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दिल्ली एम्स में कोरोना पर 49 शोध योजनाओं को मिली मंजूरी - कोरोना से जुड़े 49 रिसर्च प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी

कोरोना पर देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शोध चल रहा है. कोविड-19 से जुड़े 49 रिसर्च प्रोजेक्ट को मंजूरी भी मिल चुकी है. एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कोविड-19 से संबंधित कई शोध प्रस्तावों को प्रोत्साहन और सहयोग देने की पहल की है. जानें विस्तार से...

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एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (फाइल फोटो)
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Published : May 6, 2020, 12:27 AM IST

नई दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में डॉ गुलेरिया ने रिसर्च डीन की अध्यक्षता में कोविड से जुड़े विविध शोध प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है.

एम्स पहला अस्पताल है जिसने कोविड -19 से संबंधित जुड़े शोध प्रस्तावों के लिए 21 मार्च 2020 को एक एथिक्स कमेटी के गठन का सुझाव दिया था जो साप्ताहिक मीटिंग में कोविड-19 से जुड़े शोध कार्यों की प्रगति के बारे में और उन शोध कार्यों का सही आंकलन कर सके.

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शोध योजनाओं को मिली मंजूरी

मरीजों के विशाल डेटाबेस से शोध में मदद

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि एम्स ऐसा अस्पताल है जो हर तरह के शोध को बढ़ावा देता है. यहां हर साल सैकड़ों शोध कार्य प्रस्तुत किए जाते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि यहां अलग-अलग तरह की मरीजों से संबंधित एक बड़ा डाटाबेस है, जो किसी भी शोध के लिये एक आवश्यक पहलू है.

अच्छी बात यह है कि एम्स के पास बेसिक साइंस के साथ-साथ विभिन्न विषयों के क्लीनिकल एक्सपर्ट भी हैं. इंफ्रस्ट्रक्चर तो उम्दा दर्जे का है ही, कोविड पर होने वाली रिसर्च नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाले हैं.

इन विषयों पर हो रहा है अध्ययन

एम्स में इन दिनों कोविड -19 से संबंधित सिलिको ड्रग डिजाइनिंग, महामारी और जनस्वास्थ्य, कोविड 19 की बनने वाली दवाई में प्रोटीन की महत्ता, बिना लक्षणों वाले कोविड मरीजों की इम्युनिटी और उसके इम्यूनफिनोटाइप के अध्ययन, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, हेल्थ केयर वर्कर्स के स्वास्थ्य पर कोविड -19 का प्रभाव, कोविड मरीजों का नॉन कोविड मरीजों के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव अहरु रैपिड डायग्नोसिस जैसे विषयों पर शोध चल रहे हैं.

नई दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में डॉ गुलेरिया ने रिसर्च डीन की अध्यक्षता में कोविड से जुड़े विविध शोध प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है.

एम्स पहला अस्पताल है जिसने कोविड -19 से संबंधित जुड़े शोध प्रस्तावों के लिए 21 मार्च 2020 को एक एथिक्स कमेटी के गठन का सुझाव दिया था जो साप्ताहिक मीटिंग में कोविड-19 से जुड़े शोध कार्यों की प्रगति के बारे में और उन शोध कार्यों का सही आंकलन कर सके.

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शोध योजनाओं को मिली मंजूरी

मरीजों के विशाल डेटाबेस से शोध में मदद

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि एम्स ऐसा अस्पताल है जो हर तरह के शोध को बढ़ावा देता है. यहां हर साल सैकड़ों शोध कार्य प्रस्तुत किए जाते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि यहां अलग-अलग तरह की मरीजों से संबंधित एक बड़ा डाटाबेस है, जो किसी भी शोध के लिये एक आवश्यक पहलू है.

अच्छी बात यह है कि एम्स के पास बेसिक साइंस के साथ-साथ विभिन्न विषयों के क्लीनिकल एक्सपर्ट भी हैं. इंफ्रस्ट्रक्चर तो उम्दा दर्जे का है ही, कोविड पर होने वाली रिसर्च नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाले हैं.

इन विषयों पर हो रहा है अध्ययन

एम्स में इन दिनों कोविड -19 से संबंधित सिलिको ड्रग डिजाइनिंग, महामारी और जनस्वास्थ्य, कोविड 19 की बनने वाली दवाई में प्रोटीन की महत्ता, बिना लक्षणों वाले कोविड मरीजों की इम्युनिटी और उसके इम्यूनफिनोटाइप के अध्ययन, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, हेल्थ केयर वर्कर्स के स्वास्थ्य पर कोविड -19 का प्रभाव, कोविड मरीजों का नॉन कोविड मरीजों के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव अहरु रैपिड डायग्नोसिस जैसे विषयों पर शोध चल रहे हैं.

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