूनों पर प्रभाव पड़ेगा.'
बता दें कि डॉक्टरों पर हिंसक हमले की कई घटनाओं से आहत, केंद्र सरकार ने इस मामले को देखने के लिए इस महीने की शुरुआत में एक अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया था. समिति ने अपनी पहली बैठक में ऐसी हिंसक घटनाओं से निपटने के लिए एक मसौदा कानून तैयार करने के लिए एक उप समिति का गठन किया.
उप समिति ने पिछले सप्ताह अपनी बैठक में मसौदा कानून स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दिया था.
इस मसौदे में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों पर हमलों में शामिल अभियुक्तों को 7 साल की कैद का सुझाव दिया गया है.
असोकन ने कहा, 'हमने मसौदा कानून भेज दिया है, अब यह केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित होने से पहले उनके सुझावों के लिए कानून मंत्रालय और गृह मंत्रालय के पास जाएगा.'
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असोकन ने बताया कि इस मसौदे के अनुसार अगर डॉक्टरों पर कोई हमला करता है तो घटना में मामूली चोट लगने पर पीड़ित डॉक्टरों को 1लाख रुपये का वित्तीय लाभ मिलेगा और गंभीर चोट के कारण 10 लाख रुपये मिलेंगे.
गौरतलब है कि जब से पश्चिम बंगाल के निल रत्न सिरकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (NRS) में डॉक्टरों पर हमला हुआ, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक कड़े कानून की मांग की गई.