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एम्स के विशेषज्ञों ने किया अहमदाबाद का दौरा, कहा- समय से इलाज अहम

एम्स के निदेशक डॉ रणदीर गुलेरिया के नेतृत्व वाली विशेषज्ञों की एक टीम ने कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहे अहमदाबाद का दौरा किया है. उन्होंने कहा कि समय से इलाज करने से कोरोना की मृत्युदर में कमी लाने में मदद मिलेगी. पढ़ें विस्तार से....

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Published : May 10, 2020, 2:49 PM IST

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एम्स के निदेशक डॉ रणदीर गुलेरिया के

अहमदाबाद : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस को कलंक न मानकर उसका समय से इलाज कराने की जरूरत है, जिससे मृत्युदर में कमी लाने में मदद मिलेगी.

डॉक्टर गुलेरिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों ने गुजरात के अहमदाबाद शहर में स्थित सिविल अस्पताल का शनिवार को दौरा किया और कोविड-19 महामारी से मुकाबला करने में अहम भूमिका निभा रहे चिकित्सकों और कर्मचारियों से मुलाकात की.

शहर में कोविड-19 के मरीजों की मौत की दर साढ़े छह प्रतिशत है, जो देश में इस बीमारी से होने वाली मौतों की दर 3.3 प्रतिशत से लगभग दोगुनी है.

एक अधिकारी ने बताया कि एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया और एम्स के चिकित्सा विभाग के डॉ. मनीष सोनेजा भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से शुक्रवार को यहां पहुंचे.

एक विज्ञप्ति में बताया गया कि दोनों वरिष्ठ डॉक्टर सिविल अस्पताल गए और कोविड-19 के मरीजों का इलाज और देखभाल कर रहे डॉक्टरों तथा नर्सों से मुलाकात कर उन्हें दिशा निर्देश दिए.

दोनों डॉक्टरों ने बाद में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से भी मुलाकात की.

प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने भी अस्पताल में चिकित्साकर्मियों से मुलाकात की.

डॉक्टर गुलेरिया ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कोरोना वायरस से जुड़ा कलंक मृत्युदर बढ़ने का एक कारक बन रहा है, क्योंकि लोग पृथक किये जाने और संक्रमण फैलाने का कलंक लगने के डर से जांच कराने में देरी कर रहे हैं.

पढ़ें-कोरोना संकट : स्वास्थ्य मंत्री बोले- देश सबसे बुरी स्थिति के लिए भी तैयार

उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि कोरोना वायरस से जुड़े कलंक को मिटाया जाए, ताकि लोगों को समय पर इलाज मिल सके.

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि कई बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्गों को भी इसकी चपेट में आने से बचाने की जरूरत है. ऐसे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को दूर करने के लिये जल्द से जल्द अस्पताल जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'बदनाम होने और पृथक किये जाने के डर से कुछ रोगी अस्पताल आने या इलाज कराने से बच रहे हैं, वह संक्रमित होते हैं और अस्पताल में देर से आते हैं. इससे मृत्युदर बढ़ने की गुंजाइश रहती है.

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि समय रहते ही इलाज कराना कोरोना वायरस के खिलाफ कामयाबी की कुंजी है.

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने केंद्र से आग्रह किया था कि कोरोना वायरस मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को दिशानिर्देश देने के लिए विशेषज्ञों को भेजा जाए.

अहमदाबाद : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस को कलंक न मानकर उसका समय से इलाज कराने की जरूरत है, जिससे मृत्युदर में कमी लाने में मदद मिलेगी.

डॉक्टर गुलेरिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों ने गुजरात के अहमदाबाद शहर में स्थित सिविल अस्पताल का शनिवार को दौरा किया और कोविड-19 महामारी से मुकाबला करने में अहम भूमिका निभा रहे चिकित्सकों और कर्मचारियों से मुलाकात की.

शहर में कोविड-19 के मरीजों की मौत की दर साढ़े छह प्रतिशत है, जो देश में इस बीमारी से होने वाली मौतों की दर 3.3 प्रतिशत से लगभग दोगुनी है.

एक अधिकारी ने बताया कि एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया और एम्स के चिकित्सा विभाग के डॉ. मनीष सोनेजा भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से शुक्रवार को यहां पहुंचे.

एक विज्ञप्ति में बताया गया कि दोनों वरिष्ठ डॉक्टर सिविल अस्पताल गए और कोविड-19 के मरीजों का इलाज और देखभाल कर रहे डॉक्टरों तथा नर्सों से मुलाकात कर उन्हें दिशा निर्देश दिए.

दोनों डॉक्टरों ने बाद में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से भी मुलाकात की.

प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने भी अस्पताल में चिकित्साकर्मियों से मुलाकात की.

डॉक्टर गुलेरिया ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कोरोना वायरस से जुड़ा कलंक मृत्युदर बढ़ने का एक कारक बन रहा है, क्योंकि लोग पृथक किये जाने और संक्रमण फैलाने का कलंक लगने के डर से जांच कराने में देरी कर रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि कोरोना वायरस से जुड़े कलंक को मिटाया जाए, ताकि लोगों को समय पर इलाज मिल सके.

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि कई बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्गों को भी इसकी चपेट में आने से बचाने की जरूरत है. ऐसे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को दूर करने के लिये जल्द से जल्द अस्पताल जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'बदनाम होने और पृथक किये जाने के डर से कुछ रोगी अस्पताल आने या इलाज कराने से बच रहे हैं, वह संक्रमित होते हैं और अस्पताल में देर से आते हैं. इससे मृत्युदर बढ़ने की गुंजाइश रहती है.

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि समय रहते ही इलाज कराना कोरोना वायरस के खिलाफ कामयाबी की कुंजी है.

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने केंद्र से आग्रह किया था कि कोरोना वायरस मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को दिशानिर्देश देने के लिए विशेषज्ञों को भेजा जाए.

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