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असम के बिनोद दुलु को मिला अर्थ डे नेटवर्क स्टार सम्मान

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Published : Aug 7, 2020, 5:41 PM IST

बिनोद दुलु बोरा लंबे समय से ग्रीन गार्ड नेचर ऑर्गनाइजेशन से जुड़े रहे हैं. 2012 में उन्हें वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सेंचुरी एशिया के टाइगर डिफेंडर अवार्ड और 2014 में वन्यजीव सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. साथ ही 'हाथी बंधु' के सदस्य बोरा ने मानव और हाथी के संघर्ष को कम करने के लिए उल्लेखनीय कदम उठाए थे.

बिनोद दुलु बोरा
बिनोद दुलु बोरा

गुवाहाटी : असम के बिनोद दुलु बोरा नाम के युवा को हाल ही में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों के लिए पृथ्वी दिवस नेटवर्क स्टार के खिताब से सम्मानित किया गया. शीर्ष रैंकिंग प्राप्त अंतरराष्ट्रीय संगठन अर्थ डे नेटवर्क ने बोरा को विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों को बचाने और वन्यजीव प्रजातियों और मनुष्यों के बीच संघर्ष को कम करने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया है.

जंगल में वन्यजीवों की प्रजातियों को बचाने और छोड़ने के अलावा बोरा मानव और जंगली हाथियों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए भी सक्रिय रूप से काम कर रहे थे.

मध्य असम के नागांव जिले के निवासी बोरा ने किंग कोबरा, इंडियन स्लो लॉरिस, हिमालयन अजगर, उल्लू, सारस तथा अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने के लिए काफी प्रयास किया है.

इस मौके पर विनोद दुलु बोरा ने कहा, 'यह मेरे लिए सम्मान की बात है. 192 देशों के उम्मीदवार इस प्रतियोगिता में थे. मैं भारत की ओर से इस खिताब के लिए चुना गया, यह मेरे लिए सम्मान की बात है.'

बोरा लंबे समय से ग्रीन गार्ड नेचर ऑर्गनाइजेशन से जुड़े रहे हैं. 2012 में उन्हें वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सेंचुरी एशिया के टाइगर डिफेंडर अवार्ड और 2014 में वन्यजीव सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. साथ ही 'हाथी बंधु' के सदस्य बोरा ने मानव और हाथी के संघर्ष को कम करने के लिए उल्लेखनीय कदम उठाए थे.

बोरा ने असम के कार्बी आंगलोंग जिले के हतीखोली रोंगहांग गांव के बफर क्षेत्र में जंगली हाथियों के लिए एक पर्यवेक्षित धान की खेती की योजना बनाई थी, जिसने 2019 में गांव में हाथी के हमलों को काफी कम कर दिया है. असम सरकार ने बोरा को 'सामूहिक कर्म कोटा' अवार्ड से भी सम्मानित किया है.

यह भी पढ़ें - क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस ?

गुवाहाटी : असम के बिनोद दुलु बोरा नाम के युवा को हाल ही में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों के लिए पृथ्वी दिवस नेटवर्क स्टार के खिताब से सम्मानित किया गया. शीर्ष रैंकिंग प्राप्त अंतरराष्ट्रीय संगठन अर्थ डे नेटवर्क ने बोरा को विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों को बचाने और वन्यजीव प्रजातियों और मनुष्यों के बीच संघर्ष को कम करने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया है.

जंगल में वन्यजीवों की प्रजातियों को बचाने और छोड़ने के अलावा बोरा मानव और जंगली हाथियों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए भी सक्रिय रूप से काम कर रहे थे.

मध्य असम के नागांव जिले के निवासी बोरा ने किंग कोबरा, इंडियन स्लो लॉरिस, हिमालयन अजगर, उल्लू, सारस तथा अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने के लिए काफी प्रयास किया है.

इस मौके पर विनोद दुलु बोरा ने कहा, 'यह मेरे लिए सम्मान की बात है. 192 देशों के उम्मीदवार इस प्रतियोगिता में थे. मैं भारत की ओर से इस खिताब के लिए चुना गया, यह मेरे लिए सम्मान की बात है.'

बोरा लंबे समय से ग्रीन गार्ड नेचर ऑर्गनाइजेशन से जुड़े रहे हैं. 2012 में उन्हें वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सेंचुरी एशिया के टाइगर डिफेंडर अवार्ड और 2014 में वन्यजीव सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. साथ ही 'हाथी बंधु' के सदस्य बोरा ने मानव और हाथी के संघर्ष को कम करने के लिए उल्लेखनीय कदम उठाए थे.

बोरा ने असम के कार्बी आंगलोंग जिले के हतीखोली रोंगहांग गांव के बफर क्षेत्र में जंगली हाथियों के लिए एक पर्यवेक्षित धान की खेती की योजना बनाई थी, जिसने 2019 में गांव में हाथी के हमलों को काफी कम कर दिया है. असम सरकार ने बोरा को 'सामूहिक कर्म कोटा' अवार्ड से भी सम्मानित किया है.

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