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बोडोलैंड समझौता : अलग राज्य की मांग खारिज, 50 सालों के आंदोलन में हो चुकी हैं 4000 मौतें

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Published : Jan 27, 2020, 9:50 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 4:53 AM IST

केन्द्र सरकार, असम सरकार और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड ने आज एक समझौते पर हस्ताक्षर किया. इसे बोडोलैंड समझौता कहा गया है. बोडो लोगों ने अलग बोडोलैंड की मांग को छोड़ दिया है. इसके बदले उन्हें अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलेगा. आपको बता दें कि एबीएसयू 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चला रहा है. इस दौरान 4000 से अधिक लोगों की जान चली गई. जाहिर है, इस समझौैते को लेकर बहुत बड़ी उम्मीद जगी है. जानें विस्तार से पूरी खबर.

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केंद्र सरकार ने एनडीएफबी, एबीएसयू के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली : केन्द्रीय सरकार ने सोमवार को असम के खूंखार उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसमें उसे राजनीतिक और आर्थिक फायदे दिए गए हैं, लेकिन अलग राज्य या केंद्रशासित क्षेत्र की मांग पूरी नहीं की गई है.

समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन भी शामिल हैं. एबीएसयू 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में त्रिपक्षीय समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी, एबीएसयू के चार धड़ों के शीर्ष नेता, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येन्द्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने हस्ताक्षर किए.

गृह मंत्री ने समझौते को 'ऐतिहासिक' करार दिया और कहा कि इससे बोडो लोगों की दशकों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान होगा.

उन्होंने कहा, 'इस समझौते से बोडो क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास होगा और असम की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बगैर उनकी भाषा और संस्कृति का संरक्षण होगा.'

गृह मंत्री ने कहा कि बोडो उग्रवादियों की हिंसा में पिछले कुछ दशकों में चार हजार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी.

शाह ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी.

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि समझौते के बाद राज्य में विभिन्न समुदाय सौहार्द के साथ रह सकेंगे.

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि समझौते से बोडो मुद्दे का व्यापक समाधान होगा.

उन्होंने कहा, 'यह ऐतिहासिक समझौता है.'

सरेंडर करेंगे उग्रवादी

असम के मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि समझौते के मुताबिक एनडीएफबी के 1550 उग्रवादी 30 जनवरी को हथियार छोड़ देंगे, अगले तीन वर्षों में 1500 करोड़ रुपये का आर्थिक कार्यक्रम लागू किया जाएगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की 750 -750 करोड़ रुपये की बराबर भागीदारी होगी.

बढ़ जाएंगी बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद की सीटें

हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) के वर्तमान ढांचे को और शक्तियां देकर मजबूत किया जाएगा तथा इसकी सीटों की संख्या 40 से बढ़ाकर 60 की जाएगी.

शर्मा ने एक ट्वीट में कहा कि बोडो शांति समझौता को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल नीत असम सरकार और बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल (बीटीसी) प्रमुख हागरामा मोहीलरी का पूरा समर्थन प्राप्त है, जो इसे दशकों पुराने बोडो मुद्दे को लेकर पूर्ण एवं अंतिम समाधान बनाता है.

बोडो बहुल गांवों को बीटीसी में किया जाएगा शामिल

बोडो बहुल गांवों को बीटीसी में शामिल करने और जहां बोडो की बहुलता नहीं है, उन्हें बीटीसी से बाहर निकालने के लिए आयोग का गठन होगा.
यह पिछले 27 वर्षों में तीसरा बोडो समझौता है.

अलग बोडोलैंड राज्य के लिए चले हिंसक आंदोलन में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को नुकसान हुआ.

नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के संयोजक शर्मा ने कहा, 'बोडो समझौता असम की क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत करेगा और हमें बोडोलैंड में शांति एवं प्रगति की नयी उम्मीद प्रदान करेगा.'

उन्होंने इस ऐतिहासिक समझौते को संभव बनाने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व के तहत इस पर हस्ताक्षर किए गए.

लंबे समय से बोडो राज्य की मांग करते हुए आंदोलन चलाने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए.

इस समझौते पर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार धड़ों के नेतृत्वों, एबीएसयू प्रमुख प्रमोद बोरो, बीटीसी प्रमुख हागरामा मोहीलरी, सोनोवाल और शर्मा ने हस्ताक्षर किए.

सरकार ने असम के सबसे दुर्दांत उग्रवादी समूहों में शामिल एनडीएफबी के साथ सोमवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए.

गैर बोडो संगठनों का विरोध

शांति समझौते पर हस्ताक्षर के केंद्र के कदम के विरोध में गैर बोडो संगठनों द्वारा सोमवार को आहूत 12 घंटे के बंद के कारण असम में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) के तहत आने वाले चार जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ है.

कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदलगुड़ी जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ है, लेकिन बंद का असर राज्य के अन्य हिस्सों पर नहीं पड़ा.

कोकराझार जिले के कुछ हिस्सों में टायर जलाए गए, लेकिन किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है.

सभी शैक्षिक संस्थान बंद रहे. कॉलेजों में पूर्व निर्धारित कुछ परीक्षाएं हुईं.

पढ़ें-सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और पीएफआई का सीधा संबंध : ईडी

सड़कों पर वाहनों की आवाजाही नजर नहीं आई और सभी दुकानें तथा कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे.

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि रेल सेवाएं बंद से बेअसर रहे और सभी बड़ी ट्रेन समय पर चलीं.

गैर बोडो संगठनों की मांग है कि बोडोलैंड क्षेत्रीय प्रशासनिक जिलों (बीटीएडी) में रह रहे सभी गैर बोडो लोगों को शांति समझौते में शामिल किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : केन्द्रीय सरकार ने सोमवार को असम के खूंखार उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसमें उसे राजनीतिक और आर्थिक फायदे दिए गए हैं, लेकिन अलग राज्य या केंद्रशासित क्षेत्र की मांग पूरी नहीं की गई है.

समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन भी शामिल हैं. एबीएसयू 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में त्रिपक्षीय समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी, एबीएसयू के चार धड़ों के शीर्ष नेता, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येन्द्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने हस्ताक्षर किए.

गृह मंत्री ने समझौते को 'ऐतिहासिक' करार दिया और कहा कि इससे बोडो लोगों की दशकों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान होगा.

उन्होंने कहा, 'इस समझौते से बोडो क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास होगा और असम की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बगैर उनकी भाषा और संस्कृति का संरक्षण होगा.'

गृह मंत्री ने कहा कि बोडो उग्रवादियों की हिंसा में पिछले कुछ दशकों में चार हजार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी.

शाह ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी.

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि समझौते के बाद राज्य में विभिन्न समुदाय सौहार्द के साथ रह सकेंगे.

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि समझौते से बोडो मुद्दे का व्यापक समाधान होगा.

उन्होंने कहा, 'यह ऐतिहासिक समझौता है.'

सरेंडर करेंगे उग्रवादी

असम के मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि समझौते के मुताबिक एनडीएफबी के 1550 उग्रवादी 30 जनवरी को हथियार छोड़ देंगे, अगले तीन वर्षों में 1500 करोड़ रुपये का आर्थिक कार्यक्रम लागू किया जाएगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की 750 -750 करोड़ रुपये की बराबर भागीदारी होगी.

बढ़ जाएंगी बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद की सीटें

हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) के वर्तमान ढांचे को और शक्तियां देकर मजबूत किया जाएगा तथा इसकी सीटों की संख्या 40 से बढ़ाकर 60 की जाएगी.

शर्मा ने एक ट्वीट में कहा कि बोडो शांति समझौता को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल नीत असम सरकार और बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल (बीटीसी) प्रमुख हागरामा मोहीलरी का पूरा समर्थन प्राप्त है, जो इसे दशकों पुराने बोडो मुद्दे को लेकर पूर्ण एवं अंतिम समाधान बनाता है.

बोडो बहुल गांवों को बीटीसी में किया जाएगा शामिल

बोडो बहुल गांवों को बीटीसी में शामिल करने और जहां बोडो की बहुलता नहीं है, उन्हें बीटीसी से बाहर निकालने के लिए आयोग का गठन होगा.
यह पिछले 27 वर्षों में तीसरा बोडो समझौता है.

अलग बोडोलैंड राज्य के लिए चले हिंसक आंदोलन में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को नुकसान हुआ.

नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के संयोजक शर्मा ने कहा, 'बोडो समझौता असम की क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत करेगा और हमें बोडोलैंड में शांति एवं प्रगति की नयी उम्मीद प्रदान करेगा.'

उन्होंने इस ऐतिहासिक समझौते को संभव बनाने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व के तहत इस पर हस्ताक्षर किए गए.

लंबे समय से बोडो राज्य की मांग करते हुए आंदोलन चलाने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए.

इस समझौते पर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार धड़ों के नेतृत्वों, एबीएसयू प्रमुख प्रमोद बोरो, बीटीसी प्रमुख हागरामा मोहीलरी, सोनोवाल और शर्मा ने हस्ताक्षर किए.

सरकार ने असम के सबसे दुर्दांत उग्रवादी समूहों में शामिल एनडीएफबी के साथ सोमवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए.

गैर बोडो संगठनों का विरोध

शांति समझौते पर हस्ताक्षर के केंद्र के कदम के विरोध में गैर बोडो संगठनों द्वारा सोमवार को आहूत 12 घंटे के बंद के कारण असम में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) के तहत आने वाले चार जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ है.

कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदलगुड़ी जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ है, लेकिन बंद का असर राज्य के अन्य हिस्सों पर नहीं पड़ा.

कोकराझार जिले के कुछ हिस्सों में टायर जलाए गए, लेकिन किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है.

सभी शैक्षिक संस्थान बंद रहे. कॉलेजों में पूर्व निर्धारित कुछ परीक्षाएं हुईं.

पढ़ें-सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और पीएफआई का सीधा संबंध : ईडी

सड़कों पर वाहनों की आवाजाही नजर नहीं आई और सभी दुकानें तथा कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे.

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि रेल सेवाएं बंद से बेअसर रहे और सभी बड़ी ट्रेन समय पर चलीं.

गैर बोडो संगठनों की मांग है कि बोडोलैंड क्षेत्रीय प्रशासनिक जिलों (बीटीएडी) में रह रहे सभी गैर बोडो लोगों को शांति समझौते में शामिल किया जाना चाहिए.

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Last Updated : Feb 28, 2020, 4:53 AM IST
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