नई दिल्ली : गलवान नदी घाटी में चीन की हिमाकत के बाद भारत की ओर से मुंहतोड़ जवाब दिया गया. चीनी सैनिकों की ओर से पूर्व नियोजित और जघन्य खूनी हिंसा में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए. वैसे पैट्रोल प्वाइंट 14 (पीपी14) में प्रमुख-सामान्य रैंक के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में नाराजगी थी. क्योंकि इसके दो दिन बाद ही चीनी सेना ने इस जघन्य खूनी हिंसा को अंजाम दिया. इस दौरान हमने अपने 20 सैनिकों को खोया और कई घायल हो गए.
हालांकि चीन सैनिक (पीएलए) की तरफ से हताहतों की संख्या के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है. क्योंकि वे गोपनीयता के मानदंडों के साथ काम करते हैं.
पीपी 14 का वह स्थान जहां बैठक हुई थी, वह वही जगह है जहां सोमवार शाम को हिंसक घटना हुई थी जो मध्यरात्रि जारी रही. माना जा रहा है कि कई सैनिक पहाड़ नदी में गिर गए थे.
ऐसा मानना है कि बैठक के दौर के बाद से ही नाराजगी ने जन्म ले लिया था. अब इसे खत्म होने में समय लगेगा. इसकी तह तक पहुंच कर सच्चाई का पता लगने में समय लग सकता है. ईटीवी भारत को एक सैनिक सूत्र ने इस बात की जानकारी दी.
जानकारी में उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया, जिसमें कहा गया है कि सैन्य स्तर की वार्ता बंद कर दिया गया है.
जानकारी के अनुसार सीमा विवाद पर और अधिक वार्ता की आवश्यकता है. दोनों पक्ष फिर से मिलने पर सहमत हुए हैं. इन सबके बावजूद विभिन्न सैन्य स्तरों पर बैठकें जारी रहेंगी.
चीन के साथ हुई खूनी भिड़ंत में भारत के कर्नल बी संतोष बाबू शहीद हो गए. उनके साथ अन्य 19 सैनिक भी देश के लिए अपनी जान दे दी. कर्नल बी संतोष सैन्य स्तर की अधिकांश वार्ता का हिस्सा थे. मरने वालों का आंकड़ा आगे और बढ़ने की संभावना है.
यह सैन्य वार्ता सीमा गतिरोध को कम करने का एक हिस्सा है. ताकि एलएसी पर शांति कायम किया जा सके.
बता दें कि मई में पूर्वी लद्दाख की पैंगॉन्ग झील पर बवाल हुआ था, इसके बाद 10 मई को उत्तरी सिक्किम में भी इस तरह के खबर सुनने को मिली थी. वर्तमान में गालवान घाटी में सोमवार रात की लड़ाई सबसे गंभीर थी. 45 साल बाद सीमा पर ऐसी खूनी घटना घटी है.
देश ने अपने वीर शहीद सैनिकों के सम्मान में बुधवार को लेह में पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया था. उम्मीद है कि शवों को गुरुवार तक शहीदों के परिजनों को सौंप दिए जाएंगे.
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