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भाजपा का साथ छोड़ सकती है AGP, CAA के खिलाफ SC में दायर की याचिका - भाजपा का साथ छोड़ सकती है AGP

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल असोम गण परिषद (एजीपी) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं है. इसके साथ ही एजीपी अधक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत ने संकेत दिए हैं कि जरूरत पड़ने पर उनकी पार्टी बीजेपी का साथ भी छोड़ सकती है.

मीडिया से बात करते प्रफुल्ल कुमार महंत
मीडिया से बात करते प्रफुल्ल कुमार महंत
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Published : Dec 16, 2019, 11:41 PM IST

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर एनडीए सरकार के घटक दलों में दरार पड़ती नजर आ रही है. इस क्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल असोम गण परिषद (एजीपी) ने सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं. इतना ही नहीं एजीपी असम के लोगों से 'विश्वासघात' करने का आरोप लगाते हुए भाजपा के साथ अपने संबंधों को तोड़ने की संभावनाएं भी तलाश रही है.

AGP नेता दीपक दास ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हमने CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाएं दायर की हैं.'

उन्होंने कहा कि उक्त याचिका में पार्टी ने 1985 के ऐतिहासिक असम समझौते का भी उल्लेख किया है, जिसमें असम के लोगों के संवैधानिक और राजनीतिक अधिकार की सुरक्षा के प्रावधान थे.

ईटीवी भारत से बात करते दीपक दास.

दास ने कहा, 'हमें सरकार द्वारा वादा किया गया था कि असम के लोगों की संस्कृति और पहचान की रक्षा की जाएगी, इसलिए हमने बिल का समर्थन किया था, लेकिन बिल में ऐसा कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया था. हम ऐसे कानून को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, जिसके बारे में कोई संदर्भ नहीं है.'

वहीं इससे पहले असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असोम गण परिषद के अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत ने सोमवार को कहा, 'संसद के दोनों सदनों में नागरिकता बिल का समर्थन करना हमारी पार्टी की गलती थी.'

महंत ने कहा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करना एक गलती थी. जब यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया गया. उस समय AGP के कुछ नेताओं ने उसका समर्थन किया, जबकि हम इसका 2015 से विरोध कर रहे थे.'

पढ़ें- CAA-NRC विरोध : ममता ने कहा- बंगाल में नहीं लागू होने देंगे कानून

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी पार्टी असम सरकार से समर्थन वापस लेगी.

बता दें कि 12 विधायकों के साथ, राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में AGP के तीन मंत्री हैं.

महंत ने कहा, 'CAA असम के लोगों के खिलाफ है. हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं और CAA के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले लोगों का भी समर्थन करेंगे.'

उन्होंने आगे कहा, 'सरकार को वर्तमान स्थिति को हल करना चाहिए. सरकार फायरिंग के माध्यम से असम के लोगों की आवाज रोक नहीं सकती. इंटरनेट को अवरुद्ध करने से समस्या हल नहीं हो रही है.'

उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और न ही कोई संविधान से ऊपर है. जब संविधान को अपनाया गया था, तो यह कहा गया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है.

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर एनडीए सरकार के घटक दलों में दरार पड़ती नजर आ रही है. इस क्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल असोम गण परिषद (एजीपी) ने सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं. इतना ही नहीं एजीपी असम के लोगों से 'विश्वासघात' करने का आरोप लगाते हुए भाजपा के साथ अपने संबंधों को तोड़ने की संभावनाएं भी तलाश रही है.

AGP नेता दीपक दास ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हमने CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाएं दायर की हैं.'

उन्होंने कहा कि उक्त याचिका में पार्टी ने 1985 के ऐतिहासिक असम समझौते का भी उल्लेख किया है, जिसमें असम के लोगों के संवैधानिक और राजनीतिक अधिकार की सुरक्षा के प्रावधान थे.

ईटीवी भारत से बात करते दीपक दास.

दास ने कहा, 'हमें सरकार द्वारा वादा किया गया था कि असम के लोगों की संस्कृति और पहचान की रक्षा की जाएगी, इसलिए हमने बिल का समर्थन किया था, लेकिन बिल में ऐसा कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया था. हम ऐसे कानून को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, जिसके बारे में कोई संदर्भ नहीं है.'

वहीं इससे पहले असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असोम गण परिषद के अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत ने सोमवार को कहा, 'संसद के दोनों सदनों में नागरिकता बिल का समर्थन करना हमारी पार्टी की गलती थी.'

महंत ने कहा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करना एक गलती थी. जब यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया गया. उस समय AGP के कुछ नेताओं ने उसका समर्थन किया, जबकि हम इसका 2015 से विरोध कर रहे थे.'

पढ़ें- CAA-NRC विरोध : ममता ने कहा- बंगाल में नहीं लागू होने देंगे कानून

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी पार्टी असम सरकार से समर्थन वापस लेगी.

बता दें कि 12 विधायकों के साथ, राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में AGP के तीन मंत्री हैं.

महंत ने कहा, 'CAA असम के लोगों के खिलाफ है. हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं और CAA के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले लोगों का भी समर्थन करेंगे.'

उन्होंने आगे कहा, 'सरकार को वर्तमान स्थिति को हल करना चाहिए. सरकार फायरिंग के माध्यम से असम के लोगों की आवाज रोक नहीं सकती. इंटरनेट को अवरुद्ध करने से समस्या हल नहीं हो रही है.'

उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और न ही कोई संविधान से ऊपर है. जब संविधान को अपनाया गया था, तो यह कहा गया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है.

Intro:New Delhi: Challenging the constitutional validity of the Citizenship Amendment Act (CAA), Bharatiya Janata Party (BJP's) ally in Assam, Asom Gana Parishad (AGP) on Monday filled two separate writ petitions in the Supreme Court.

The regional party is also exploring possibilities of snapping its ties with BJP accusing it of 'betraying' the people of Assam.


Body:A three member senior AGP leader led by former Rajya Sabha MP Deepak Das filled the writ petitions in the apex court. The court will hear the petitions along with several others petitions on Wednesday.

"We have filled the writ petitions challenging the constitutional validity of CAA. We have seen in the Act that nothing is mentioned on safeguarding the identity of the indeginious people of Assam," said Das in an exclusive interview to ETV Bharat.

He said that in the said petition the party also mentioned about the historic Assam Accord of 1985 which had the provisions of safeguarding the constitutional and political right of the people of Assam.

Interestingly, AGP's lone MP on the Rajya Sabha Biren Baisya had voted in favour of the Citizenship bill.

"We were promised by the government that culture and identity of the people of Assam will be protected, so we had supported the bill. But nothing was mentioned in the bill...we will never accept such law which does not have any reference about protection indeginious people," said Das.


Conclusion:When asked whether AGP will snap its ties with the BJP in Assam, Das said that the party will explore all possibilities.

"We will now retrospect on all options...and accordingly our party will act," said Das.

Earlier in January, AGP snapped its ties with BJP in Assam opposing the Citizenship Amendment Bill (CAB).

AGP has three cabinet ministers in the Sarbananda Sonowal led Assam Government.

When this contentious bill was passed in the Parliament by voice vote, AGP had faced peoples wrath for voting in support of the bill.

end.
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