नई दिल्ली: ईटीवी भारत से बात करते हुए भारत के पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम (यूके) के विदेश मंत्री डोमिनिक राब का ऐसी परिस्थिति में भारत दौरा अत्यंत अर्थपूर्ण एवं महत्वपूर्ण है, जब भू-राजनीति मंथन के दौर से गुजर रही है और जब ब्रिटेन खुद भी यूरोपीय संघ के साथ ब्रेक्जिट के मुद्दे पर वार्ता के कठिन दौर से गुजर रहा है. यूनाइटेड किंगडम अपने नए रिश्ते विकसित करने के लिए पूरी दुनिया को देख रहा है तो उस संदर्भ में भारत का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है.
सज्जनहर ने कहा, यूनाइटेड किंगडम और भारत दोनों देशों में लोकतंत्र है. दोनों देश लोकतंत्र के समान मूल्यों, कानून के शासन, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को साझा करते हैं, इसलिए जहां तक मूल्यों का संबंध है दोनों देशों के बीच प्राकृतिक रूप से एक ओर झुकाव है. भारत एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था भी है. जहां तक खरीदारी का संबंध है और सांकेतिक रूप से डॉलर मूल्य के संदर्भ में देखें तो भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. बहुत जल्द कुछ वर्षों में पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था होने जा रहा है इसलिए भारत का बड़ा बाजार यूके के लिए बहुत बड़ा आकर्षण है.
व्यापार निवेश भी द्विपक्षीय वार्ता का एक महत्वपूर्ण कारक है. मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) पर जोर देते हुए सज्जनहार ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम अब यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है, इसलिए इसे अन्य देशों के साथ समझौते करने का अधिकार है और इसके लिए भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है. उन्होंने ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि भारत के लिए भी यूके एक बेहतरीन साझेदार है क्योंकि हमने 2007 में यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते पर अपनी बातचीत शुरू की थी, उम्मीद थी कि हम 2009-2010 तक बातचीत पूरी कर पाएंगे.
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उन्होंने कहा कि दूसरा मुद्दा जलवायु परिवर्तन का है, इसमें ब्रिटेन की दिलचस्पी है और ब्रिटेन ने भारत की बहुत प्रशंसा की है व इससे बहुत प्रभावित है. डोमिनिक राब ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की ओर से उठाए गए बड़े कदमों की सराहना की है. राब पीएम मोदी से मिलने जा रहे हैं तो दोनों नेता उसी पर चर्चा करेंगे.
भारत-ब्रिटेन मंत्री स्तरीय वार्ता के बाद मंगलवार को प्रेस को दिए बयान में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, विदेश मंत्री डोमिनिक राब बहुत महत्वपूर्ण समय पर यहां आए हैं. उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण समय इस वजह से है क्योंकि हम सभी कोविड के बाद की दुनिया की ओर देख रहे हैं, यहां तक कि भारत कोविड से अलग होकर अपने कई रिश्तों को फिर से कल्पनाशीलता और लाभकारी तरीके से फिर से विकसित करने के बारे में देख रहा है, हम यूके के संदर्भ से ब्रेक्सिट के बाद की दुनिया को भी देख रहे हैं.
मंत्री ने दोहराया कि इस बात के लिए यह सही समय है कि हम दोनों देश मिलकर साथ देखें कि दोनों किस तरह से हैं. दुनिया को किस तरह से देखते हैं और हमारा हित कहां एक साथ है और हम एक साथ कैसे काम कर सकते हैं? ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा द्विपक्षीय साझेदारी को एक नई ताकत देने वाली है. सज्जनहर ने कहा कि इसलिए डोमिनिक राब का यहां भारतीय नेतृत्व के साथ बातचीत करना बेहद मददगार है और यह द्विपक्षीय साझेदारी का एक नया चरण होगा और आने वाले 10 साल में साझेदारी को आगे बढ़ाने में बहुत गति प्रदान करेगा.
इससे पहले मंगलवार को दोनों नेताओं ने कोविड और ब्रेक्सिट के बाद की दुनिया में भारत-ब्रिटेन साझेदारी के अवसरों पर चर्चा की. दोनों देश सभी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए 10 साल का रोड मैप बनाने के लिए काम कर रहे हैं. यूके भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण भागीदार है. इसके कई पहलू हैं जैसे वैश्विक यूके, प्रवासियों वाला यूके, आर्थिक यूके, नई प्रौद्योगिकी वाला यूके आदि, यदि आप उस रिश्ते को देखते हैं जिसकी हमने आज समीक्षा की है तो यह पहले से ही एक बड़ा रिश्ता है, लेकिन इसमें बढ़ोतरी की बहुत अधिक संभावना है. हम सोचते हैं कि निश्चित रूप से 2021 के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की उपस्थिति हमारे रिश्ते के एक नए युग के नए दौर की प्रतीक होगी. यह हमें बहुत सारे तंत्र और मंच विकसित करने के लिए प्रेरित करेगा जो दोनों प्रधानमंत्रियों की एक दूसरे के साथ चर्चा के दौरान जो अपेक्षाएं है उन्हें वास्तविकता में बदलेंगे.
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जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय संबंध के अलावा चाहे वह वैश्विक मुद्दों पर हो या बहुपक्षीय संगठनों पर यूके हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण भागीदार है. हम निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय मंच और वैश्विक मुद्दों पर एक साथ काम करने की उम्मीद करते हैं. भारत के पास हिंद- प्रशांत (इंडो-पेसिफिक) का अपना दृष्टिकोण है लेकिन मैं उस दूसरे देश की भी पहचान करूंगा. हिंद- प्रशांत पर भारतीय और यूके के नजरिए में ओवरलैप हो सकता है. बड़े ओवरलैप हो सकते हैं और कुछ फर्क भी हो सकता है. संतोष की बात यह है कि हिंद–प्रशांत के विचार की मान्यता और स्वीकृति बढ़ रही है.
जयशंकर ने ट्विटर पर कहा, ब्रिटेन के हिंद- प्रशांत की ओर झुकाव का स्वागत है. वैश्विक मुद्दों पर और बहुपक्षीय संगठनों में नजदीक रहकर सहयोग करेंगे. हिंद- प्रशांत क्षेत्र को हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर सहित पश्चिमी और मध्य प्रशांत महासागर के क्षेत्र के रूप में देखा जाता है.
पूर्व राजदूत सज्जनहार ने कहा कि भारत ने इस हिंद-प्रशांत रणनीति के बारे में अपना विचार व्यक्त किया है. भारत एक स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत चाहता है. यह भी चाहता है कि इसे कानून के शासन से संचालित किया जाना चाहिए, इस क्षेत्र में जहाजों के आने-जाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए. जहां तक समुद्री मुद्दों का मामला है तो सभी विवादों को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के आधार पर बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए.
विदेशमंत्री ने आगे कहा कि भारत का इरादा ब्रिटेन के साथ व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने को लेकर गंभीर है. भारत निश्चित रूप से जिस तरह से ब्रिटेन हिंद- प्रशांत में अधिक रुचि ले रहा है और ध्यान देकर समर्पित है उसका स्वागत करता है. हम निश्चित रूप से विभिन्न तरह से आपके साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं.
ब्रिटेन के विदेश सचिव डोमिनिक राब ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी मुलाकात की और 16 दिसंबर को विदेश मंत्री राब केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल से मिलने वाले हैं.
निष्कर्ष: राब बेंगलुरु भी जाएंगे जहां वह 17 दिसंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से मुलाकात करेंगे. उनकी यात्रा को महत्वपूर्ण माना जाता है.