अमरावती : आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि अगर पंचायत चुनाव प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग के बीच अगर मतभेद होने पर चुनावी प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि फरवरी में ग्राम पंचायत चुनावों के लेकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यवाही को रोका नहीं जा सकता. इस बीच अदालत ने आयोग को अगली प्रक्रिया पर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.
उल्लेखनीय है कि पंचायती राज विभाग के मुख्य सचिव गोपालकृष्ण द्विवेदी ने फरवरी में ग्राम पंचायत चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग द्वारा 17 नवंबर को की गई कार्यवाही को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने तर्क दिया कि कोर्ट ने आयोग को स्पष्ट कर दिया था कि वह चुनाव कराने के मामले में पहले राज्य सरकार से परामर्श करे. उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य में सैकड़ों कोरोना मामले सामने आ रहे हैं और चुनाव आयोग विचार किए बिना काम कर रहा है. सरकारी वकील ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में फरवरी में चुनाव नहीं हो सकते हैं.
दूसरी ओर,चुनाव आयोग के वकील ने कहा चुनाव आयोग एक संवैधानिक बॉडी है और संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत चुनाव आयोग को स्वेच्छा से अपनी शक्तियों का उपयोग करने की शक्ति दी गई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चुनाव में सहयोग करना चाहिए. इस बीच उन्होंने याद किया कि स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया उच्च न्यायालय की पीठ के आदेशों के बाद ही शुरू हुई थी.
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दोनों के तर्कों पर विचार करने के बाद अदालत ने फैसला सुनाया कि इस चुनाव प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता.