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महाराष्ट्र-हरियाणा 2014 विस चुनावों में भाजपा ने सबसे ज्यादा खर्च किये : ADR रिपोर्ट

ADR ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह कहा गया है कि चुनाव के दौरान भाजपा सबसे ज्यादा फंड इकट्ठा करने वाली पार्टी है. इस पर एडीआर संस्थापक ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सभी दलों को अपने वित्त का विवरण तय की गई सीमा के अंदर देना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर...

एडीआर संस्थापक
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Published : Oct 10, 2019, 8:56 PM IST

नई दिल्ली : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में हुए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने सबसे ज्यादा फंड इकट्ठा किया था. साथ ही सबसे अधिक खर्च भी भाजपा ने ही किया. वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही.

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान 296.74 करोड़ रुपये इकट्ठा किये.

इसमें 174.16 करोड़ भाजपा मुख्यालय ने जमा किये तो 122.78 करोड़ रुपये भाजपा की महाराष्ट्र इकाई और 30 लाख हरियाणा इकाई से जुटाये गये.

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने 2014 के महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान 84. 37 करोड़ रुपये फंड जमा किया, जिसमें 16.44 करोड़ रुपये कांग्रेस मुख्यालय द्वारा इकट्ठा किये गये.

इस क्रम में कांग्रेस की महाराष्ट्र यूनिट ने 62.44 करोड़ और हरियाणा यूनिट ने 5.08 करोड़ इकट्ठा किये.

ADR की रिपोर्ट के अनुसार जेडीएस और आरजेडी ने 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन इन दोनों दलों का चुनाव खर्च विवरण आज तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है.

यह उच्चतम न्यायालय द्वारा 4 अप्रैल, 96 को (Common Cause vs. Union of India) दिये गये फैसले का उल्लंघन है. इस निर्देश में चुनाव आयोग को बोला गया था कि आयोग इन सभी मान्यता प्राप्त दलों के विवरण के लिए एक प्रारूप तैयार करे.

एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर ने इस संबंध में ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा, 'हमारी यही सिफारिश है कि सभी राजनीतिक दलों को अपने वित्त का विवरण चुनाव आयोग को निर्धारित समय सीमा के भीतर, दिये गये प्रारूप में प्रस्तुत करना चाहिए.'

एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर से ईटीवी भारत ने बातचीत की, देखें वीडियो...

छोकर ने कहा कि जो राजनीतिक दल समय पर या निर्धारित प्रारूप में अपने चुनाव खर्च का विवरण प्रस्तुत नहीं करते हैं, उन्हें सजा दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को संविधान में मिली ताकतों का पूर्ण रूप से उपयोग करना चाहिए और अधिक वित्तीय पारदर्शिता के लिए राजनीतिक दलों को केवल चुनावी खर्च विवरण ही नहीं बल्कि समय सीमा अंतराल को भी ध्यान में रखना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को वार्षिक दान रिपोर्ट की तरह चुनाव अवधि के दौरान प्राप्त चंदे का विवरण चुनाव आयोग के पास जमा करना चाहिए, जिससे वित्तीय पारदर्शिता और काले धन का असर कम हो.

नई दिल्ली : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में हुए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने सबसे ज्यादा फंड इकट्ठा किया था. साथ ही सबसे अधिक खर्च भी भाजपा ने ही किया. वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही.

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान 296.74 करोड़ रुपये इकट्ठा किये.

इसमें 174.16 करोड़ भाजपा मुख्यालय ने जमा किये तो 122.78 करोड़ रुपये भाजपा की महाराष्ट्र इकाई और 30 लाख हरियाणा इकाई से जुटाये गये.

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने 2014 के महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान 84. 37 करोड़ रुपये फंड जमा किया, जिसमें 16.44 करोड़ रुपये कांग्रेस मुख्यालय द्वारा इकट्ठा किये गये.

इस क्रम में कांग्रेस की महाराष्ट्र यूनिट ने 62.44 करोड़ और हरियाणा यूनिट ने 5.08 करोड़ इकट्ठा किये.

ADR की रिपोर्ट के अनुसार जेडीएस और आरजेडी ने 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन इन दोनों दलों का चुनाव खर्च विवरण आज तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है.

यह उच्चतम न्यायालय द्वारा 4 अप्रैल, 96 को (Common Cause vs. Union of India) दिये गये फैसले का उल्लंघन है. इस निर्देश में चुनाव आयोग को बोला गया था कि आयोग इन सभी मान्यता प्राप्त दलों के विवरण के लिए एक प्रारूप तैयार करे.

एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर ने इस संबंध में ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा, 'हमारी यही सिफारिश है कि सभी राजनीतिक दलों को अपने वित्त का विवरण चुनाव आयोग को निर्धारित समय सीमा के भीतर, दिये गये प्रारूप में प्रस्तुत करना चाहिए.'

एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर से ईटीवी भारत ने बातचीत की, देखें वीडियो...

छोकर ने कहा कि जो राजनीतिक दल समय पर या निर्धारित प्रारूप में अपने चुनाव खर्च का विवरण प्रस्तुत नहीं करते हैं, उन्हें सजा दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को संविधान में मिली ताकतों का पूर्ण रूप से उपयोग करना चाहिए और अधिक वित्तीय पारदर्शिता के लिए राजनीतिक दलों को केवल चुनावी खर्च विवरण ही नहीं बल्कि समय सीमा अंतराल को भी ध्यान में रखना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को वार्षिक दान रिपोर्ट की तरह चुनाव अवधि के दौरान प्राप्त चंदे का विवरण चुनाव आयोग के पास जमा करना चाहिए, जिससे वित्तीय पारदर्शिता और काले धन का असर कम हो.

Intro:नई दिल्ली : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में हुए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने सबसे अधिक फंड इकट्ठा किया और सबसे अधिक खर्च भी भाजपा ने ही किया। वहीं कॉन्ग्रेस दूसरे नंबर पर रही।


एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान 296.74 करोड़ रुपये इकट्ठा किये। इसमें 174.16 करोड़ भाजपा मुख्यालय ने जमा किए तो वहीं भाजपा की महाराष्ट्र शाखा ने 122.78 करोड़ रुपये और 30 लाख भाजपा की हरियाणा इकाई से जुटाए गये।

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान 84. 37 करोड़ रुपए फंड जमा किया जिसमें 16.44 करोड़ रुपये कांग्रेस मुख्यालय द्वारा इकट्ठा हुए। जबकि महाराष्ट्र यूनिट ने 62.44 करोड़ तो वहीं हरियाणा यूनिट ने 5.08 करोड़ इकट्ठा किये।


Body:एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार जेडीएस और आरजेडी ने 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा था पर इन दोनों दलों का चुनाव खर्च विवरण आज तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है। जबकि यह उच्चतम न्यायालय द्वारा 4 अप्रैल, 96 को(Common Cause vs. Union of India) दिए गए फैसले का उल्लंघन है इस निर्देश में चुनाव आयोग को बोला गया था कि आयोग इन सभी मान्यता प्राप्त दलों के विवरण के लिए एक प्रारूप तैयार करे।

एडीआर के संस्थापक सदस्य जगदीप छोकर ईटीवी भारत में बात करते हुए कि इस पर हमारी यह सिफारिश की है कि सभी राजनीतिक दलों को अपने वह का विवरण चुनाव आयोग को निर्धारित समय सीमा के भीतर, दिए गए प्रारूप में प्रस्तुत करना चाहिए। समय पर या निर्धारित प्रारूप में जो राजनीतिक दल अपने चुनाव खर्च का विवरण प्रस्तुत नहीं करते हैं उनको सजा दी जानी चाहिए।



Conclusion:जगदीप छोकर ने कहा की चुनाव आयोग को संविधान में मिली ताकतों का पूर्ण रूप से उपयोग करना चाहिए और अधिक वित्तीय पारदर्शिता के लिए राजनीतिक दलों को केवल चुनावी खर्च विवरण ही नहीं बल्कि दी गई समय सीमा के अंतर्गत जमा करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को वार्षिक दान रिपोर्ट की तरह चुनाव अवधि के दौरान प्राप्त चंदे का दौरा चुनाव आयोग को जमा करना चाहिए जिससे वित्तीय पारदर्शिता और काले धन का असर कम हो।
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