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कृषि विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान

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Published : Sep 21, 2020, 8:19 PM IST

Updated : Sep 21, 2020, 9:03 PM IST

किसान संगठनों ने संसद से पारित कृषि विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का एलान किया है. केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने किसानों और खेतिहर मजदूरों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है.

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भारत बंद

नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कृषि विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर, 2020 को भारत बंद का आह्वान किया है. इस दिन देशभर में किसान विरोध प्रदर्शन करेंगे और कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग करेंगे.

केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने 25 सितंबर को किसानों और खेतिहर मजदूरों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है. श्रमिक संगठनों ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार को किसान विरोधी कदम उठाना बंद करना चाहिए. किसानों ने संसद में पारित दो कृषि विधेयकों का विरोध करने के लिए इस प्रदर्शन का आह्वान किया है.

देश के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक साझा बयान में कहा कि वह और क्षेत्र के श्रमिक संघों के संयुक्त मंच ने किसानों और कृषि श्रमिकों के साझा मंच- अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की पहल को अपना समर्थन देने का एलान किया है.

बयान में कहा गया हम विनाशकारी बिजली संशोधन विधेयक 2020 के विरोध में भी उनका साथ देते हैं. दस ट्रेड यूनियनों में एनटीयूसी, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एक्टू, एलपीएफ और यूअीयूसी शामिल हैं.

संसद के दोनों सदनों से पारित बिल किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक- 2020 और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक- 2020 को अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के रूप में अधिसूचित हो जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारतीय कृषि के इतिहास में एक गौरवशाली क्षण करार दिया है. वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को किसानों के 'मौत का वारंट' करार दिया है.

बयान में कहा गया है कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और सेक्टोरल फेडरेशनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में और आस-पास के क्षेत्रों में श्रमिकों और उनके यूनियनों को विरोध और प्रतिरोध के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल होने का आह्वान किया है.

यह भी पढ़ें- मोदी सरकार ने गेहूं का एमएसपी ₹50 बढ़ाकर 1,975 प्रति क्विंटल किया

ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित कानूनों का उद्देश्य, कृषि उपज पर पूरी तरह से बड़े-जमींदार कॉरपोरेट गठजोड़ एवं बहुराष्ट्रीय व्यापारिक समूहों के कब्जे को स्थापित करने के लिए कृषि अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को पूरी तरह से पुनर्गठित करना है.

ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया कि नए उपायों का उद्देश्य अडानी, विल्मर, रिलायंस, वॉलमार्ट, बिड़ला, आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियों तथा विदेशी और घरेलू दोनों तरह की बड़ी व्यापारिक कंपनियों द्वारा मुनाफाखोरी को बढ़ावा देना भी है.

नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कृषि विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर, 2020 को भारत बंद का आह्वान किया है. इस दिन देशभर में किसान विरोध प्रदर्शन करेंगे और कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग करेंगे.

केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने 25 सितंबर को किसानों और खेतिहर मजदूरों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है. श्रमिक संगठनों ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार को किसान विरोधी कदम उठाना बंद करना चाहिए. किसानों ने संसद में पारित दो कृषि विधेयकों का विरोध करने के लिए इस प्रदर्शन का आह्वान किया है.

देश के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक साझा बयान में कहा कि वह और क्षेत्र के श्रमिक संघों के संयुक्त मंच ने किसानों और कृषि श्रमिकों के साझा मंच- अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की पहल को अपना समर्थन देने का एलान किया है.

बयान में कहा गया हम विनाशकारी बिजली संशोधन विधेयक 2020 के विरोध में भी उनका साथ देते हैं. दस ट्रेड यूनियनों में एनटीयूसी, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एक्टू, एलपीएफ और यूअीयूसी शामिल हैं.

संसद के दोनों सदनों से पारित बिल किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक- 2020 और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक- 2020 को अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के रूप में अधिसूचित हो जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारतीय कृषि के इतिहास में एक गौरवशाली क्षण करार दिया है. वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को किसानों के 'मौत का वारंट' करार दिया है.

बयान में कहा गया है कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और सेक्टोरल फेडरेशनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में और आस-पास के क्षेत्रों में श्रमिकों और उनके यूनियनों को विरोध और प्रतिरोध के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल होने का आह्वान किया है.

यह भी पढ़ें- मोदी सरकार ने गेहूं का एमएसपी ₹50 बढ़ाकर 1,975 प्रति क्विंटल किया

ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित कानूनों का उद्देश्य, कृषि उपज पर पूरी तरह से बड़े-जमींदार कॉरपोरेट गठजोड़ एवं बहुराष्ट्रीय व्यापारिक समूहों के कब्जे को स्थापित करने के लिए कृषि अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को पूरी तरह से पुनर्गठित करना है.

ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया कि नए उपायों का उद्देश्य अडानी, विल्मर, रिलायंस, वॉलमार्ट, बिड़ला, आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियों तथा विदेशी और घरेलू दोनों तरह की बड़ी व्यापारिक कंपनियों द्वारा मुनाफाखोरी को बढ़ावा देना भी है.

Last Updated : Sep 21, 2020, 9:03 PM IST
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