नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को खिलाफ असम में जारी प्रदर्शन से स्तब्ध निर्दलीय सांसद नाबा कुमार सरनिया ने मांग की है कि सम्पूर्ण असम को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के तहत लाया जाना चाहिए.
सरनिया ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'असम पहले भी विदेशियों के खिलाफ प्रदर्शन देख चुका है, एएएसयू की पहल पर एजेवाईसीपी ने इस आंदोलन का समर्थन किया था. फिलहाल असम समझौते की कई धाराओं को अब तक लागू नहीं किया गया. असम के लोगों को भय है कि यह कानून उन्हें अल्पसंख्यक बना देगा और इस कारण वे इसका विरोध कर रहे हैं. इसीलिए सम्पूर्ण असम क्षेत्र को आईएलपी के तहत लाया जाना चाहिए.'
कोकराझार से लगातार दूसरी बार निर्वाचित निर्दलीय सांसद सरनिया ने कहा कि कैब सिर्फ असम के लिए नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लोगों के आने से असम को कोई समस्या नहीं है
उन्होंने कहा कि पूरे असम को ILP के तहत लाया जाना चाहिए, जिससे असम कैब से बच जाएगा और जो भी परेशानियां हो रही हैं, वो काबू में आ जाएंगी.
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सरनिया ने साथ ही यह भी कहा कि अब तक स्पष्ट नहीं है कि बांग्लादेश से कितने लोगों को नागरिकता मिलेगी. बांग्लादेश सरकार एक अल्पसंख्यक हितैषी देश है और इसलिए भारत को पहल करनी चाहिए ताकि उस देश के अल्पसंख्यकों को भारत आने की आवश्यकता न हो.
किसी जमाने में प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के सक्रिय सदस्य रहे सरानिया ने सरकार से अपील की कि आंदोलनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न की जाए.
सरनिया ने कहा, 'मैं 25 वर्षों से ज्यादा समय तक उलफा में था, असम पुलिस हमारे भाई की तरह थी...मुझे उम्मीद है कि वे आंदोलनकारियों के खिलाफ कठोर एक्शन नहीं लेंगे.'
उन्होंने कहा कि वह 1971 तक के शरणारर्थियों को नागरिकता दिए जाने को तैयार हैं. लेकिन 2014 तक बढ़ाई गई समयसीमा पर उन्होंने असहमति जताई.