नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ भारतीय और चीनी सेना के टकराव के चार महीने की लंबी गाथा में शनिवार को उस समय नया मोड़ आया, जब दो एशियाई सेनाओं के बीच पैंगोग त्सो के दक्षिणीय तट पर दोर रात टकराव हुआ.
इस टकराव से सैन्य हलकों में प्रबल भावना यह है कि दोनों देशों के बीच मतभेद एक अपरिवर्तनीय स्थिति में आ गए हैं.
सूत्रों के अनुसार दोनों सेनाओं के बीच हुई ताजा झड़प के पीछे का कारण LAC को लेकर दोनों सेनाओं के बीच धारणा है कि ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र में वर्चस्व हासिल कर अपनी ताकत को बढ़ाया जा सकता है. खासकर तब, जब दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष लंबा हो जाए.
शनिवार-रविवार की मध्यरात्रि की घटनाओं के समय, दोनों पक्षों के पास इस घटना के अपने संस्करण हैं, जो कि दक्षिणी तट पर पैंगोंग त्सो के तट पर स्थित चोटियों पर हुए थे.
इसके बाद सोमवार को सुबह भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों की चाल को नाकाम कर दिया.
उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने सैन्य और राजनयिक स्तर पर लिए गए सर्वसम्मति का उल्लंघन किया है. उन्होंने यहां पर स्थिति को बदलने का असफल प्रयास किया. सेना ने बताया कि चुशुल में ब्रिगेडियर कमांडर स्तर की बातचीत दोनों सेनाओं के बीच जारी है.
उन्होंने बताया कि भारतीय सेना बातचीत के जरिए शांति स्थापित करने में यकीन रखती है, लेकिन अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा.
इसके कुछ घंटों बाद ही PLA के पश्चिमी थियेटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने एक बयान दिया, जिसमें कहा गया कि भारतीय सेना अवैध रूप से सीमा के पार आई, और इलाके को नियनंत्रण में ले लिया, जिससे हमारे सानिक भड़के और सीमा पर तनाव पैदा हो गया.
उन्होंने आगे कहा कि चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का गंभीर रूप से उल्लंघन करने वाले इस कदम से चीन-भारतीय सीमा क्षेत्र की शांति और स्थिरता को गंभीर नुकसान पहुंचा है.
प्रवक्ता ने भारतीय पक्ष से अनुरोध किया कि वह अवैध रूप से चीनी सीमा में घुसे अपने सैनिकों को तुरंत हटाए, उनको नियंत्रित करे और उन पर लगाम लगाए. अग्रिम पंक्ति के सैनिक, ईमानदारी से अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करते हैं और स्थिति के आगे बढ़ने से बचते हैं.
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दरअसल, दोनों देशों के बीच समस्या यह भी है कि एलएसी स्वयं एक धारणा का विषय है, जिसको लेकर भारत और चीन दोनों के अलग-अलग संस्करण हैं.
हालांकि इस घटना पर अभी तक विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन भारतीय सेना के जवानों ने इस पर चुप्पी साधे रखी है, गलवान घाटी में 15 जून को हुए घातक संघर्ष के बाद यह पहली झड़प थी, जिसमें कई जवानों की जान चली गई थी.
शनिवार के टकराव के परिणामस्वरूप अपुष्ट रिपोर्टों ने हताहतों की बात की.
सैन्य से लेकर कूटनीतिक तक सभी स्थापित तंत्र एक हल निकालने में अब तक विफल रहे हैं. इस बीच दोनों देशों ने बड़े पैमाने पर बर्बर ठंडी हिमालयी चोटियों पर लामबंदी शुरू कर दी, जो एक बड़ी आर्थिक लागत के साथ साथ रसद तैयारी को लेकर एक बड़ी परीक्षा होगी.
इस समय, दोनों पक्षों के लगभग 100,000 सैनिकों को भारी सैन्य उपकरणों के साथ-साथ वायु संपत्ति को भी तैनात किया है.