मुंबई : मुंबई पुलिस की एक महिला अधिकारी पर कथित तौर पर हमला करने को लेकर रिपब्लिक टीवी चैनल के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज मामले में अग्रिम जमानत संबंधी याचिकाओं पर यहां की सत्र अदालत एक दिसंबर को सुनवाई करेगी.
मध्य मुंबई में एन एम जोशी मार्ग पुलिस ने दंपती और उनके बेटे के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के एक मामले में जब पुलिस चार नवंबर को गोस्वामी को गिरफ्तार करने के लिए उनके घर पहुंची, तो उन्होंने महिला अधिकारी पर कथित तौर पर हमला किया और सरकारी कर्मी को उसके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोका.
उनके वकील श्याम कल्याणकर ने कहा कि वे इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के 2018 के मामले में गोस्वामी को अंतरिम जमानत देने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रति का इंतजार कर रहे हैं. नाइक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में 47 वर्षीय टीवी पत्रकार को गिरफ्तार किया गया था.
फिलहाल गोस्वामी और उनकी पत्नी सम्यव्रत राय गोस्वामी ने भी अग्रिम जमानत याचिकाएं दायर की हैं.
गोस्वामी और उनकी पत्नी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 353 (सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालना), 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर किसी का अपमान करना) और 506 (आपराधिक रूप से डराना/धमकी देना) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से जुड़े कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच, आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में गोस्वामी और उनकी पत्नी को हिरासत में लेने का अनुरोध करने वाली अलीबाग पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर आदेश पांच दिसंबर तक के लिए टल गया, क्योंकि अलीबाग सत्र अदालत से संबद्ध न्यायाधीश याचिका पर सुनवाई के लिए सोमवार को उपलब्ध नहीं हो सके.
गोस्वामी और अन्य आरोपियों को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की अलीबाग पुलिस ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में चार नवंबर को गिरफ्तार किया था. इन पर आरोप है कि उनकी कंपनियों ने बकाया राशि का भुगतान नहीं किया था. गोस्वामी को मुंबई में उनके निवास से गिरफ्तार करके पड़ोसी जिले रायगढ़ के अलीबाग ले जाया गया था. नाइक अलीबाग का निवासी था और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला यहीं दर्ज किया गया था.
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टीवी प्रस्तोता को दो सह आरोपियों के साथ अलीबाग में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया था, जिसने उन्हें पुलिस हिरासत में भेजने के बजाए न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था.
इसके बाद अलीबाग पुलिस ने मजिस्ट्रेट के इस आदेश के खिलाफ सत्र अदालत के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर करके आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजे जाने का अनुरोध किया था.
उच्चतम न्यायालय ने गोस्वामी की जमानत 11 नवंबर को स्वीकार कर ली थी, जिसके बाद उन्हें रायगढ़ जिले की तलोजा जेल से रिहा किया गया था.