नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर एनडीए सरकार के घटक दलों में दरार पड़ती नजर आ रही है. इस क्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल असोम गण परिषद (एजीपी) ने सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं. इतना ही नहीं एजीपी असम के लोगों से 'विश्वासघात' करने का आरोप लगाते हुए भाजपा के साथ अपने संबंधों को तोड़ने की संभावनाएं भी तलाश रही है.
AGP नेता दीपक दास ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हमने CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाएं दायर की हैं.'
उन्होंने कहा कि उक्त याचिका में पार्टी ने 1985 के ऐतिहासिक असम समझौते का भी उल्लेख किया है, जिसमें असम के लोगों के संवैधानिक और राजनीतिक अधिकार की सुरक्षा के प्रावधान थे.
दास ने कहा, 'हमें सरकार द्वारा वादा किया गया था कि असम के लोगों की संस्कृति और पहचान की रक्षा की जाएगी, इसलिए हमने बिल का समर्थन किया था, लेकिन बिल में ऐसा कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया था. हम ऐसे कानून को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, जिसके बारे में कोई संदर्भ नहीं है.'
वहीं इससे पहले असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असोम गण परिषद के अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत ने सोमवार को कहा, 'संसद के दोनों सदनों में नागरिकता बिल का समर्थन करना हमारी पार्टी की गलती थी.'
महंत ने कहा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करना एक गलती थी. जब यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया गया. उस समय AGP के कुछ नेताओं ने उसका समर्थन किया, जबकि हम इसका 2015 से विरोध कर रहे थे.'
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पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी पार्टी असम सरकार से समर्थन वापस लेगी.
बता दें कि 12 विधायकों के साथ, राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में AGP के तीन मंत्री हैं.
महंत ने कहा, 'CAA असम के लोगों के खिलाफ है. हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं और CAA के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले लोगों का भी समर्थन करेंगे.'
उन्होंने आगे कहा, 'सरकार को वर्तमान स्थिति को हल करना चाहिए. सरकार फायरिंग के माध्यम से असम के लोगों की आवाज रोक नहीं सकती. इंटरनेट को अवरुद्ध करने से समस्या हल नहीं हो रही है.'
उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और न ही कोई संविधान से ऊपर है. जब संविधान को अपनाया गया था, तो यह कहा गया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है.