नई दिल्ली : मानसून सत्र के पहले दिन संसद में प्रस्तुत तीन कृषि से जुड़े अध्यादेशों को किसान यूनियनों और विपक्षी दलों के उग्र विरोध के बावजूद निचले सदन द्वारा पारित किया गया है. शिरोमणि अकाली दल के सांसद और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री, हरसिमरत कौर बादल ने इन बिलों को किसान विरोधी बताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया.
देश भर के किसान यूनियन तब से इन बिलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं जब से उन्हें अध्यादेश के रूप में लाया गया था और अब दैनिक आधार पर संसद सत्र के मानसून सत्र की शुरुआत हुई. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति 215 किसान यूनियनों के एक समूह ने 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है और उनके कार्यकर्ता देश के लगभग हर राज्य से इस बिल का विरोध करने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटा रहे हैं.
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ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के समन्वयक सरदार वीएम सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों का विश्वास खो दिया है और वे तब तक इन बिलों का विरोध करते रहेंगे जब तक उनकी मांगों के अनुसार उन्हें हक वापस नहीं किया जाता या संशोधित नहीं किया जाता.
उन्होंने कहा कि हम पीएम मोदी पर भरोसा कैसे कर सकते हैं. क्योंकि उन्होंने किसानों से जो वादा किया था वो अब तक पूरा नहीं किया. गन्ना किसानों के लिए उनकी सरकार ने भुगतान में देरी के मामले में समय पर भुगतान या ब्याज भुगतान की घोषणा की, लेकिन जो हमें जमीन पर मिलता है, वह इनमें से कोई भी वादा वास्तव में पूरा नहीं हुआ है.