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कलाकार रंजन बेजबरुआ को मिला 'राष्ट्रीय संस्कृत गीतकार' सम्मान - National Sanskrit Lyricist

'राष्ट्रीय संस्कृत गीतकार' का सम्मान असम के प्रसिद्ध संस्कृत कलाकार, गीतकार, अनुवादक रंजन बेजबरुआ को मिला है. उन्होंने हिंदी के प्रसिद्ध गीतों को संस्कृत भाषा में गाया है.

National Sanskrit Lyricist award
रंजन बेजबरुवा
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Published : Aug 28, 2020, 10:27 PM IST

दिसपुर : प्रसिद्ध संस्कृत कलाकार, गीतकार, अनुवादक रंजन बेजबरुआ को इस वर्ष 'राष्ट्रीय संस्कृत गीतकार' से सम्मानित किया गया है.

राष्ट्रीय संस्कृत गीतकार का सम्मान

गौरतलब है कि कलाकार रंजन बेजबरुआ ने भारतीय संगीत को संस्कृत भाषा के माध्यम से और संस्कृत के माध्यम से भारतीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में बहुत प्रयास किए हैं. संस्कृत अनुवाद के माध्यम से भारतीय भाषा और संगीत का आदान-प्रदान बेजबरुआ के सांस्कृतिक कार्यों का मुख्य विषय है. उनके गीतों की पुस्तक 'गीत-संस्कृतम्' में मूल और संस्कृत अनुवादित गीत संकलित है, जिनमें आनंद-सुधाकर, भारतीय सांस्कृतिक निबंधों का संग्रह प्रमुख है.

कलाकार रंजन बेजबरुआ के गीत विदेशों में भी लोकप्रिय हुए हैं. ऑडियो सीडी के अलावा, राष्ट्रीय मीडिया- आकाशवाणी, दूरदर्शन और इंटरनेट के माध्यम से विदेशों में बड़ी संख्या में पसंद किया गया है.

15 अगस्त, 2017 को इकबाल के उल्लेखनीय देशभक्ति गीत 'सारे जहां से अच्छा' के संस्कृत संस्करण को राष्ट्रीय टेलीविजन 'डीडी न्यूज' (वार्तावली) पर प्रसारित किया गया था. आज यह देश के सबसे लोकप्रिय संस्कृत गीतों में से एक है.

ऐसे ही डॉ. भूपेन हजारिका की विस्तीर्ण पारो रे, कवि रवींद्रनाथ टैगोर की 'एकला चलो रे', असम का प्रदेश गान 'ओ मोर आपोनार देश' अपने स्वयं के अनुवादों के साथ प्रस्तुत किया एवं रफी के जहां डाल डाल पर, एआर रहमान की 'भारत हमको जान से प्यारा है’ तथा महात्मा गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो' को भी संस्कृत में गाया है.

2017 में देश के दूसरे संस्कृत बैंड 'प्राच्या' के संस्थापक रंजन बेजबरुआ ने संस्कृत संगीत को बढ़ावा दिया है.

गौरतलब है कि 16 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रंजन बेजबरूआ ने भारतीय विद्वानों की उपस्थिति में सोसायटी की असम शाखा के कार्यकारी अध्यक्ष कुशल कलिता द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय 'वेब समिट' में कुछ संस्कृत गीतों का प्रदर्शन किया था.

पढ़ें :- 'बैड बॉय बिलिनियर्स' की प्री-स्क्रीनिंग देखना चाहता था चोकसी, नहीं मिली इजाजत

इसके बाद ही इस सम्मान के लिए कलाकार बेजबरुआ को नामित करने का विचार शुरू हुआ.

पुरी स्थित लोकभाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष डॉ. सदानंद दीक्षित, केंद्रीय मंत्री व संस्कृत वक्ता डाॅ. प्रताप चंद्र षाडंगी, प्रधानमंत्री के विज्ञान सलाहकार डॉ. ओम प्रकाश पांडे, आकाशवाणी दिल्ली केंद्र के संस्कृत प्रवाचक बलदेवानन्द सागर ने रंजन बेजबरुआ को सम्मान के लिए मनोनित करने पर बधाई दी है.

दिसपुर : प्रसिद्ध संस्कृत कलाकार, गीतकार, अनुवादक रंजन बेजबरुआ को इस वर्ष 'राष्ट्रीय संस्कृत गीतकार' से सम्मानित किया गया है.

राष्ट्रीय संस्कृत गीतकार का सम्मान

गौरतलब है कि कलाकार रंजन बेजबरुआ ने भारतीय संगीत को संस्कृत भाषा के माध्यम से और संस्कृत के माध्यम से भारतीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में बहुत प्रयास किए हैं. संस्कृत अनुवाद के माध्यम से भारतीय भाषा और संगीत का आदान-प्रदान बेजबरुआ के सांस्कृतिक कार्यों का मुख्य विषय है. उनके गीतों की पुस्तक 'गीत-संस्कृतम्' में मूल और संस्कृत अनुवादित गीत संकलित है, जिनमें आनंद-सुधाकर, भारतीय सांस्कृतिक निबंधों का संग्रह प्रमुख है.

कलाकार रंजन बेजबरुआ के गीत विदेशों में भी लोकप्रिय हुए हैं. ऑडियो सीडी के अलावा, राष्ट्रीय मीडिया- आकाशवाणी, दूरदर्शन और इंटरनेट के माध्यम से विदेशों में बड़ी संख्या में पसंद किया गया है.

15 अगस्त, 2017 को इकबाल के उल्लेखनीय देशभक्ति गीत 'सारे जहां से अच्छा' के संस्कृत संस्करण को राष्ट्रीय टेलीविजन 'डीडी न्यूज' (वार्तावली) पर प्रसारित किया गया था. आज यह देश के सबसे लोकप्रिय संस्कृत गीतों में से एक है.

ऐसे ही डॉ. भूपेन हजारिका की विस्तीर्ण पारो रे, कवि रवींद्रनाथ टैगोर की 'एकला चलो रे', असम का प्रदेश गान 'ओ मोर आपोनार देश' अपने स्वयं के अनुवादों के साथ प्रस्तुत किया एवं रफी के जहां डाल डाल पर, एआर रहमान की 'भारत हमको जान से प्यारा है’ तथा महात्मा गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो' को भी संस्कृत में गाया है.

2017 में देश के दूसरे संस्कृत बैंड 'प्राच्या' के संस्थापक रंजन बेजबरुआ ने संस्कृत संगीत को बढ़ावा दिया है.

गौरतलब है कि 16 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रंजन बेजबरूआ ने भारतीय विद्वानों की उपस्थिति में सोसायटी की असम शाखा के कार्यकारी अध्यक्ष कुशल कलिता द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय 'वेब समिट' में कुछ संस्कृत गीतों का प्रदर्शन किया था.

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इसके बाद ही इस सम्मान के लिए कलाकार बेजबरुआ को नामित करने का विचार शुरू हुआ.

पुरी स्थित लोकभाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष डॉ. सदानंद दीक्षित, केंद्रीय मंत्री व संस्कृत वक्ता डाॅ. प्रताप चंद्र षाडंगी, प्रधानमंत्री के विज्ञान सलाहकार डॉ. ओम प्रकाश पांडे, आकाशवाणी दिल्ली केंद्र के संस्कृत प्रवाचक बलदेवानन्द सागर ने रंजन बेजबरुआ को सम्मान के लिए मनोनित करने पर बधाई दी है.

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